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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : अहिंसा की आबरू खतरे में है

अगर हम देश का संरक्षण सशस्त्र सेनाओं पर छोड़ दे रहे हैं और शांति सेना का काम नहीं कर रहे…

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भूदान डायरी: विनोबा विचार प्रवाह : सारा गांव एक परिवार बनकर रहे

बाबा को भिक्षा मांगने की आदत नहीं। बाबा तो सभी को दीक्षा देने आया है। काहे की दीक्षा! प्रेम जीवन…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : आन्दोलन नहीं, आरोहण है भूदान

बाबा विनोबा भूदान के काम को राष्ट्रीय आंदोलन नहीं, बल्कि जागतिक आंदोलन मानते थे। आंदोलन से भी आगे बढ़कर इसे…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : भूदान पंचविध कार्यक्रम

जमीन के वितरण से लेकर भगवद्भक्ति तक का पंचविध कार्यक्रम सच्चे अर्थों में ग्रामराज्य, रामराज्य, लोकराज्य या स्वराज्य का स्वरूप होगा।  दुनिया तृषित…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : ग्रामदान एक समुद्र और भूदान एक नदी है!

भूदान से करुणा का एक छोटा सा प्रवाह निकला, लेकिन जब वह प्रवाह समुद्र में आया, तब उसे समुद्र का…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : भूदान एक नैतिक आन्दोलन है!

यह केवल जमीन बांटने का काम नहीं, बल्कि हिंदुस्तान को एकरस बनाने का काम है, दिल के साथ दिल जोड़ने…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : भूदान की मांग दीनता से नहीं, प्रेम से

भूदान आंदोलन की मांग दीन होकर नहीं, बल्कि प्रेम के बल पर की जाती है। क्योंकि प्रेम की शक्ति काफी…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : बाबा का ध्येय सर्वोदय है

यह हो ही नहीं सकता कि आपके घर में आग लगे और आप बुझाने भी न जाएं।  बाबा का ध्येय…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : भूखा भगवान हमारे सामने खड़ा है

भूखा, प्यासा और बिना घर वाला भगवान हमारे सामने खड़ा है। आज वह खुद कह रहा है कि हमें खिलाओ,…

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भूदान डायरी; विनोबा विचार प्रवाह : बाबा को करुणा घुमा रही है

बाबा कहते हैं कि हमें हमारा इल्म नहीं घुमा रहा है, न त्याग घुमा रहा है, न हमारा फकीरी बाना…

2 years ago

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