विश्व पर्यावरण दिवस पर आजादी बचाओ आंदोलन की संगोष्ठी
स्वराज विद्यापीठ, इलाहबाद के सभागार में 5 जून को ‘जल सुरक्षा एवं सामुदायिक व्यवस्था’ विषय पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन हुआ। सभा की अध्यक्षता आजादी बचाओ आंदोलन के वर्तमान प्रमुख डॉ कृष्ण आनंदी ने की, विषयारंभ भी उन्होंने ही किया।
उन्होंने आजादी बचाओ आंदोलन की अबतक की दिशा-दशा का वर्णन किया। जल सुरक्षा के मुद्दे पर उन्होंने प्रो बनवारी लाल शर्मा को उद्धृत करते हुए कहा कि पानी सभी को सुलभ सुलभ होना चाहिए. उन्होंने जल के व्यापार की अवधारणा को सिरे से खारिज करते हुए अपनी बात समाप्त की.
प्रो हेमन्त पाण्डेय ने जल सुरक्षा के मुद्दे को केन्द्र में रखते हुए कई योजनाओं, भविष्य की कार्यप्रणालियों और जनभागीदारी के मुद्दों पर बात रखी। प्रो पाण्डेय के अनुसार सामाजिक व्यवस्था में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं का संघर्ष अधिक रहा है. आवश्यकता है कि महिलाओं को जल संरक्षण तथा जल संवर्धन जैसे विषयों के प्रति जागरूक किया जाये तथा जल संरक्षण संबंधी आंदोलनों में उनकी भागीदारी को और बढ़ाई जाये। सरकारी योजनाओं के सम्बन्ध में प्रो पाण्डेय ने गाँव से महानगर तक की रणनीति बात कही। उनके अनुसार भारत एक विविध भौगोलिकता वाला देश है, जिसकी विशाल जनसंख्या का बड़ा भाग गांवों में रहता है तथा सरकार की परियोजनाओं से उसे अंशतः ही लाभ मिलता है।
प्रो जयंत त्रिपाठी ने जल संरक्षण की पुरानी विधियों, आंकड़ों और प्रौद्योगिकी को अपने भाषण के केंद्र में रखा। श्रृंगवेरपुर की अतिप्राचीन जल-प्रबंधन प्रणाली का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कुओं, तालाबों, पोखरों आदि के महत्व की दिशा में सभा का ध्यान आकृष्ट किया। हाल के समय में सबमर्सिबल पम्प द्वारा अत्यधिक जलादोहन को लेकर उन्होंने जल- संरक्षण के क्षेत्र में जनभागीदारी बढ़ाने की बात कही। डॉ. अतुल मिश्रा ने आजादी बचाओ आयोजन की उपलब्धियों की तरफ सभा का ध्यान आकृष्ट किया तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विरुद्ध खड़े इस आंदोलन की प्रासंगिकता का वर्णन किया।
– प्रियांशु दुबे