गाँव-गाँव और नगर-नगर में यीशु का उपदेश विनोबा ने गीता, भागवत, धम्मपद, जपुजी, कुरआन आदि अनेक धर्मग्रंथों के नवनीत लिखे हैं। इसके पीछे उनका मन्तव्य दिलों को जोड़ने का रहा है। ख्रिस्त धर्म सार इसी योजना की अगली कड़ी है। इसमें विनोबा ने न्यू टेस्टामेंट का सार सर्वस्व लिखा है। […]
Year: 2023
पाश्चात्य देशों में संगीत द्वारा रोग निवारण की दिशा में बहुत शोध कार्य हुआ है। ऐसे सूत्र ढूंढ़ निकाले गये हैं, जिनके सहारे विभिन्न स्वर प्रवाहों और वाद्य यंत्रों से विभिन्न रोगों की चिकित्सा की जाती है। संगीत को प्रायः मात्र मनोरंजन का साधन समझा जाता है। परंतु अब वैज्ञानिकों […]
सवाल गोहत्या बंदी का जनता गाय के नाम पर हिन्दू-मुस्लिम बनकर लड़ती रहे और कमजोर बनी रहे, इसी में राजनैतिक नेताओं और उद्योगपतियों की भलाई छिपी है। हिन्दुस्तान की जनता जब तक एकजुट नहीं होगी, तब तक गाय का प्रश्न इसी तरह उलझा रहेगा। बात उस समय की है जब […]
यह उन नीग्रो योद्धाओं की कहानी है, जो बहुत गरीब और अशिक्षित थे, लेकिन अमेरिका में रंगभेद के साये में जीने की अपेक्षा जिन्होंने साल भर तक पैदल चलने के कष्ट को बेहतर माना। यह उन वृद्ध नीग्रो स्त्रियों की कहानी है, जिनके पैर थककर चूर हो गये थे, पर […]
नए मनुष्य के निर्माण से ही नए समाज का निर्माण संभव है, लोगों के बीच जाना होगा, संघर्ष तो करना ही होगा, लेकिन केवल संघर्षों से काम नहीं चलेगा, रचनात्मक कार्य हाथ में लेने होंगे, जरूरतमंदों की सेवा करनी होगी, खुद को खपाना होगा – डॉ जीजी परीख स्वतंत्रता संग्राम […]
बापू की कलम से काशी दर्शन काशी यात्रा पर मैंने एक व्याख्यान सुना था, तभी से मेरा काशी जाने का मन था, पर प्रत्यक्ष देखने पर जो निराशा हुई, वह धारणा से अधिक थी। सुबह मैं काशी उतरा। मैं किसी पण्डे के यहां उतरना चाहता था। कई ब्राह्मणों ने मुझे […]
गांधीजी की तीन सिखावनें गांधीजी ने जब कहा कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है, तब उन्होंने हमें यही समझाने की कोशिश की कि हम सबका जीवन ही हमारा वास्तविक संदेश होता है। हम मुँह से कुछ भी कहते रहें, बड़ी-बड़ी बातों से भरे लेख लिखते रहें, लेक्चर और भाषण […]
महात्मा गांधी अपनी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में लिखते हैं कि तीन पौण्ड का एक नासूर था, जबतक यह रद्द न हो जाय, चित्त को शान्ति नहीं मिल सकती। यह नासूर कौन-सा था, जो उनको पीड़ा दे रहा था? दक्षिण अफ्रीका में वकालत करते हुए अभी कुछ ही समय गुजरा […]
जल और जाति का गठजोड़ आज़ादी के 75 साल बाद भी अनसुलझा है और यह सरकार की नीतियों की एक महत्वपूर्ण खामी है। सरकार को दलितों तक पानी की सुरक्षित पहुंच बनाने के लिए अलग प्रावधानों की पेशकश करनी चाहिए। इन प्रावधानों के बिना कोई भी नीति दलितों से अछूती […]
राजनीतिक दलों को धन दान करने का यह एक गुमनाम तरीका है। इसमें दाता की पहचान का खुलासा नहीं किया जाता है। राजनीतिक दलों को कथित रूप से वैध धन प्रदान करने के लिए ये बांड चुनावों के समय के आसपास उपलब्ध हो जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर […]