विनोबा सेवा आश्रम बरतारा में रहना गत चार दशक से हो रहा है, लेकिन इस बार एक अलग अनुभव आ रहा है, क्योंकि आपरेशन के बाद की सावधानियों को ध्यान रखने की विश्राम की स्थिति में यहां रहना हो रहा है।
आज बाबा की शुभ संख्या ग्यारह मई का दिवस है। याद आ रहा है, अभी कुछ दिन पहले 11 मार्च को ठीक 11 बजे गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर के प्रख्यात सामवेद अस्पताल से रीढ़ के आपरेशन के बाद विश्राम हेतु सोमनाथ छात्रालय के अतिथि आवास के लिए आदरणीय संदीप भाई के साथ विदाई हुई थी। यह विदाई ऐसा नहीं लग रहा था कि अस्पताल से हो रही है, क्योंकि यह अस्पताल भी ऐसा अद्भुत था, जहां किसी प्रकार की पीड़ा या दुःख का कभी अहसास ही नहीं हुआ। डा. भरत पटेल और उनकी टीम के आत्मिक स्नेहिल व्यवहार की याद आ ही जाती है। मेरे कक्ष की मंजिल पर ही उनकी ओ टी थी, तो डॉ पटेल के दर्शन दिन में एक दो बार ऐसे ही हो जाते थे. एक बार तो कक्ष में उनकी उपस्थिति गोसेवा प्रकल्प की चर्चा हेतु ही हो गयी थी। उनकी गायों के प्रति अद्भुत सेवा भावना सुनकर हम सब धन्य हो जाते थे। गाय के गोबर, गोमूत्र से क्या क्या बन सकता है, इसका दर्शन वे करा देते थे। कई बार तो उनकी चर्चा चाहे जयेश भाई से हो या अनार बेन से हो, उस चर्चा के आनंद में हम आपरेशन की छुटपुट पीड़ा बताना भूल ही जाते थे।
विनोबा सेवा आश्रम बरतारा में रहना गत चार दशक से हो रहा है, लेकिन इस बार एक अलग अनुभव आ रहा है, क्योंकि आपरेशन के बाद की सावधानियों को ध्यान रखने की विश्राम की स्थिति में यहां रहना हो रहा है। वैसे देखा जाए तो श्रम स्वाध्याय मंदिर में वर्ष 1996 में एक वर्ष रहने का संकल्प इससे कठिन था, लेकिन पूरे परिसर में घूमना फिरना, मेहनत करना अपने हाथ में था। जय प्रभा कुटीर छीतेपुर में भी तीन, छः और नौ माह रहने के संकल्प पूर्ण हुए, लेकिन वहां खेत में परिश्रम करने की आजादी थी। इस विश्राम अवधि में सभी प्रकार की एक्सरसाइज पर विराम है। आश्रम परिवार से विमला बहन चूंकि अहमदाबाद में साथ में थीं, तो वे और ज्यादा उसकी परवाह करती हैं। मुदित के दोनो बेटे हार्दिक और सार्थक भी बाबा का बहुत ध्यान रखते हैं। अदिति आज कल की आधुनिकता के आधार पर मौसाजी को क्या पौष्टिक होगा, उसकी व्यवस्था ऑनलाइन तक करने में पीछे नहीं रहती। जीवन में सेवा लेने का एक मौका ऐसा आया, ऐसा मानें। अभी तो हम पूर्ण आश्रम या गौशाला परिसर में भी नहीं जा सके हैं। बच्चों के परिणाम पत्र बांटने एक दिन मात्र इंटर कालेज तक गाड़ी से गए थे।
उनकी गायों के प्रति अद्भुत सेवा भावना सुनकर हम सब धन्य हो जाते थे। गाय के गोबर, गोमूत्र से क्या क्या बन सकता है, इसका दर्शन वे करा देते थे।
डॉ भरत पटेल की कल प्राप्त हुई सहमति के आधार पर आज शाहजहांपुर शहर में 11 बजे प्रख्यात समाजसेवी आदरणीय रघुवर दयाल अग्रवाल की प्रथम पुण्यतिथि का कार्यक्रम है। उसमें जाकर बाहर जाने की थोड़ी बहुत शुरुआत करेंगें। -रमेश भइया