History

क्या इस साजिश में महादेव विद्रोही भी शामिल हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ में जरूरी तथ्यों पर नजर डालना उपयुक्त होगा।

2 दिसंबर 2020 को सर्व सेवा संघ के राजघाट परिसर की खाली पड़ी जमीन पर वाराणसी प्रशासन ने बलपूर्वक कब्जा कर लिया और इसे काशी कॉरिडोर का वर्कशॉप बना दिया। यह वही समय था जब सर्व सेवा संघ अपने आंतरिक उथल-पुथल के सबसे कठिन दौर से गुजर रहा था। प्रशासनिक कब्जे के बाद जमीन से संबंधित कागजात ढूंढे जाने लगे तो हमारे सामने निम्नलिखित तथ्य आए:-

22 अक्टूबर 2019 को सर्व सेवा संघ के प्रधान कार्यालय से वाराणसी निवासी प्रदीप कुमार बजाज को सर्व सेवा संघ के वाराणसी परिसर, राजघाट की क्रयशुदा जमीन की मूल रजिस्ट्री नं. 3717 के दस्तावेज स्पीड पोस्ट द्वारा भेजा गया था। यह निर्गत रजिस्टर में दर्ज है और स्पीड पोस्ट की रसीद भी उपलब्ध है। परंतु यह दस्तावेज किस उद्देश्य से और क्यों भेजा गया, इससे संबंधित न तो कोई पत्र कार्यालय में उपलब्ध है और न ही निर्गत-पंजी में इसका कोई उल्लेख है।

  • प्रदीप कुमार बजाज को जमीन की रजिस्ट्री सं. 3717 का मूल दस्तावेज भेजा गया है, इस तथ्य का पता 29.11.2019 को तत्कालीन कार्यालय मंत्री मारोती गावंडे के पत्र से चलता है, जिसमें लिखा गया है कि उक्त दस्तावेज सं. 3717 प्रदीप कुमार बजाज को भेजा जा चुका है। इस दस्तावेज को भेजे जाने के कारण का उल्लेख इस पत्र में भी नहीं है।
  • श्री मारोती गावंडे के पत्र क्रमांक 217/2019-20 दि. 29.11.2019 में इस बात का जिक्र किया गया है कि प्रदीप कुमार बजाज को राजघाट परिसर, वाराणसी की क्रयशुदा जमीन के अन्य मूल रजिस्ट्री सं. 2762 (पेज-5), 3245 (पेज-6), उद्धरण खतौनी (4 पेज) भेजा जा रहा है।
  • इसी पत्र में यह भी उल्लेख है कि प्रदीप कुमार बजाज को वाराणसी के व्यवसायी राजेश जयसवाल का रखरखाव के आधार पर जमीन लेने से संबंधित पत्र भी भेजा गया है। यह पत्र वास्तव में वाराणसी की जमीन लेने के संबंध में राजेश जयसवाल का पूर्व में प्राप्त प्रस्ताव है, जिसे उन्होंने सर्व सेवा संघ को दिया था। इस प्रस्ताव को असंगत मानते हुए सर्व सेवा संघ ने उसी वक्त ठुकरा दिया था। पूर्व अध्यक्ष महादेव विद्रोही राजेश जयसवाल की नवनिर्मित संस्था गांधीजन फाउंडेशन को सर्व सेवा संघ, वाराणसी की जमीन देना चाहते थे।

उक्त पत्र में यह भी उल्लेख है कि “काम पूरा हो जाने पर” प्रदीप कुमार बजाज फोन द्वारा सूचित करें, ताकि कार्यकर्ता उनके पास जाकर दस्तावेज प्राप्त कर सकें। परंतु 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी श्री प्रदीप कुमार बजाज की ओर से न तो कोई फोन द्वारा सूचना दी गयी है और न ही दस्तावेज वापस किया गया है।

  • रजिस्ट्री सं. 3717 का मूल दस्तावेज के संदर्भ में ऐसा मान लिया जाय कि प्रदीप कुमार बजाज को दाखिल-खारिज कराने के उद्देश्य से भेजा गया था, तो दाखिल-खारिज के दावे को तहसीलदार न्यायिक, सदर वाराणसी में वाद संख्या RST/13810/2019, मौजा-किला कोहना, परगना देहात अमानत, तहसीलदार वाराणसी, दफा 34 एल.आर. एक्टको 31.08.2019 को तहसीलदार (न्यायिक) सदर, वाराणसी द्वारा निरस्त किया जा चुका है। प्रदीप कुमार बजाज ने उक्त दस्तावेज को हस्ताक्षर एवं अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर तहसील न्यायालय से वापस ले लिया है। अग्रिम कार्रवाई की कोई जानकारी वाराणसी अथवा प्रधान कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। इस मामले में ट्रस्टी मंडल के सदस्य मधुसूदन उपाध्याय के निवेदन पर सर्व सेवा संघ प्रकाशन के संयोजक की ओर से मारोति गांवडे के पत्र के आलोक में प्रदीप कुमार बजाज को वाराणसी जमीन से संबंधित सभी दस्तावेज प्रधान कार्यालय, सेवाग्राम अथवा शाखा कार्यालय, वाराणसी को सौंपने हेतु लिखा गया है, जिसकी प्रतिलिपि महादेव विद्रोही एवं मधुसूदन उपाध्याय को भेजी जा चुकी है। प्रदीप कुमार बजाज की ओर से इस बाबत न तो कोई सूचना दी गयी है और न ही कार्यालय को दस्तावेज उपलब्ध कराया गया है।
  • इस प्रकार प्रबंधक ट्रस्टी, ट्रस्टी मंडल के सदस्यों अथवा अन्य किसी पदाधिकारी को जानकारी दिये एवं सहमति लिये बगैर वाराणसी की जमीनों से संबंधित मूल दस्तावेज 3717 के अलावा अन्य दो दस्तावोज 2762 (पेज सं. 5), 3245 (पेज संख्या 6) एवं उद्धरण खतौनी (4 पेज) प्रदीप कुमार बजाज के पास भेजने का कोई औचित्य और प्रसंग नहीं है।

प्रदीप कुमार बजाज के कथित अध्यक्ष घोषित होने के 10 दिनों के अंदर 02 दिसंबर 2020 को स्थानीय प्रशासन, वाराणसी ने सर्व सेवा संघ, राजघाट परिसर वाराणसी की जमीन अराजी नं. 8 को घेर लिया, जिसका तत्काल प्रतिवाद सर्व सेवा संघ के द्वारा 05 दिसंबर 2020 को किया गया। पुनः 15 दिसंबर 2020 को सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल एवं प्रबंधक ट्रस्टी अशोक कुमार शरण के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल वाराणसी के मंडल आयुक्त और जिलाधिकारी से मिलकर प्रशासन की गैरकानूनी कार्यवाई को संज्ञान में लाया और सर्व सेवा संघ की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने का आग्रह किया। तब से लेकर आज तक सर्व सेवा संघ राजघाट परिसर से अवैध कब्जा हटाने के लिए प्रयासरत है।

  • प्रदीप कुमार बजाज का एक दल विशेष के प्रति जुड़ाव रहा है. इस बात की जानकारी उनसे परिचित हर व्यक्ति को थी। फिर भी उन्हें संविधान की मर्यादा का घोर उल्लंघन करते हुए ‘लोकसेवक’ बनाया गया और गांधीवादी व समाज सेवक के रूप में उनकी महिमा का गुणगान किया गया। उनके राजनैतिक सूत्रबद्धता को नजरअंदाज कर दिया गया। 19 फरवरी 2022 को प्रदीप कुमार बजाज को समाजवादी पार्टी का सचिव नियुक्त कर दिया गया । इस तरह एक वर्ष से भी ज्यादा समय से चला आ रहा भ्रम दूर हो गया। समाजवादी पार्टी के सर्कुलर (उपलब्ध) से सिद्ध हो गया कि वे इस दल से जुड़े रहे हैं।
  • अब तो प्रदीप कुमार बजाज को अध्यक्ष के रूप में बनाये रखना ‘लोकनिन्दा’ का विषय बन गया। अतः 19 मार्च 2022 को नये अध्यक्ष चुनने के लिए एक ऑनलाईन बैठक आयोजित की गयी। इसी ऑनलाईन बैठक में अरविन्द रेड्डी को कार्यवाहक अध्यक्ष चुना गया। अरविन्द रेड्डी के कार्यवाहक अध्यक्ष चुने जाने की सूचना तो आयी, लेकिन प्रदीप कुमार बजाज को अध्क्षक्ष पद से हटाने या उनके द्वारा इस्तीफा देने संबंधी कोई जानकारी नहीं दी गई।

उपरोक्त तथ्यों के आलोक में कुछ सवाल उभरते हैं

  • इस तथ्य को जानते हुए भी कि प्रदीप कुमार बजाज राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं, उन्हें पहले लोकसेवक और फिर अध्यक्ष बना दिया?
  • सर्व सेवा संघ प्रकाशन के संयोजक द्वारा प्रदीप कुमार बजाज को जमीन से संबंधित सभी दस्तावेजों को वापस करने के पत्र के बावजूद महादेव विद्रोही ने उक्त दस्तावेजों को प्राप्त करने का प्रयास क्यों नहीं किया?
  • सर्व सेवा संघ का शाखा कार्यालय वाराणसी में होने के बावजूद 1970 में खरीद की गई जमीन के दाखिल खारिज का जिम्मा प्रदीप कुमार बजाज को क्यों दिया गया?
  • 1960 और 1961 के रजिस्ट्री एवं खतौनी के मूल दस्तावेज प्रदीप कुमार बजाज को क्यों भेजा गया?
  • जमीन के दस्तावेजों के साथ सर्व सेवा संघ राजघाट परिसर को रखरखाव पर लेने के राजेश जायसवाल के प्रोजेक्ट प्रपोजल को क्यों भेजा गया?
  • 2 दिसंबर 2020 को प्रशासन द्वारा सर्व सेवा संघ परिसर के जमीन का एक भाग कब्जा किए जाने के बाद एक बार भी महादेव विद्रोही एवं प्रदीप कुमार बजाज ने इसका विरोध क्यों नहीं किया?

उपरोक्त तथ्यों और सवालों के परिपेक्ष में आप खुद ही फैसला कर सकते हैं कि महादेव विद्रोही और प्रदीप कुमार बजाज इसमें शामिल रहे हैं या नहीं?

प्रस्तुति – अरविन्द अंजुम

adminsj

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