भूदान यज्ञ विश्व में अभूतपूर्व शांति और समानता का यज्ञ है। यह युग-युगांतर और कल्प-कल्पांतर की अनंत तपस्या तथा साधना का अमृत फल है। यह यज्ञ विश्व की विषमता का आहुति यज्ञ है। यह राजनीति की धर्म नीति है। यह क्रांति, सृष्टि की अभिनव देन है। यह विश्व गरिमा का […]

गांधी शांति प्रतिष्ठान के तत्वाधान में 11 सितम्बर को आचार्य विनोबा की 128 वीं जयंती का कार्यक्रम शास्त्री भवन, खलासी लाइन में मनाया गया. विनोबा के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग महासंघ के अध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने कहा कि भूदान आंदोलन के प्रणेता, महान स्वतंत्रता […]

अहमदाबाद स्थित गांधी आश्रम में 11 सितम्बर को गांधी स्मारक संग्रहालय और अहमदाबाद जिला सर्वोदय मंडल द्वारा संत विनोबा की 128 वीं जयंती मनाई गई। मुख्य वक्ता अमृतभाई मोदी और ऊषाबेन पंडित ने इस अवसर पर ग्रामदान, ग्रामस्वराज और खादी ग्रामोद्योग के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिये। कार्यक्रम में अनेक […]

आचार्य विनोबा का जयंती समारोह 11 सितम्बर को डॉ राम मनोहर लोहिया पब्लिक स्कूल, विनोबा नगर, उन्नाव में मनाया गया. जिला सर्वोदय मण्डल के सौजन्य से आयोजित इस समारोह के मुख्य अतिथि थे पूर्व प्रधानाचार्य रामावतार कुशवाहा तथा अध्यक्षता की उन्नाव जिला सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम शंकर ने. समारोह […]

उस दिन पुणे के आगा खां पैलेस में नजरबन्द बापू, मृत्यु से युद्धरत थे। उनकी हालत इतनी नाजुक थी कि ब्रिटिश हुकूमत ने उनके निधन की स्थिति में सरकारी शोक-सन्देश का मजमून भी चुपके-चुपके तैयार कर लिया था। अपना जन्मदिन मनाने में बापू की अभिरुचि नहीं थी, पर भारत सहित […]

मैं अंग्रेजों का दुश्मन नहीं हूं, परंतु मैं मानता हूं कि इस हुकूमत में शैतानी हवा फैली हुई है। मैं यकीन रखता हूं कि खुदा मुझे ताकत देगा, तो इस मैं सल्तनत को मिटाऊंगा या सुधारूंगा। यह मेरा परम धर्म है। इस सल्तनत को मिटाये बिना न मैं चैन से […]

खुद से सवाल पूछिए कि गांधी किसकी नुमाइंदगी करते हैं, जवाब मिलेगा कि गांधी असभ्यों की नुमाइंदगी करते हैं. हर वह व्यक्ति, जो ‘सभ्य’ होने की परिभाषा में फिट नहीं बैठता, गांधी उसके साथ खड़े हैं, उसकी नुमाइंदगी कर रहे हैं. गांधी के व्यक्तित्व में असभ्यता के इस दर्शन की […]

मियां और महादेव की नहीं बनती खिलाफत आन्दोलन से प्रशस्त हुआ भारत की आज़ादी का रास्ता गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन में सम्मिलित होने का कारण स्पष्ट किया कि यदि वे मुसलमानों को अपना भाई मानते हैं तो उनका कर्त्तव्य है कि उनके संकट के समय उनकी हर संभव सहायता की […]

बीते पचहत्तर बरसों में हमने लोकतान्त्रिक संविधान और संसदीय राजनीति का सदुपयोग करके एक ‘कल्याणकारी राज्य’ की रचना की है. पहले चार दशक राज्य द्वारा निर्देशित नियोजन का रास्ता अपनाया गया. फिर बीते तीस बरस बाजारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के उद्देश्य से खर्च किये गए. फिर भी भारत के गाँवों, […]

इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों से प्रचार का पैकेज तय करते हैं. इसमें एक बड़ा हिस्सा ब्लैक मनी का होता है. लाभार्थी मीडिया भला इस मुद्दे पर क्यों अभियान चलायेगा? अब यह काम आम नागरिकों का है कि चुनावी चंदे की पारदर्शिता और खर्च की सीमा बांधने […]

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