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सर्व सेवा संघ मुख्यालय में मनाई गई ज्योति बा फुले जयंती

कस्तूरबा को भी किया गया नमन

सर्वोदय समाज के संयोजक प्रो सोमनाथ रोडे ने कहा है कि महात्मा ज्योतिबा फुले, महात्मा गांधी, बाबासाहेब अंबेडकर, काल मार्क्स, सरदार भगत सिंह जैसे महापुरुषों के विचारों को मिलाकर लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़ने की जरूरत है। वे 11 अप्रैल को महात्मा ज्योतिबा फुले एवं माता कस्तूरबा गांधी की जयंती पर सर्वोदय समाज, सर्व सेवा संघ, सेवाग्राम आश्रम, सर्वोदय मंडल और किसान अधिकार अभियान द्वारा सर्व सेवा संघ के सेवाग्राम कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. प्रो रोडे ने कहा कि महात्मा जोतिबा फुले ने 19 वीं सदी के मध्य में भारत में जातिवाद और कट्टरता के खिलाफ संघर्ष की चिनगारी सुलगाई। इस अर्थ में, ज्योतिबा फुले के विचार आज भी प्रासंगिक है।


सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने पिछले दो सौ वर्षों में भारत में सामाजिक और राजनीतिक विकास के परिवर्तन की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए महात्मा ज्योतिराव फुले, महात्मा गांधी और डॉ भीमराव अम्बेडकर को नमन किया। उन्होंने कहा कि इन सभी महापुरुषों के विचारों की गर्भनाल को जोड़ने की आवश्यकता है। ज्योतिबा फुले द्वारा सामाजिक परिवर्तन के अभियान को महात्मा गाँधी के स्वतंत्रता आन्दोलन से जोड़कर ही समग्रता में समझा जा सकता है.

अरविन्द अंजुम ने कहा कि महात्मा बुद्ध, कबीर, नानक, सुकरात, महात्मा गाँधी, ज्योतिबा फुले, डॉ अम्बेडकर, कार्ल मार्क्स जैसे व्यक्तित्व हमारे पूर्वजों में शामिल हैं. ये ऐसे पूर्वज हैं, जिन्होंने इंसानियत के सफर में अपना मूल्यवान योगदान दिया है. महात्मा फुले ने 1857 की क्रांति का इस आधार पर विरोध किया था कि यदि यह विद्रोह सफल होता है तो फिर से पेशवाई स्थापित हो जायेगी, जो सामाजिक उत्पीड़न का जरिया है. आज बात बात पर देशद्रोही और देशभक्त होने का तमगा बांटने वालों को क्या यह हिम्मत है कि वे ज्योतिबा फुले के इस कदम पर अपने विचार रखें? स्पष्ट है कि अभियक्ति की जो आज़ादी हमें आज हासिल है, उससे अधिक आज़ादी तो कम्पनी राज में हासिल थी. ज्योतिबा ने लांछित, पीड़ित विधवाओं के गर्भवती हो जाने पर उनके लिए आश्रयस्थल बनवाए थे. व्यक्ति का विचार चाहे जो भी हो, लेकिन हृदय में ज्योतिबा फुले जैसी करुणा और प्रेम होना चाहिए.

इस बैठक में अविनाश काकड़े, सुदाम पवार, अरविंद अंजुम, गौरांग महापात्र, शेख हुसैन, प्रदीप खेलुरकर एवं जिला सर्वोदय मंडल तथा किसान अधिकार अभियान के प्रमुख कार्यकर्ता शामिल हुए. कन्हैया छंगानी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस मौके पर प्रशांत गुजर, अनंत ठाकरे, प्रो राजेश बलसराफ, अशोक सूर्यवंशी, सुरेश लतारे, नामदेव ढोले, सुनीता अलोन, शारदा रोकड़े, निकिता कुकड़े, प्रफुल्ल कुकड़े, प्रशांत तकसांडे, बालासाहेब, सचिन उगले, सचिन नवघरे, मनीष मंगेश शेंडे, प्रमोद बॉम्बले, आकाश लोखंडे, रूपेश कडू आदि शामिल हुए।

इस अवसर पर 48 वें सर्वोदय समाज सम्मेलन के आयोजन में सहयोग करने वाले स्वयंसेवकों का आभार व्यक्त किया गया और यह संकल्प व्यक्त किया गया कि हम सांगठनिक निर्माण और विचार को आगे बढ़ाने का काम करते रहेंगे।

-सर्वोदय जगत डेस्क

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