गांधी जी की यह इच्छा थी कि उनका आश्रम अछूतों के लिए स्वयं को पुन: समर्पित कर दे। अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ के लिए इस तरह की विविध गतिविधियों का प्रबंधन करना मुश्किल था और गांधी जी की हत्या के बाद काम करने के लिए स्वायत्त ट्रस्टों का गठन […]

एक दूसरे को परखने तथा साझे सूत्र तलाशने की यह एक सकारात्मक पहल थी, जिसका सभी साथियों ने दिल खोलकर स्वागत किया। एक दूसरे को समझना और तमाम समस्याओं के समाधान का रास्ता तलाशना इस अभियान का मकसद था, जो इन पांच दिनों में बखूबी पूरा हुआ। महाराष्ट्र सर्वोदय मंडल […]

कोरोना के पहले दौर में तो क्वारंटाइन और लॉकडाउन की अवधि, संक्रमण का डर, निराशा, ऊब, अपर्याप्त आपूर्ति, अपर्याप्त जानकारी, वित्तीय हानि, और कोरोना का कलंक जैसे तनाव के कई स्रोत मौजूद थे। उनका भी तो मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ा होगा? और उनका क्या, जो दोनों ही लहरों में […]

किसान आन्दोलन की सफलता को भी हमें उस लड़ाई से कम करके नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि इस लम्बे संघर्ष में केवल किसानों के भविष्य और देश की राजनीति की दिशा ही तय नहीं होनी थी, बल्कि देश में लोकतंत्र का भाग्य भी तय होना था। किसान आंदोलन के चौदह महीने […]

निस्संदेह विलम्ब से ही सही, प्रधानमंत्री ने बड़ा कदम उठाया है, इसका स्वागत है। लेकिन गुरुनानक जयंती पर इस घोषणा के राजनीतिक निहितार्थ भी हैं। दर असल किसान आंदोलन के कारण भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की […]

अब इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद किसान के हक की लड़ाई का दौर फिर से शुरू होगा. लागत मूल्य पर वाजिब दाम, किसान के अपने हकों का बाजार, सबके लिए सिंचन की व्यवस्था, कृषि फसल के आसान कर्ज, जमीन अधिग्रहण की शर्तें और फसलों के बीमा […]

बाज़ार को इस तरह संचालित किया जाए ताकि किसान को उसकी पूँजी और श्रम के बदले पर्याप्त दाम मिले, ताकि वह रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने के साथ अपनी पूँजी का भी निर्माण कर सके और क़र्ज़दार न हो। विवादास्पद कृषि क़ानून तो वापस हो गए, लेकिन ग्रामीण अर्थ व्यवस्था […]

केन्द्र द्वारा झारखण्ड के साथ सौतेलेपन का बर्ताव किया जा रहा है. ऐसा यहां की सरकार कह रही है. यदि वास्तव में ऐसा है, तो वाकई दु:खद और चिंताजनक है, क्योंकि केन्द्र के पास कई शक्तियां हैं, जिनका इस्तेमाल कर किसी राज्य का या तो भला कर सकती है या […]

वन संरक्षण अधिनियम 1980 में प्रस्तावित संशोधन वन संरक्षण अधिनियम 1980 के संशोधन प्रस्ताव से वनाधिकार कानून 2006 और आदिवासी इलाकों के लिए पंचायती व्यवस्था कानून (पेसा) द्वारा ग्राम सभाओं को प्राप्त अधिकार निष्प्रभावी हो जायेंगे। तीन कृिष कानूनों, सार्वजनिक उपक्रमों को औने-पौने दाम पर बेचने और भारतीय जीवन बीमा […]

हमारे देश में काफी गरीबी है, सरकार का दावा है कि 80 करोड़ लोगो को सरकार अनाज बांट रही है। वर्ष 2021 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 101 वें स्थान पर है। देश का हर नागरिक स्वस्थ रहे, चिकित्सा गरीबों के लिए भी सर्वसुलभ हो, यह प्राकृतिक चिकित्सा के […]

क्या हम आपकी कोई सहायता कर सकते है?