अहिंसा के विकास क्रम तथा विश्व की बहुमुखी परिस्थितियों में अहिंसक क्रांति और उसकी प्रक्रिया को समझने समझाने का प्रयास विश्व के अनेक विचारकों ने किया है. सदियों के काल-प्रवाह में अहिंसा विषयक यह चिंतन कहां तक पहुंचा है और समाजों तथा राष्ट्रों को कितनी गति दी है, इसका बेहद […]

सेना के जवान खाना-पीना सब साथ करते हैं, लेकिन ईश्वर का नाम लेने का मौका आया, तो सब अलग हो जाते हैं। अपनी-अपनी अलग प्रार्थना करते हैं। यानी ईश्वर एक अलग करने वाला तत्त्व हो गया। पर इसमें ईश्वर की बड़ी निन्दा है। भक्ति-मार्ग में कभी-कभी भजन नशे की तरह […]

जिन्होंने लोकतंत्र के मंदिरों को महाभारत काल की द्यूत क्रीड़ा के आंगनों में बदल दिया हो, जो शकुनी कहलाने में गर्व महसूस करते हों, दुर्योधन वृत्ति जिनका गहना हो, दु:शासन बनकर जनता के चीरहरण पर देश में जिनका अट्टहास गूंजता हो, देश का राजा ही यदि देश के बलरामों को […]

सत्ता इतिहास बन जाती है, पर लोक समाज अपनी शक्ति को हमेशा कायम रखता है। सत्तारूढ़ जमातें लोकसमाज से कभी शक्तिशाली नहीं हो सकती हैं। यही लोकसमाज की लोकतांत्रिक जीवन शक्ति है। इस बात को हर सत्तारूढ़ समूह को हमेशा याद रखना चाहिए। इन दिनों मन में उठा एक सहज […]

देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. यह आज़ादी के आंदोलन और उसके मूल्यों की जीत है. यह उस अहिंसा की जीत है, जिसकी नींव गांधी ने रखी थी. गांधी की अहिंसा क्या थी? अन्याय के खिलाफ विनम्रतापूर्वक सिर तानकर अन्यायियों के सामने खड़े हो जाना और […]

गांधी जी आंदोलन विधिवत शुरू करने से पहले वायसराय और गवर्नर जनरल को पत्र भेजकर उनके उत्तर की प्रतीक्षा करना चाहते थे, लेकिन अचानक गिरफ्तारी के चलते वे कांग्रेस जनों को आंदोलन के दिशानिर्देश जारी नहीं कर सके। कांग्रेसी समाजवादी पहले से तैयार थे, इसलिए क्रांति की कार्रवाइयां उनके ही […]

इस अमृत काल में हर धर्म में ‘कुछ लोग’ हैं, जो अपने-अपने धर्म को अतीत यात्रा पर ले जाने को कटिबद्ध हैं. उनको लगता है कि उनके धर्म के स्वरूप में ही सृष्टि का परम सत्य छिपा है और आज ज्ञान, विज्ञान, दर्शन, गणित, अर्थशास्त्र आदि जो कुछ भी अच्छा […]

आज भी सावरकर की तस्वीर संसद के सेंट्रल हाल में गांधी के ठीक अपोजिट लगी है। एक को देखने के लिए आपको दूसरे की तरफ पीठ करनी पड़ेगी। स्थान; लन्दन स्थित क्रॉमवेल स्ट्रीट में बना इंडिया हाउस! साल 1909! महीना अक्टूबर की एक सर्द शाम! इंडिया हाउस के ऊपरी तल […]

महात्मा गांधी और विनायक सावरकर खुद पीछे रहकर षडयंत्र रचना और भावुक व बहादुर युवकों को प्रेरित कर उनसे हत्याएं करवाना! सावरकर की यही कुशलता थी, लेकिन यह कुशलता भी भय और मत्सर से उपजी हुई थी। महात्मा गांधी लगभग 80 वर्ष की उम्र में एक वीर तरुण की भांति […]

देश का पैसा देश का इतिहास बदलने में बरबाद किया जा रहा है। नया संसद भवन बनाना, नया प्रधानमंत्री निवास बनाना, नया वार मेमोरियल बनाना, अमर जवान ज्योति के साथ छेड़छाड़ करना औऱ अशोक स्तंभ के मूल स्वरूप को बदलना आदि इसी कड़ी के हिस्से हैं. वह तो ऐतिहासिक तथ्य […]

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