महा जनजागरण यात्रा का प्रथम चरण प्रारंभ
सर्व सेवा संघ द्वारा धार्मिक सद्भाव, खादी और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए 9 अगस्त को, अगस्त क्रांति दिवस पर दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर दिन भर का संकल्प सत्याग्रह किया गया, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से अनेक सामाजिक संगठन व कार्यकर्ता शामिल हुए। केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही, गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, महाराष्ट्र प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रमेश दाणे, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज, राजस्थान से आशा बोथरा, सवाई सिंह, तेलंगाना से शंकर नायक, वयोवृद्ध शास्वत सत्याग्रही व सर्वोदय सेवक कृष्ण कुमार खन्ना, डॉ त्रिपाठी, शेख हुसैन, संजय सिंह, अशोक शरण, भूपेश भूषण, पारुल, खुदाई खिदमतगार फैसल मोहम्मद आदि ने सत्याग्रह सभा में अपने विचार रखे। सभा का संचालन संतोष कुमार द्विवेदी और अरविंद अंजुम ने संयुक्त रूप से किया।
गांधी जी के विचार और काम से जुड़े कार्यकर्ता देश में घटते लोकतांत्रिक स्पेस, नागरिक अधिकारों के हनन, बिगड़ते साम्प्रदायिक सद्भाव, बेतहाशा बढ़ती मंहगाई और बेरोजगारी को लेकर चिंतित नजर आए। उन्होंने इस संबंध में अपना क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार इस स्थिति को संभालने-सुधारने के बजाय इसे और बढ़ाने में लगी हुई है। गांधीजनों ने कहा कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी के विचारों और स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत को योजनाबद्ध तरीके से बिगाड़ने व मिटाने का काम कर रही है। महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के नवीनीकरण का प्रस्ताव हो अथवा गांधीजी के नाम पर बनी संस्था गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति की पत्रिका ‘अंतिम जन’ का जून-2022 का अंक ‘सावरकर अंक’ के रूप में प्रकाशित करना हो, यह सब इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। पूरा देश जानता है कि विनायक दामोदर सावरकर गांधी जी की हत्या की साजिश में संलिप्त थे, जिसे कपूर कमीशन ने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है। बावजूद इसके गांधी विचार एवं मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित संस्था द्वारा उनका महिमामंडन किया जा रहा है। गांधीजनों का मानना है कि सावरकर की प्रशंसा के लिए किसी को भी पूरी तरह स्वतंत्रता है, परंतु गांधी और गाँधी विचार की संस्थाओं के सहारे उनका महिमामंडन करना सर्वथा अनुचित, अनैतिक और ढीठ आचरण है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व भाजपा के तमाम नेताओं का सावरकर ही नहीं, गोडसे से भी प्रेम जगजाहिर है, किंतु इसके लिए गांधी विचार की संस्था का कुत्सित उपयोग नाकाबिले बर्दाश्त है। गांधीजनों ने अपेक्षा व्यक्त की कि गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति आधिकारिक रूप से ‘सावरकर अंक’ वापस ले।
सत्याग्रह में शामिल कार्यकर्ता देश में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के फलस्वरूप बिगड़ते साम्प्रदायिक वातावरण और विरोधों व असहमतियों को दबाने के संस्थागत प्रयासों से उत्पन्न भय के माहौल से चिंतित नजर आए। उनका मानना है कि धार्मिक वर्चस्व का यह अभियान, सर्व धर्म समभाव की टेक और धर्म निरपेक्षता की भावना और विचार को नष्ट कर देगा। भारत समन्वय और सामंजस्य की भूमि है। इसे किसी एक धर्म, एक भाषा, संस्कृति के वर्चस्व के अधीन रखने का प्रयास आइडिया ऑफ इंडिया पर कुठाराघात होगा।
सत्याग्रह के दौरान यह बात भी उभर कर आई कि नागरिक अधिकारों पर लगातार हमले किये जा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को फर्जी मुकदमों के जरिये न सिर्फ परेशान किया जा रहा है, बल्कि संदेह के आधार पर जेल भेजे गए नागरिक और कार्यकर्ता जमानत पर छूट न पाएं, इसके लिए पुलिस और सरकारी एजेंसियां एड़ी-चोटी एक कर रही हैं, जबकि जमानत उनका कानूनी अधिकार है। मेधा पाटकर, तीस्ता सीतलवाड़, हिमांशु कुमार, मो जुबैर इसके ताज़ा शिकार हैं। विधि के शासन-सिद्धांत को ठेंगा दिखाते हुए विरोधियों और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बुलडोजर-दंड संस्कृति विकसित की जा रही है, जो अमानवीय ही नहीं, गैरकानूनी भी है। सत्याग्रह में शामिल सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह कानून का राज कायम करे, नागरिकों की आजादी सुरक्षित रखे और भयमुक्त व्यवस्था का निर्माण करे।
राष्ट्रीय ध्वज के लिए खादी की अनिवार्यता समाप्त करना निंदनीय
संकल्प सत्याग्रह में शामिल हुए गांधी विचार के संगठनों एवं कार्यकर्ताओं ने आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के लिए खादी की अनिवार्यता समाप्त किये जाने की निंदा करते हुए गाँधीजनों और नागरिकों से अपील की है कि वे सरकार की इस मंशा को कामयाब न होने दें और खादी का ही राष्ट्रध्वज फहराएं। उनका कहना है कि खादी केवल वस्त्र नहीं, विचार है और उसके पीछे स्वतंत्रता सेनानियों का त्याग, तपस्या और बलिदान निहित है। खादी एकमात्र ऐसा सेक्टर है, जो घनघोर बेरोजगारी के दौर में भी बड़ी संख्या में लोगों को सम्मानजनक रोजगार मुहैया कराता है। बावजूद इसके कारपोरेट लॉबी के दबाव में केंद्र सरकार ने यह अनुचित और अनैतिक निर्णय लिया है, जिसकी चौतरफा भर्त्सना और निषेध किया जाना चाहिए। सरकार के इस अनुचित निर्णय ने खादी वस्त्र से राष्ट्रध्वज के निर्माण के पीछे अंतर्निहित श्रम की प्रतिष्ठा, पवित्रता और आजादी की पावन स्मृतियों को नष्ट करने का काम किया है, इसलिए हम चाहते हैं कि सरकार इस निर्णय को वापस ले।
इस मौके पर गांधीजनों ने कहा कि घर-घर तिरंगा अभियान तब तक अधूरा है, जब तक देश के हर रहवासी के पास कम से कम एक घर न हो। यह सही है कि तिरंगा हमारी आन-बान-शान है, लेकिन यह आन-बान-शान है क्या? वह है हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता और अखंडता। वह कैसे सुरक्षित रहेगी? जब इस देश के सभी नागरिक परस्पर प्रेम, सौहार्द और भाईचारे के साथ रहें, इस देश की विभिन्नता, बहुलता का सम्मान करें और जातीय, धार्मिक व साम्प्रदायिक एकता कायम रखें। यह भावना तभी प्रबल होगी, जब हम संविधान की प्रस्तावना ‘वी द पीपुल ऑफ इंडिया-हम भारत के लोग’ की भावना को हृदयंगम करें।
13 अगस्त को सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष और महामंत्री, कर्नाटक सर्वोदय मंडल के आमंत्रण पर दिल्ली से बैंगलोर पहुंचे। महा जनजागरण यात्रा अभियान के तहत 14 अगस्त को कर्नाटक के 9 जिलों के सर्वोदय कार्यकर्ताओं के साथ अंबेडकर स्टडी सेंटर, गौरी बिदानुर से 16 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की शुरुआत हुई। 4 किलोमीटर चलने के बाद स्थानीय नगर निगम की अध्यक्ष रूपा अनंतराज ने पदयात्रा का स्वागत किया और सभी को गौरी आमा मंदिर में भोजन कराया.
स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी 99 वर्षीय ए नारायण राव भी पदयात्रा में शामिल हुए. उन्होंने पदयात्रियों के साथ अपना जीवन-संग्राम साझा किया और पैदल चलते हुए ही नगर का परिभ्रमण भी किया। रूपा अनंतराज के साथ नगर निगम के कई अन्य पदाधिकारी भी पदयात्रा में शामिल हुए। रास्ते में एक स्थानीय ‘युवक संघ’ ने सर्व सेवा संघ अध्यक्ष के हाथों अपने संघ का ध्वजारोहण भी कराया.
शाम को लगभग 35 की संख्या में पदयात्री पिनाकिनी नदी के किनारे दक्षिण भारत का जालियांवाला बाग कहे जाने वाले शहीदस्थल पर पहुंचे। सभी ने शहीदों की याद में बने स्तंभ पर माल्यार्पण किया और सर्व धर्म प्रार्थना में शामिल हुए। इसके बाद कर्नाटक सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष का निर्वाचन हुआ। महामंत्री गौरांगचन्द्र महापात्र पर्यवेक्षक के नाते उपस्थित थे. सर्वसम्मति से डॉ एचएस सुरेश को अध्यक्ष और डोडेया जी को मंत्री के रूप में निर्वाचित किया गया. चुनाव के बाद सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष का सम्बोधन हुआ.
15 अगस्त को वीरभूमि म्यूजियम के सामने गांधी जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर स्थानीय विधायक शिव नारायण रेड्डी उपस्थित थे। अपने संबोधन में शिव नारायण रेड्डी ने सर्व सेवा संघ की महाजागरण यात्रा की प्रशंसा की और हर प्रकार के सहयोग का ऐलान किया. कार्यक्रम में सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष, कर्नाटक सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष, स्थानीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कर्नाटक प्रदेश सर्वोदय मंडल के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस अवसर पर सर्व सेवा संघ के महामंत्री गौरांगचंद्र महापात्र और महाराष्ट्र सर्वोदय मंडल के लक्ष्मण गोले ने सूत्र यज्ञ किया।
महाजागरण यात्रा के तहत खादी की निरंतरता के पक्ष में तथा तिरंगे को खादीमुक्त करने की कोशिशों के विरोध में एक खादी अभियान चलाया गया, जिसमें देश भर की खादी संस्थाओं, खादी प्रेमियों और खादी भंडारों ने योगदान किया. सर्व सेवा संघ के प्रबन्धक ट्रस्टी और खादी समिति के प्रभारी अशोक कुमार शरण के संयोजन और समाजसेवी मृत्युंजय भाई तथा सेवाग्राम आश्रम के कार्यकर्ताओं की सहायता से कताई कार्यक्रम संपन्न हुआ।-स. जगत डेस्क