भाषण में बच्चे ने नाथूराम गोडसे को बताया आदर्श
गांधी जहां पैदा हुए, वह गुजरात हो या जहां पहुंचकर गांधी ने फिरंगियों की गुलामी के खिलाफ अपने लोगों के मन में क्रांति भर दी, वह चम्पारण हो, नफरत की भावना में आकंठ डूबे लोगों में इन प्रतीकों की लज्जा भी नहीं बची. अभी चम्पारण के मोतीहारी में गांधी जी की प्रतिमा के साथ लगातार दो दिन तक तोड़फोड़ करने की खबर पुरानी भी नहीं पड़ी थी कि तबतक राष्ट्रपिता के गृह राज्य गुजरात से भी विचलित करने वाली यह खबर प्रकाश में आयी है.
इतिहास की सच्चाइयों को तोड़ मरोड़ कर अपने राजनीतिक हितों के मुफीद बनाने के लिए हमारे हालिया इतिहास के नायकों, खासकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ देशव्यापी मुहिम यूं तो लम्बे समय से चलाई जा रही है, पर पिछले कुछ वर्षों में, जबसे हत्यारे नाथूराम गोडसे के वैचारिक समर्थकों के हाथ सत्ता लगी है, यह कुत्सित अभियान न सिर्फ तेज हुआ है, बल्कि अब वह अपना असर भी दिखा रहा है. गांधी जी के विरुद्ध लगातार और योजनाबद्ध विष वमन से बने वातावरण के कारण ही देश के अनेक शहरों में उनकी मूर्तियों पर हमले बढ़े हैं. गांधी के देश में गांधी की हत्या के 74 साल बाद भी उनके चित्रों पर गोलियां चलाकर खुद को देशभक्त घोषित किया जाता है. गांधी जिस देश के राष्ट्रपिता हैं, उस देश का अब शायद ही कोई ऐसा हिस्सा बचा हो, जहां इन गांधी विद्रोहियों ने दखल न किया हो. ऐसे अनेक लोग देश की संसद तक भी पहुंच गये हैं, जो खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं और राष्ट्रपिता से घृणा करते हैं. भारत की नौकरशाही, भारत की न्याय प्रणाली और भारत की राजनीति में ऐसे लोगों को पिछले कई दशकों में योजनापूर्वक लाया गया है. हैरतअंगेज बात है कि देश की शिक्षा व्यवस्था भी अब इस वैचारिक प्रदूषण से मुक्त नहीं रही.
गांधी जहां पैदा हुए, वह गुजरात हो या जहां पहुंचकर गांधी ने फिरंगियों की गुलामी के खिलाफ अपने लोगों के मन में क्रांति भर दी, वह चम्पारण हो, नफरत की भावना में आकंठ डूबे इन लोगों में इन प्रतीकों की लज्जा भी नहीं बची. अभी चम्पारण के मोतीहारी में गांधी जी की प्रतिमा के साथ लगातार दो दिन तक तोड़फोड़ करने की खबर पुरानी भी नहीं पड़ी थी कि तबतक राष्ट्रपिता के गृह राज्य गुजरात से भी विचलित करने वाली एक खबर प्रकाश में आयी है. खबर है कि गुजरात के एक स्कूल में बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे पर बच्चों के बीच एक प्रतियोगिता आयोजित की गयी। बताया गया कि इस कंप्टीशन में भाषण के दौरान एक बच्चे ने बापू की बुराई कर नाथूराम गोडसे को अपना रोल मॉडल करार दिया। मामला सामने आने पर विवाद खड़ा हुआ और बाद में सम्बंधित अफसर को सस्पेंड कर दिया गया।
यह मामला तब सामने आया, जब अखबारों ने यह दावा करते हुए खबरें छापीं कि एक स्टूडेंट ने ‘मेरा रोल मॉडल – नाथूराम गोडसे’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता जीती है। एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को इस बारे में बताया कि गुजरात सरकार ने वलसाड जिले की यूथ डेवलपमेंट अफसर मीताबेन गवली को ‘मेरा रोल मॉडल- नाथूराम गोडसे’ विषय पर स्कूली छात्रों के बीच भाषण प्रतियोगिता कराने पर निलंबित कर दिया। निलम्बन आदेश में कहा गया है कि विभाग के वलसाड कार्यालय की तरफ से 14 फरवरी को एक प्राइवेट स्कूल में हुई भाषण प्रतियोगिता के लिए विषय चयन में अधिकारी को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए थी। यह प्रतियोगिता पूरे वलसाड जिले के 11 से 13 वर्ष की आयु वर्ग के प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए थी। निलंबन आदेश में यह भी कहा गया है कि 14 फरवरी को आयोजित जिलास्तरीय प्रतियोगिता में स्कूली बच्चों को चुनने के लिए तीन विषय दिए गए थे। गवली की ओर से दिए गए विषयों में से एक ‘मेरा रोल मॉडल- नाथूराम गोडसे’ था। अन्य दो विषय थे ‘मुझे केवल वही पक्षी पसंद हैं, जो आसमान में उड़ते हैं’ और ‘मैं वैज्ञानिक बनूंगा, लेकिन अमेरिका नहीं जाऊंगा।’
विद्यालय की प्रशासक अर्चना देसाई ने बताया कि हमने इस प्रतियोगिता के आयोजन के लिए केवल अपना स्कूल परिसर विभाग को उपलब्ध कराया था। न केवल विषय, यहां तक कि प्रतियोगिता के लिए निर्णय करने वालों का चयन भी वलसाड जिला कार्यालय द्वारा ही किया गया था। यद्यपि इस तरह के बयान देकर जिम्मेदार लोग हर बार अपना पल्ला इसलिए झाड़ लेते हैं कि उन्हें अपना गला फंसता हुआ दिखाई देता है. प्रज्ञा ठाकुर ने भी जब नाथूराम की तारीफ़ में कसीदे पढ़े तो खुद प्रधानमंत्री ने भी इसी तरह पल्ला झाड़कर अपना गला बचाया था. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सजाप्राप्त किसी घोषित अपराधी की इस तरह अभ्यर्थना करना मानसिक दिवालियेपन का संकेत तो है ही, गैरकानूनी भी है, किसी हत्यारे का समर्थन करने वाली यह मानसिकता हत्यारी मानसिकता भी है. देश का दुर्भाग्य है कि देश में ऐसी मानसिकता फलफूल रही है.
-सर्वोदय जगत डेस्क