भारत सरकार के गृह मंत्रालय (सार्वजनिक अनुभाग) ने 30 दिसंबर, 2021 के एक आदेश में भारतीय ध्वज संहिता (परिशिष्ट-2 देखें) में संशोधन किया। भारतीय ध्वज संहिता-2002 के भाग- I के नए संशोधित पैराग्राफ 1.2 में लिखा है कि- ‘1.2 भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते और हाथ से बुने […]

पुलिस के मुताबिक़ ग्यारह हिन्दू लड़कों ने मुसलमानों का वेश बनाकर अयोध्या की तीन प्रमुख मस्जिदों में जानवर का मांस, धर्मग्रंथ के फटे पन्ने और आपत्तिजनक पर्चे फेंके. इनकी ये आपराधिक हरकतें सीसीटीवी कैमरों में क़ैद हो गयीं, इसलिए पुलिस ने बहुत जल्दी ही षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश करके सात आरोपियों […]

14 मई : पुण्यतिथि बड़े शौक़ से सुन रहा था ज़माना, तुम्हीं सो गए दास्तां कहते-कहते – ‘हमारा संघर्ष यही होना चाहिए कि दुनिया में सामाजिक न्याय हो, भेदभाव खत्म हो, सबके साथ इंसाफ हो, सबकी जरूरतें पूरी हों। हमें इस लड़ाई को लड़ते रहना है, सभी के साथ मिलकर, […]

आपराधिक प्रक्रिया पहचान विधेयक-2022 हम भारत के लोग लोकतांत्रिक गणराज्य में भरोसा करते हैं. जनता अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए लोकसभा और विधान सभा में अपना प्रतिनिधि भेजती है, ताकि भारत की जनता के हित में सम्मानपूर्वक जीवन जीने के कानून बनाये जा सकें, किन्तु हम इसका उल्टा होता हुआ […]

गांव से युक्ति और खादी आयोग से मुक्ति आजादी के आंदोलन में जो खादी स्वतंत्रता का प्रतीक थी, वह आज गुलामी के शिकंजे में है। जब खादी ग्रामोद्योग आयोग अस्तित्व में नहीं था, तब से खादी संस्थाएं देश में काम कर रही हैं। आजादी के बाद खादी संस्थाएं जब खादी […]

अनासक्ति आश्रम कौसानी नेहरू जी ने गांधी जी से जुड़े हर स्थल को तीर्थ की संज्ञा दी थी, उन्होंने कहा था कि यह तीर्थ ईंट और गारे से नहीं बने हैं, यह साधना की ईंट और विचार के गारे से बने तीर्थ हैं। अहंकार और आसक्ति से रहित, दृढ़ता और […]

माना जाता है कि सिर्फ खेती में ही 30-35 प्रतिशत बेरोजगारी कम करने की क्षमता है, खासकर बिहार जैसे प्रदेश में, जहां कृषि आधारित अर्थव्यवस्था ही एकलौता विकल्प है। रोजगार के संबंध में धान, चावल और कुल मिलाकर खेती की जटिलताएं क्या हैं, कैसे हाड़तोड़ परिश्रम करने वाले किसान की […]

पुलस्तेय की ‘कोरोना काल कथा’ देश विदेश में होने वाली परिघटनाओं का जहां जीवंत दस्तावेज प्रस्तुत करती है, वहीं अपने समय और समाज को ज्ञान की विभिन्न अनुशासनों के माध्यम से व्याख्या करने का भी काम करती है। पुलस्तेय की कथा का कैनवास इतना विस्तृत है कि उसमें राजनीति, दर्शन, […]

बुलडोजर कानून का प्रतीक नहीं है। यह विधिक शासन के ध्वस्त हो जाने और सिस्टम की विफलता से उपजे फ्रस्ट्रेशन का प्रतीक है। सरकार विधिसम्मत राज्य की स्थापना के लिए गठित तंत्र है, न कि आतंकित करके राज करने के लिए बनी कोई व्यवस्था। कानून की स्थापना, कानूनी तरीके से […]

राजसत्ता की भूमिका एकतरफ़ा होती दीखती है. न्यायपालिका से इस अन्याय में हस्तक्षेप की उम्मीद घट चुकी है. क़ानून-व्यवस्था को दबंगई से अप्रासंगिक बनाया जा रहा है. इससे राष्ट्रीय एकता को ख़तरा बढ़ रहा है. सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिल रहा है. इसका विरोध करने वालों को हिंदू विरोधी, लिबरल, […]

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