गांधी जी आंदोलन विधिवत शुरू करने से पहले वायसराय और गवर्नर जनरल को पत्र भेजकर उनके उत्तर की प्रतीक्षा करना चाहते थे, लेकिन अचानक गिरफ्तारी के चलते वे कांग्रेस जनों को आंदोलन के दिशानिर्देश जारी नहीं कर सके। कांग्रेसी समाजवादी पहले से तैयार थे, इसलिए क्रांति की कार्रवाइयां उनके ही […]

इस अमृत काल में हर धर्म में ‘कुछ लोग’ हैं, जो अपने-अपने धर्म को अतीत यात्रा पर ले जाने को कटिबद्ध हैं. उनको लगता है कि उनके धर्म के स्वरूप में ही सृष्टि का परम सत्य छिपा है और आज ज्ञान, विज्ञान, दर्शन, गणित, अर्थशास्त्र आदि जो कुछ भी अच्छा […]

आज भी सावरकर की तस्वीर संसद के सेंट्रल हाल में गांधी के ठीक अपोजिट लगी है। एक को देखने के लिए आपको दूसरे की तरफ पीठ करनी पड़ेगी। स्थान; लन्दन स्थित क्रॉमवेल स्ट्रीट में बना इंडिया हाउस! साल 1909! महीना अक्टूबर की एक सर्द शाम! इंडिया हाउस के ऊपरी तल […]

महात्मा गांधी और विनायक सावरकर खुद पीछे रहकर षडयंत्र रचना और भावुक व बहादुर युवकों को प्रेरित कर उनसे हत्याएं करवाना! सावरकर की यही कुशलता थी, लेकिन यह कुशलता भी भय और मत्सर से उपजी हुई थी। महात्मा गांधी लगभग 80 वर्ष की उम्र में एक वीर तरुण की भांति […]

देश का पैसा देश का इतिहास बदलने में बरबाद किया जा रहा है। नया संसद भवन बनाना, नया प्रधानमंत्री निवास बनाना, नया वार मेमोरियल बनाना, अमर जवान ज्योति के साथ छेड़छाड़ करना औऱ अशोक स्तंभ के मूल स्वरूप को बदलना आदि इसी कड़ी के हिस्से हैं. वह तो ऐतिहासिक तथ्य […]

वर्तमान केन्द्रीय सरकार जिस दक्षिणपंथी विचारधारा से संचालित है, उसकी आस्था लोकतंत्र में नहीं है। वे महज लोकतंत्र का नारा लगाते हैं और लोकतंत्र के सारे अवसरों का इस्तेमाल लोकतंत्र को खत्म करने में करते हैं। इसलिए आजादी का अमृत महोत्सव उनके लिए महज अमृतपान का एक मौका भर है। […]

छत्तीसगढ़ के हरिहरपुर स्थित परसा कोयला खदान के आवंटन का मामला ग्रामवासियों की मुख्य मांग है कि जंगल, जमीन, जैव-विविधता, जल स्रोत, वन्य प्राणियों के रहवास, आदिवासियों की आजीविका, संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को खनन मुक्त रखते हुए प्रस्तावित सभी कोयला खदानें निरस्त […]

टेलीग्राफ एक पाठक के तौर पर दशकों तक टेलीग्राफ के साथ इश्क वाला रिश्ता रहा। मगर आज उसी टेलीग्राफ की सूरत देखकर आए दिन मन खीझ जाता है। खबरों पर विचारों को हावी होते देखना अच्छा नहीं लगता। जर्नलिज्म के जिस स्कूल में शिक्षा-दीक्षा हुई, वह इस परिवर्तन को स्वीकार […]

जिस हत्यारी विचारधारा ने तीन गोलियां मारकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जर्जर काया का अंत किया, वही विचारधारा आज बापू की वैचारिक विरासत को मिटाने के काम में लगी हुई है। आजादी की 75वीं और भारत छोड़ो आंदोलन की 80वीं वर्षगांठ मना रहा भारत, वह भारत नहीं रह गया है, […]

जेपी आंदोलन का आफ्टर इफेक्ट जो काम अंग्रेज 190 साल के शासन के दौरान नहीं कर पाये, वह जेपी से वीपी सिंह तक के दस-पंद्रह सालों के दौरान हो गया। सन 1974 के जेपी आंदोलन का प्रभाव राजनैतिक था, यह सच का एक पहलू है। उस समय के राजनैतिक दलों […]

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