किसान आन्दोलन की सफलता को भी हमें उस लड़ाई से कम करके नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि इस लम्बे संघर्ष में केवल किसानों के भविष्य और देश की राजनीति की दिशा ही तय नहीं होनी थी, बल्कि देश में लोकतंत्र का भाग्य भी तय होना था। किसान आंदोलन के चौदह महीने […]
Year: 2021
निस्संदेह विलम्ब से ही सही, प्रधानमंत्री ने बड़ा कदम उठाया है, इसका स्वागत है। लेकिन गुरुनानक जयंती पर इस घोषणा के राजनीतिक निहितार्थ भी हैं। दर असल किसान आंदोलन के कारण भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की […]
अब इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद किसान के हक की लड़ाई का दौर फिर से शुरू होगा. लागत मूल्य पर वाजिब दाम, किसान के अपने हकों का बाजार, सबके लिए सिंचन की व्यवस्था, कृषि फसल के आसान कर्ज, जमीन अधिग्रहण की शर्तें और फसलों के बीमा […]
बाज़ार को इस तरह संचालित किया जाए ताकि किसान को उसकी पूँजी और श्रम के बदले पर्याप्त दाम मिले, ताकि वह रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने के साथ अपनी पूँजी का भी निर्माण कर सके और क़र्ज़दार न हो। विवादास्पद कृषि क़ानून तो वापस हो गए, लेकिन ग्रामीण अर्थ व्यवस्था […]
केन्द्र द्वारा झारखण्ड के साथ सौतेलेपन का बर्ताव किया जा रहा है. ऐसा यहां की सरकार कह रही है. यदि वास्तव में ऐसा है, तो वाकई दु:खद और चिंताजनक है, क्योंकि केन्द्र के पास कई शक्तियां हैं, जिनका इस्तेमाल कर किसी राज्य का या तो भला कर सकती है या […]
वन संरक्षण अधिनियम 1980 में प्रस्तावित संशोधन वन संरक्षण अधिनियम 1980 के संशोधन प्रस्ताव से वनाधिकार कानून 2006 और आदिवासी इलाकों के लिए पंचायती व्यवस्था कानून (पेसा) द्वारा ग्राम सभाओं को प्राप्त अधिकार निष्प्रभावी हो जायेंगे। तीन कृिष कानूनों, सार्वजनिक उपक्रमों को औने-पौने दाम पर बेचने और भारतीय जीवन बीमा […]
हमारे देश में काफी गरीबी है, सरकार का दावा है कि 80 करोड़ लोगो को सरकार अनाज बांट रही है। वर्ष 2021 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 101 वें स्थान पर है। देश का हर नागरिक स्वस्थ रहे, चिकित्सा गरीबों के लिए भी सर्वसुलभ हो, यह प्राकृतिक चिकित्सा के […]
अपनी ही आंखों पर लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था। लोग देख रहे थे कि दो लाख रुपए के ईनाम वाले बागी, मोहर सिंह, जिनका नाम सुनकर कोई व्यक्ति या समूह नहीं, पूरे इलाके की नींद उड़ जाती थी, वह अपने साथियों के साथ दिन के उजाले में जयप्रकाश […]
मानवाधिकारों से जुड़ी समस्त अवधारणाएं, घोषणाएं और व्यवस्थाएं, जिनमें साइरस से लेकर महात्मा गाँधी या गत बीसवीं शताब्दी में ही अमरीकी अश्वेतों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्षकर्ता मार्टिन लूथर किंग जूनियर तक के व्यक्तिगत विचार, संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की घोषणाएं और विश्व के राष्ट्रों […]
हिन्दू चेतना का विकास रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द, अरविन्द, गांधी एवं विनोबा जैसों के माध्यम से हो रहा था, जो सर्वसमावेशी था और पूंजीवादी साम्राज्यवाद की सभ्यता का निषेध करने वाला था। इसी प्रकार मौलाना आजाद, अशफाकउल्ला जैसों का इस्लाम भी पूंजीवादी साम्राज्यवाद का विरोधी था। राष्ट्र की चेतना सभी प्रकार […]