बहुत से लोग बाबा से सवाल पूछते थे कि अहिंसा क्या मानव तक ही सीमित है। बाबा कहते थे कि मनुष्य को अपनी चित्तशुद्धि के लिए मांसाहार छोड़ देना चाहिए। अगर आप दुनिया में शांति चाहते हैं, तो प्राणियों का आहार आपको छोड़ना पड़ेगा। यह कहते हुए बाब कहा करते […]
Year: 2022
पुण्य स्मरण वे सर्वोदय आन्दोलन की बेहद महत्वपूर्ण शख्सियत थे. उनका जाना सर्वोदय आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है। गांधी पीस फाउंडेशन, राउरकेला के पूर्व कार्यकर्ता और उत्कल सर्वोदय मंडल के पूर्व अध्यक्ष नारायण दास नहीं रहे। 20 जून को दोपहर 12.30 बजे केआईएमएस, भुवनेश्वर में उनका निधन हो गया। […]
अगर हम देश का संरक्षण सशस्त्र सेनाओं पर छोड़ दे रहे हैं और शांति सेना का काम नहीं कर रहे हैं तो सर्वोदय और अहिंसा की आबरू खतरे में है, इसीलिए बाबा आजकल शांतिसेना की बात पर अधिक जोर देने लगे हैं. अक्सर माना गया है कि बीमारी में अगर मनुष्य […]
बाबा को भिक्षा मांगने की आदत नहीं। बाबा तो सभी को दीक्षा देने आया है। काहे की दीक्षा! प्रेम जीवन की दीक्षा। सारा गांव एक परिवार बनकर रहे। जमीन सबके लिए है, उसको सबके पास पहुंचाए। बाबा अभी तक भूमिदान लेते थे, लेकिन अब संपत्तिदान भी लेने लगे। संपत्ति में […]
गंगोत्री घाटी के कोपांग में आईटीबीपी चौकी के समीप यह एक ऐसा अद्भुत और अलौकिक वृक्ष है, जो एक ही वृक्ष में देवदार के बीस विशाल वृक्ष समेटे हुए है। जमीन से ऊपर उठता हुआ मुख्य तना और उसके ऊपर से निकलती इसकी बीस शाखाएं, जो बीस की बीस अपने […]
जन-मन बिरले लोग ही होंगे, जिन्हें औरंगज़ेब के बाद के मुग़ल शासकों के नाम याद होंगे। कभी परीक्षा के लिए याद भी किया होगा तो परीक्षा के फ़ौरन बाद भूल भी गए होंगे। ऐसा होना बिल्कुल स्वाभाविक है, क्योंकि औरंगज़ेब के बाद मुग़ल साम्राज्य बिखर गया था और दिल्ली व […]
जन-मन जल ही जीवन है, यह कहना ही पर्याप्त नहीं है. अपने तथा आने वाली पीढ़ियों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए जल को संरक्षित करने के बारे में अनुसंधान, चिन्तन तथा परिश्रम करना होगा। जल का प्रमुख स्रोत वर्षा है। वर्षा का अधिकांश जल जो हम उपयोग नहीं […]
भवानी शंकर कुसुम द्वारा किये गये प्रयासों और उत्कृष्ट कार्यों के लिए 12 मई 2022 को यूएनसीसीडी कॉप-15 द्वारा आबिदजान, अफ्रीका में उन्हें आधिकारिक रूप से श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। सम्मेलन में 158 देशों से स्वैच्छिक संगठनों तथा सरकारी विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। ग्राम भारती समिति के सदस्य और […]
डॉ बनवारी लाल शर्मा के बारे में सुनकर यह यकीन नहीं होता है कि बीते दशक में कोई ऐसा मनुष्य भी था। उपनिवेशवाद से संघर्ष के पश्चात भारत को स्वतंत्रता मिली। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश आत्मनिर्भरता की राह पर चला। पर 80 के दशक में वैश्विक पूंजीवाद के दबाव […]
धर्म के आधार पर भेदभाव गांवों की तुलना में शहरों में कहीं अधिक है। जाति के आधार पर भेदभाव, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों के खिलाफ, शहरों की तुलना में गांवों में अधिक है। हालांकि लिंग के आधार पर भेदभाव गाँवों के साथ-साथ शहरों में भी है, यह बात स्कूल […]