-डॉ. रवीन्द्र कुमार गाँधीजी को विश्वभर में एक राजनेता, एक समाज सुधारक एवं एक महात्मा के रूप मेंस्वीकार किया जाता है. राजनीतिक-सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में गाँधीजी के विचारऔर कार्य समालोचना के विषय रहे हैं, उनके सांस्कृतिक विचारों से स्वयं उनके जीवनकालमें उन्हीं के निकट साथियों-सहयोगियों सहित अनेक अन्य लोग […]
आंदोलन समिति के संयोजक श्री अशोक भारत की गैरमौजूदगी में उनकी भेजी गयी रिपोर्ट युवा समिति के संयोजक श्री बजरंग सोनावड़े ने सभा में पेश की. सर्व सेवा संघ की 26-27 जुलाई, 2021 को सेवाग्राम में आयोजित बैठक में भाग नहीं ले पाने का हमें दु:ख है। दरअसल कुछ पूर्व […]
युवा समिति के संयोजक श्री बजरंग सोनावड़े ने युवा समिति की रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि कोरोना के कारण कोई प्रत्यक्ष बैठक होना संभव नहीं हुआ. इसलिए 15 जून 2021 को अपराह्न 4.00 ऑनलाइन बैठक के जरिये देशभर के साथियों को जोड़ने का प्रयास किया गया. इस आनलाइन मीटिंग में […]
चम्पारण प्रवास के दौरान गांधी जी को वहां की जनता का को जो प्यार, श्रद्धा एवं सम्मान प्राप्त हुआ, वह वहां की भाषा भोजपुरी में आज भी विद्यमान है। अब न अंग्रेज़ हैं, न शोषक जमींदारी प्रथा, न नील की खेती, न डरे, दबे कुचले लोग, पर भोजपुरी के वे कर्णप्रिय गीत और धुनें ज़रूर आज भी गांधी की कीर्तिगाथा को दुहरा रही हैं। चंपारण का क्षेत्र भोजपुरी भाषी क्षेत्र है, जो अंगिका और वज्जिका के क्षेत्रों से मिला हुआ है। इन बोलियों में 1857 के बिहार के महानायकों मंगल पांडेय और वीर कुँवर सिंह की वीरता के बखान का समृद्ध इतिहास है। चंपारण सत्याग्रह ही नहीं, उसके बाद होने वाले असहयोग आंदोलन, दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भगत सिंह की कीर्तिगाथा, नेताजी सुभाष का बेहद ओजस्वी अभियान आदि महत्वपूर्ण घटनाओं पर भी भोजपुरी सहित अन्य बोलियों में बहुत से गीत रचे गए हैं।