सर्व सेवा संघ परिसर, वाराणसी में चार दिवसीय सम्पूर्ण क्रांति युवा शिविर
सर्व सेवा संघ वाराणसी परिसर में 1- 4 जून के बीच सम्पूर्ण क्रांति युवा शिविर का आयोजन किया गया. जेपी आंदोलन के सेनानी राम धीरज ने शिविर का उद्घाटन किया और इस अवसर पर युवाओं को सम्पूर्ण क्रांति के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि 5 जून 1975 को गांधी मैदान, पटना में जेपी ने एक विशाल जनसभा में सम्पूर्ण क्रांति यानी व्यवस्था परिवर्तन का आह्वान किया था, जो स्थिति 1975 में महंगाई और बेरोजगारी की थी, आज के हालात उससे कहीं अधिक भयावह हैं। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि जैसे उस समय नौजवान सड़कों पर निकले थे, वैसे ही आज भी उन्हें सामने आना होगा। सभा की अध्यक्षता रायबरेली से आये गांधीवादी नेता रवीन्द्र सिंह चौहान ने की और संचालन रूद्र प्रताप ने किया। सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद सिंह कुशवाहा, समाजवादी रवींद्र दुबे, सत्येंद्र सिंह, ओम प्रकाश अरुण तथा मंगलम, अंकित, शुभम, कहकशा खान आदि युवावों ने शिविर में अपने विचार व्यक्त किये।
उद्घाटन सत्र के बाद ‘शिक्षा की चुनौतियां और समाधान’ विषय पर चर्चा हुई। इस सत्र में मुख्य वक्ता भोपाल से आये हुए अरण्यानी संस्था के प्रमुख संदीप सक्सेना ने मैकाले की शिक्षा की चर्चा करते हुए बताया कि अंग्रेजों ने भारतीय शिक्षा दृष्टि को ही नष्ट कर दिया, इससे हम गुलामी के दुष्चक्र में हम फंस गए। जब तक हम भारत की मौलिक दृष्टि, परंपरा और सम्पदा की पहचान नहीं कर लेते, तब तक पुनर्निर्माण भी नहीं कर सकते। उन्होंने आदिवासी गांवों का उदाहरण देते हुए बताया कि उनकी अपनी संस्कृति, परंपरा और पहचान है, लेकिन सरकार उनकी संस्कृति को नष्ट करके उनकी सम्पदा लूट रही है। उन्होंने कहा कि जब शहर की चमक बढ़ती है, तब गांव बदरंग होता है। अन्त में धन्यवाद देते हुए गीता शर्मा ने कहा कि युवा अपनी जिम्मेदारियों को समझें और एक बेहतर भारत बनाने के काम में आगे आयें।
दूसरे दिन के प्रथम सत्र में चेन्नई से आये तुला संस्था के संस्थापक इंजी अनंथू ने किसानों के साथ अपने काम के अनुभव के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि हम किसानों से मिलकर उनको जैविक खेती के लिए प्रेरित करते हैं और उनके द्वारा उत्पादित सामानों की खरीद करते हैं, जिससे किसानों को उनके श्रम का सही मूल्य मिल जाता है। छत्तीसगढ़ के चर्चित समाजकर्मी इंजी प्रदीप शर्मा गांव में कई दशक से काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना को चलाकर ग्रामीणों को स्वावलंबी और सशक्त बनाया गया है। इस सत्र में आलोक, सत्येंद्र सिंह, संध्या आदि ने अपनी बात रखी।
‘स्वास्थ्य और पर्यावरण’ पर चर्चा करते हुए डॉ सच्चिदानंद ने कहा कि हमारे जीवन और खान- पान-व्यवहार में संयम नहीं होने की वजह से हम बीमार होते हैं। असंयमित और असंतोषी जीवन से ही पर्यावरण का नाश होता है। प्राकृतिक चिकित्सक डॉ एनपी यादव ने कहा कि कब्ज और म्यूकस रोग का सबसे बड़ा कारण है। इसे उपवास, एनिमा और पानी की पट्टी से ठीक कर सकते हैं। सौरभ सिंह के अनुसार मनुष्य की बीमारी का सबसे बड़ा कारण दूषित हवा और पानी है। औद्योगीकरण ने हमारी नदियों और हवा को प्रदूषित कर दिया है। लखनऊ से आये आलोक सिंह ने भारत की विभिन्न चिकितसा पद्धतियों का उल्लेख करते हुए बताया कि एलोपैथी और आयुर्वेद के अतिरिक्त प्राकृतिक चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, मर्म चिकित्सा, प्राणिक हीलिंग, जर्राह जैसी अनेक चिकित्सा पद्धतियां हैं। स्वदेशी और स्वावलंबन की चर्चा करते हुए राम धीरज ने कहा कि स्वदेशी केवल कुछ वस्तुओं का उत्पादन मात्र नहीं है, बल्कि स्थानीय साधनों और स्वयं के श्रम से उत्पादन करके प्रकृति और पर्यावरण को बचाना है। इस सत्र की अध्यक्षता रामानंद सनातनी ने की।
शिविर के अंतिम दिन राष्ट्रीय सामाजिक विमर्श पर चर्चा करते हुए डॉ राकेश रफीक ने कहा कि भारत की संस्कृति सर्व धर्म समभाव की संस्कृति रही है। अंग्रेजों ने कूटनीतिक तरीके से देश का बंटवारा कर दिया। सर्व सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष अमर नाथ ने कहा कि धर्म आचरण और आस्था की वस्तु है, लेकिन जब धर्म संगठित होता है तो वह संप्रदाय बन जाता है। कोई भी धर्म आपस में लड़ना नहीं सिखाता। धर्मों के बीच लड़ाई तो राजनेताओं और धार्मिक नेताओं के कारण ही होती है। मूलतः सभी धर्म प्रेम ही सिखाते हैं, क्योंकि ईश्वर प्रेम है। इस सत्र की अध्यक्षता राजेंद्र मिश्रा ने की, संचालन डॉ रवि प्रकाश गुप्ता ने किया। सभा का संचालन रुद्र प्रताप और धन्यवाद ज्ञापन गीता शर्मा ने किया। शिविर को सुचारु रूप से चलाने में रुद्र प्रताप, जयसागर, सुभाष दीक्षित, सुरेश सेवार्थ, धीरेंद्र, डॉ एन पी यादव, तारकेश्वर सिंह, विनोद, आबिद भाई और नंदकिशोर आदि साथियों ने भरपूर सहयोग दिया।
-रूद्र प्रताप