नीतीश सरकार ने की उपेक्षा, दिल्ली के वृद्धाश्रम में ली आखिरी सांस
बिहार के जाने-माने पत्रकार जुगनू शारदेय का 14 दिसम्बर को दिल्ली के एक वृद्धाश्रम में निधन हो गया. बताया जा रहा है कि आखिरी समय में वे न्यूमोनिया से ग्रस्त हो गए थे और उन्हें वृद्धाश्रम की गढ़मुक्तेश्वर स्थित शाखा से दिल्ली लाया गया था. आश्रम की तरफ से उनकी मृत्यु की जानकारी दाह संस्कार के बाद दी गयी, क्योंकि आश्रम में पुलिस ने उन्हें लावारिस बताकर भर्ती कराया था. उनकी मृत्यु के समय उनका कोई रिश्तेदार या मित्र उनके पास नहीं था. परिवार से वह बहुत पहले निकल गए थे और मित्रों के एक विशाल समूह में विचरते रहते थे. इधर कई वर्षों से वे बीमार रहने लगे थे.
जुगनू शारदेय बिहार के थे और जेपी आंदोलन में एक पत्रकार के रूप में चर्चित हुए थे. उन दिनों के चर्चित हिंदी साप्ताहिक दिनमान, जिसके संपादक कवि रघुवीर सहाय थे, में जेपी आंदोलन पर उनकी रपटें लगातार छपती थीं. वे फणीश्वरनाथ रेणु से भी बहुत गहरे जुड़े थे. समाजवादी आंदोलन से भी उनका गहरा जुड़ाव था. जुगनू शारदेय अपनी धारदार लेखनी और मनमौजी जीवनशैली के लिए मशहूर थे. जिंदगी के कुछ आखिरी साल उन्होंने बीमारी और अकेलेपन में काटे. साठ के दशक से लेकर यदा कदा अब तक पत्रकारिता की दुनिया में एक विद्रोही पत्रकार के रूप में स्थापित जुगनू शारदेय अपने वक्त की तमाम पत्र पत्रिकाओं के चहेते लेखक थे। समाज, सियासत, सिनेमा हर विषय पर उनकी अलग की धारणा रही है।
दिल्ली में जब बीमार हालत में उन्हें लक्ष्मीनगर पुलिस ने अपने संरक्षण में लिया और वृद्धाश्रम में दाखिल कराया तो कई पत्रकारों और सामजिक कार्यकर्ताओं ने उनकी देखरेख की व्यवस्था के लिए बिहार के मुख्यमंत्री से अपील की, लेकिन सरकार ने ध्यान तक नहीं दिया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव तो उन्हें जेपी आन्दोलन के दिनों से व्यक्तिगत रूप से जानते थे. बिहार की सरकार अपने पत्रकारों को लेकर कितनी जागरूक है, अपने ढंग के बिरले पत्रकार की यह अनाथ मृत्यु उसकी तजा नजीर है. चापलूसी उनसे होती नहीं थी. उनके मुंहफट स्वभाव ने उन्हें हर तरह से अकेला कर दिया था, लेकिन यह सवाल तो रहेगा ही कि क्या ऐसे आदमी को इसी तरह लावारिस मर जाना चाहिए!
Click here to Download Digital Copy of Sarvodaya Jagat
इस सवाल का जवाब तलाशने के पहले राजघाट परिसर, वाराणसी के जमीन कब्जे के संदर्भ…
पिछले कुछ महीनों में बहुत तेजी से घटे घटनाक्रम के दौरान जहां सर्व सेवा संघ…
जनमन आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था।…
साहिबगंज में मनायी गयी 132 वीं जयंती जिला लोक समिति एवं जिला सर्वोदय मंडल कार्यालय…
कस्तूरबा को भी किया गया नमन सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा…
This website uses cookies.