मेरा पहला ही प्रश्न था कि जब आप अनपढ़ हैं, तो फिर पत्रिका पढ़ते कैसे हैं? मैं इसे घर ले जाकर बच्चों से पढ़वाता हूं और कुछ-कुछ नक्शा जोड़कर समझ लेता हूं। नक्शा जोड़कर? और क्या, अक्षर भी तो नक्शे ही होते हैं। कितनी गहरी बात है! शिवमुनि अनोखे पाठक […]
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बीते दिनों जर्मन टेलीविजन चैनलों पर एक नई डॉक्यूमेंट्री फिल्म आई है. यह फिल्म पश्चिम अफ्रीका के जंगलों में सैर कराती है. जानवरों के साम्राज्य में मनुष्य के सबसे करीबी रिश्तेदार कितने बुद्धिमान हैं? इनके पूर्वज किस प्रकार के समाजों में रहते थे? क्या इनके जीवन में हिंसा भी है? […]
आंदोलन की सफलता ने कुछ चीज़ें निश्चित कर दी हैं। जैसे, इस देश में महात्मा गांधी का विचार अभी ज़िंदा है। जनता में जान है। आंदोलन मरे नहीं हैं। आंदोलन किस तरह सफल होते हैं, उसकी राह फिर से स्पष्ट हुई है। संविधान सर्वोपरि है। जनता सरकार के लिए नहीं, […]
संविधान नाम का ग्रन्थ, ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ का कुरान, गीता, गुरुग्रन्थ और अवेस्ता है। ये एक नवनिर्मित राष्ट्र के एस्पिरेशन्स की सूची है। इसकी उद्देश्यिका कुछ लक्ष्य तय करती है, इसके नीति निर्देशक तत्व आने वाली सरकारों को उनकी पॉलिसी के लिए गाइडलाइन देते हैं और नागरिकों के लिए गारंटेड […]
जब देश में किसी को तोपों से लैस फिरंगियों से लड़ने का तरीका नहीं मालूम था, तब पूरा देश गांधी के पीछे खड़ा था. लेकिन ज्यों ही आजाद होने की सुगंध महसूस हुई, गांधी को सुनने वाला कोई नहीं बचा, गांधी पीछे छूट गये। गांधी जी को लेकर आज समाज […]
अमेरिका में पेंसिलवेनिया के निकट देहाती क्षेत्र में एक गांव है पेरेक्सीर। वहीं हमारी एक शांत-सी झोपड़ी है। 31 जनवरी 1948 का वह दिन भी सामान्य दिनों की तरह ही आरम्भ हुआ। एकाएक गृहपति कमरे में आये। उनकी मुखमुद्रा गम्भीर थी। उन्होंने कहा, “रेडियो पर अभी एक अत्यन्त भयानक समाचार […]
गांधी जी की यह इच्छा थी कि उनका आश्रम अछूतों के लिए स्वयं को पुन: समर्पित कर दे। अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ के लिए इस तरह की विविध गतिविधियों का प्रबंधन करना मुश्किल था और गांधी जी की हत्या के बाद काम करने के लिए स्वायत्त ट्रस्टों का गठन […]
कोरोना के पहले दौर में तो क्वारंटाइन और लॉकडाउन की अवधि, संक्रमण का डर, निराशा, ऊब, अपर्याप्त आपूर्ति, अपर्याप्त जानकारी, वित्तीय हानि, और कोरोना का कलंक जैसे तनाव के कई स्रोत मौजूद थे। उनका भी तो मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ा होगा? और उनका क्या, जो दोनों ही लहरों में […]
किसान आन्दोलन की सफलता को भी हमें उस लड़ाई से कम करके नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि इस लम्बे संघर्ष में केवल किसानों के भविष्य और देश की राजनीति की दिशा ही तय नहीं होनी थी, बल्कि देश में लोकतंत्र का भाग्य भी तय होना था। किसान आंदोलन के चौदह महीने […]
निस्संदेह विलम्ब से ही सही, प्रधानमंत्री ने बड़ा कदम उठाया है, इसका स्वागत है। लेकिन गुरुनानक जयंती पर इस घोषणा के राजनीतिक निहितार्थ भी हैं। दर असल किसान आंदोलन के कारण भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की […]