पिछली सरकारों ने हमारी आर्थिक संरचना को बीमार बना दिया था, लेकिन मोदी सरकार ने तो देश की बीमार आर्थिक संरचना को आईसीयू में डालकर मरणासन्न कर दिया है। इतनी ढीठ, बेरहम, अहंकारी और दुस्साहसी सरकार भारत में कभी नहीं रही। देश में किसानी और बेरोज़गारी के सवाल पर हाहाकार […]

मनरेगा ने व्यापक स्तर पर पलायन को रोकने का काम किया है। इस योजना के जरिये अब ग्रामीण इलाकों में भी जरूरतमंदों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। मनरेगा के प्रभाव के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य दैनिक मजदूरी बढ़ने से बहुत से परिवार अब शहरों में जाने की बजाय, […]

जो लोग काम करना चाहते हैं, पर काम नहीं मिलता, कुल श्रम बल के सामने उनके प्रतिशत को अर्थशास्त्र में बेरोजगारी कहा जाता है। जैसे, 100 लोगों में 90 के पास काम हो और 10 लोग काम खोज रहे हों। तो बेरोज़गारी की दर 10/100 यानी 10 प्रतिशत होगी। ये […]

22 फरवरी कस्तूरबा पुण्यतिथि बापू के सहजीवन के प्रखर नाटक की शांत नायिका के रूप में कस्तूरबा अपने पति के साथ कारावास में गयीं, तीन-तीन सप्ताहों के अनशनों में पति के साथ स्वयं भी उपवास करती रहीं और पति की अनंत जिम्मेदारियों में अपने हिस्से की जिम्मेदारियां संभालती रहीं। गांधी […]

आदमखोर अर्थनीति से सेवा अर्थनीति की ओर आर्थिक सरगर्मियों के विचार को हम इन पांच तरह की सूरतों से जाहिर कर सकते हैं – आदमखोर, लुटेरा, कारोबारी, गिरोहबंद और सेवा। इन सबके उसूल अलग-अलग हैं। आदमखोरों में खुदखोरी और हक का बोलबाला है और बिना पैदा किये खर्च किया जाता […]

किसी विशिष्ट सत्कार्य को संपन्न करने के लिए इस पृथ्वी पर अवतरित होने वाले सभी महापुरुषों के जीवन के साथ कोई न कोई सांकेतिक अर्थ जुड़ा रहता है। भारतीय एकता की खातिर नाट्यमय रीति से हुई गांधी जी की मृत्यु ने प्रत्येक महाद्वीप में आपसी फूट और कलहों से विदीर्ण […]

भारतीय संस्कृति तो नदियों को पोषणकारी मां मानकर व्यवहार करती रही है। आज की शोषणकारी सभ्यता नदियों का इस्तेमाल उद्योगों के लिए मालगाड़ी की तरह करती है। नदियों को बाजार की बस्तु बनाने की साजिश दिखती है। इस साजिश को रोकना हमारे समय का सबसे जरूरी काम है। नदियों का […]

गंगा को 2009 में राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया था और डॉल्फ़िन को राष्ट्रीय जलीय जीव। डॉल्फ़िन गंगा प्रणाली के लिए अद्वितीय जलचर है। पहले बंगाल की खाड़ी से लेकर हरिद्वार तक गंगा में डॉल्फ़िन हुआ करती थीं। गंगा की डॉल्फ़िन के पुराने रिकॉर्ड हैं। लेकिन जब बैराज बनाये, तो […]

वैदिक विमर्श से लेकर आधुनिक ज्ञान-विज्ञान तक भगवती गंगा अत्यंत गंभीर चिंतन का केंद्र बिंदु रही हैं। गंगा की उत्ताल लहरों से भ् तरंगित होती है। लोक मानस का धार्मिक और आध्यात्मिक वैभव मां गंगा को पाकर गौरवान्वित होता है। जीवन का सार तत्व मां गंगा में समाहित है। अफसोस, […]

अंग्रेजों ने गंगा के साथ वही सलूक किया, जो यहां के लोगों के साथ किया। गंगा के साथ सरकार का अंग्रेजों वाला ही रिश्ता आज भी है। आजाद होने के बाद गंगा को तो पता ही नहीं चला कि यह सब इतना चुपके चुपके कैसे और कब हो गया। गंगोत्री […]

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