देश अपनी नौजवान, किन्तु बेरोजगार पीढ़ी की पीड़ाओं से कराह रहा है। जब आदमी बेरोजगार हो जायेगा, तब उसकी जेब में पैसे कहां से आएंगे? उसकी आर्थिक जरूरतों की पूर्ति कैसे होगी? इस प्रश्न का उत्तर न लोकतंत्र के पास है, न विज्ञान और टेक्नॉलॉजी के पास है और न […]
Year: 2023
राम मनोहर लोहिया की दृष्टि में यों तो हरेक देश का अपना इतिहास होता है, इतिहास की राजनीतिक, साहित्यिक और दूसरे तरह की कई घटनाएं होती हैं। इतिहास की घटनाओं की एक लम्बी जंजीर होती है, उनको लेकर ही कोई सभ्यता और संस्कृति बनती है। उनका दिमाग पर असर रहता […]
राम विवाह कथा के बहाने देश, समाज, मिथ और जीवन दर्शन का व्याख्यान ब्रम्हमुहूर्त में ऋषि के साधना-क्रम से परिचित अहिल्या, इन्द्र के भोग-प्रस्ताव की विसंगति को थोड़े विवेक से समझ सकती थी। हम सभी समझ सकते हैं। लेकिन ऐसे क्षणों में हम जान बूझकर अनजान बनते हैं। विवेक को […]
राम के इस देश में रामराज्य की अक्सर चर्चा होती है; धार्मिक ही नहीं, सामाजिक तौर पर भी और अब तो राजनीतिक तौर पर भी। दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र का तमगा पाने वाले देश में रामराज्य लाने के दावे अब राजनीतिक मंचों से भी होने लगे हैं, जबकि जमीनी […]
जयप्रभा स्मृति भवन, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुरानी जीप, दो सौ साल पुराने पीपल व बरगद के पास चबूतरा और पार्क बनाने तथा दो सौ साल पुराने वाल्टेयर कुएं को पुनर्जीवित करने की योजना है. सर्व सेवा संघ का वाराणसी कैंपस आजादी के बाद से गाँधी विचार एवं सर्वोदय विचार […]
पुस्तक ‘ओपेन वेन्स ऑफ लैटिन अमेरिका’ उन दस करोड़ लातिन अमेरिकियों का गुस्सा है, जो इतिहास की शापित कब्रों में दफन हैं। ‘ओपेन वेन्स ऑफ लैटिन अमेरिका’, पूंजीवादी जुल्म का वह खूनी दस्तावेज है, जिसे पढ़कर धर्म, व्यापार और सत्ता के कॉकटेल का असली रूप सामने आता है। क्या कोई […]
सोशल मीडिया के जरिये देश भर में यह अफवाह फैलाई जाती है कि नेहरू ने न केवल पटेल, बल्कि उनके पूरे खानदान के साथ दुश्मनी निभाई, जबकि सच यह है कि सरदार पटेल के निधन के बाद उनकी बेटी मणिबेन पटेल, नेहरू के नेतृत्व में लड़े गए पहले और दूसरे […]
भारत के एकीकरण और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका और उनके योगदान को देशवासी सैकड़ों-हजारों वर्षों तक याद रखेंगे। वे सदैव इतिहास के पृष्ठों पर जीवित रहेंगे, भारतीयों को सरदार पटेल पर सदैव गर्व होगा। सरदार वल्लभभाई पटेल भारत की ऐसी अभूतपूर्व राजनीतिक और भौगोलिक एकता […]
हज़ारों भारतीय ग़रीब सिर्फ इसलिए जेलों में जीवन गुजारने को विवश हैं, क्योंकि वे न संविधान की मूल भावना से परिचित हैं और न ही अपने संवैधानिक अधिकार व कर्तव्यों से। वे इतने ग़रीब हैं कि जमानत कराने में उनके परिजनों के घर के बर्तन बिक जायेंगे। जबकि जुर्म बहुत […]