सहनशीलता, मानव में विकसित वह अतिश्रेष्ठ गुण है, जो उसके व्यक्तिगत उत्थान के साथ ही उसके वृहद कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। पर्याप्त धैर्य रखते हुए दूसरों के विश्वास, विचार और कार्य को तब तक स्वीकार करना, जब तक वह विश्वास, विचार अथवा कार्य अपने विश्वास, विचार या कार्य […]
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हेलंग प्रकरण हाल ही में चमोली जिले के हेलंग गाँव में हुई घटना से राज्य का आम जनमानस उद्वेलित है। घटना की शुरुआत 15 जुलाई को सीआरपीएफ और पुलिस द्वारा दो महिलाओं की काटी हुई घास छीनने से हुई। उन महिलाओं का कसूर केवल इतना था कि वे सरकारी विकास […]
आंकड़े और अध्ययन बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक असर खेती पर पड़ रहा है। नतीजे में उत्पादन, बीज, मिट्टी, पानी, यहां तक कि भूख, सभी संकट में फंसते जा रहे हैं। क्या इससे पार पाने का कोई तरीका है? क्या हम खेती की अपनी आदतों को बदलकर इस […]
भारतीय अर्थव्यवस्था @ 75 भारत एक विविधतापूर्ण समाज है और भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक जटिल है। इसने पिछले 75 वर्षों में विकास के लिए गंभीर चुनौतियां पेश की हैं लेकिन निस्संदेह चीजें वैसी नहीं हैं, जैसी वे थीं। बड़ी गलती ट्रिकल डाउन […]
देश के राजनीतिक परिदृश्य में पहले महिलाओं की मौजूदगी भले ही कम रही हो, पर यह सच है कि महिलाओं में राजनीतिक चेतना का विकास तेजी से हुआ है. अब महिलाएं यह जानने का प्रयास करने लगी हैं कि समाज महिलाओं के हितों के प्रति कितना चैकन्ना है, महिलाएं पहले […]
पलाश हमारे आयुर्वेद में वर्णित अति महत्वपूर्ण वृक्ष है। कुछ दशक पहले लगभग हर गाँव में पलाश के पेड़ या वन हुआ करते थे, आज पलाश के वन काटकर खेत बनाये जा चुके हैं। इसके संरक्षण के लिए जन जागरण किये जाने की जरूरत है। आइए, जानते हैं कि कितना […]
विकास करते-करते पचास साल पहले की जिंदगी को छोड़कर हम बहुत आगे निकल चुके हैं. पीछे जाना संभव नहीं है. मुझे लगता है कि ‘विकास’ की जिस अंधी गुफ़ा में इंसान घुस गया है, उसमें सिर्फ जाने का रास्ता है, निकलने का नहीं. गुफ़ा में आगे घना अंधेरा है, जिससे […]
मानव जीवन का अस्तित्व प्रकृति के संतुलन पर आधारित है. विकास की अंधी दौड़ में मानव समाज प्रकृति को व्यापक तौर पर क्षतिग्रस्त कर चुका है. वर्तमान वस्तुस्थिति यह है कि अपनी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के लिए हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है. भौतिक विकास के जिस आयाम तक […]
जीएसटी परिषद की 47 वीं बैठक ने एकाउंटिंग के स्तर पर, जीएसटी के विवाद कम करने और कंप्लायंस में कुछ सहूलियतें जरूर दी हैं, लेकिन सोलह राज्यों की राजस्व क्षति का सवाल अनसुना करके सरकार ने अपने एक राष्ट्र-एक टैक्स के गाजे-बाजे का स्वर स्वयं ही बेसुरा कर दिया है। […]
ग्रामीण पुनरुत्थान का छत्तीसगढ़ मॉडल आजादी के बाद हमने जिस शहर केंद्रित विकास मॉडल को अपनाया, उसने ग्रामीण भारत के अस्तित्व को ही संकट में डाल दिया। ग्रामीण विकास के कुछ सफल प्रयोग ग्राम्य स्तर पर अवश्य हुए, लेकिन इससे ग्रामीण भारत की निराशा कम नहीं हुई। छत्तीसगढ़ में पहली […]