गांधीजी की इस ऐतिहासिक यात्रा के आगामी अगस्त में 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं. इस अवसर पर शांति, प्रेम और भाईचारे का संदेश लेकर अस्वस्थ, विचलित और निराश कश्मीरी जनता से गांधीजी के रास्ते, भूमिका और भाषा के माध्यम से संवाद स्थापित करने के लिए 24 से 30 अगस्त […]
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गांधीवाद केवल एक नैतिक आग्रह नहीं, अपितु एक अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र भी है. इसमें एक ओर वर्तमान आर्थिक जीवन की अनेक समस्याओं तथा सामाजिक जीवन में व्याप्त अनेक जटिलताओं का सम्यक समाधान निहित है, तो दूसरी ओर सुखद मानवीय भविष्य के लिए स्वतःस्फूर्त क्रान्ति की शिक्षादृष्टि भी है. गांधी उस […]
विद्या मनुष्य के जीवन में विकास के द्वार खोलती है। एक सार्थक जीवन जीने का माध्यम बनती है। विद्या मनुष्य को मुक्त कर देती है. यह विद्या आखिर है क्या? इसे जानने, समझने, पहचानने, अपनाने की आवश्यकता है। विद्या में ब्रह्माण्ड की समग्रता, विविधता और अनेकता में एकता का भाव […]
देश का कोई भी नागरिक अपनी मातृभाषा अथवा राष्ट्रभाषा हिन्दी में अपनी फरियाद देश के सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत नहीं कर सकता है, वहां आज भी मैकाले ब्राण्ड अंग्रेजी भाषा का ताला है। आजादी का 75 वां महोत्सव आजादी के 75वें महोत्सव को कैसे मनायें, यह बड़ा गंभीर प्रश्न है। […]
मानव सभ्यता के पिछले 5000 वर्षों के इतिहास में महाभारत तथा राम-रावण के युद्ध ही धर्मयुद्ध थे और वे समाज में ईश्वरीय सभ्यता स्थापित करने के लिए लड़े गये थे। मोहम्मद साहब को भी धर्मयुद्ध करना पड़ा था। उसके बाद जितने भी युद्ध धर्म के नाम पर लड़े गये, उनमें […]
भारत की एकता और एकता से समृद्धि सम्बन्धी दृष्टिकोण व्यापक है. सिद्धान्त और व्यवहार दोनों में, यह दृष्टिकोण वैश्विक महत्त्व का है. इसके मूल में बसे सत्य का सरोकार सम्पूर्ण मानवता से है. जब भारत की राष्ट्रीय एकता और समृद्धि की बात की जाए, तो उसे वसुधैव कुटुम्बकम के परिप्रेक्ष्य […]
अहिंसा के विकास क्रम तथा विश्व की बहुमुखी परिस्थितियों में अहिंसक क्रांति और उसकी प्रक्रिया को समझने समझाने का प्रयास विश्व के अनेक विचारकों ने किया है. सदियों के काल-प्रवाह में अहिंसा विषयक यह चिंतन कहां तक पहुंचा है और समाजों तथा राष्ट्रों को कितनी गति दी है, इसका बेहद […]
जिन्होंने लोकतंत्र के मंदिरों को महाभारत काल की द्यूत क्रीड़ा के आंगनों में बदल दिया हो, जो शकुनी कहलाने में गर्व महसूस करते हों, दुर्योधन वृत्ति जिनका गहना हो, दु:शासन बनकर जनता के चीरहरण पर देश में जिनका अट्टहास गूंजता हो, देश का राजा ही यदि देश के बलरामों को […]
सत्ता इतिहास बन जाती है, पर लोक समाज अपनी शक्ति को हमेशा कायम रखता है। सत्तारूढ़ जमातें लोकसमाज से कभी शक्तिशाली नहीं हो सकती हैं। यही लोकसमाज की लोकतांत्रिक जीवन शक्ति है। इस बात को हर सत्तारूढ़ समूह को हमेशा याद रखना चाहिए। इन दिनों मन में उठा एक सहज […]
देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. यह आज़ादी के आंदोलन और उसके मूल्यों की जीत है. यह उस अहिंसा की जीत है, जिसकी नींव गांधी ने रखी थी. गांधी की अहिंसा क्या थी? अन्याय के खिलाफ विनम्रतापूर्वक सिर तानकर अन्यायियों के सामने खड़े हो जाना और […]