स्वास्थ्य
मन शरीर का नियंता, संचालक, स्वामी तथा चिकित्सक सभी कुछ है। सत्तर के दशक के बाद दिमाग से निकलने वाले दर्जनों जादुई, चमत्कारिक न्यूरोट्रांसमीटर्स की खोज के बाद मन के तन पर होने वाले प्रभावों की व्यापकता का पता चला।
हर व्यक्ति के अंदर एक महान चिकित्सक छिपा हुआ है। हमारे असंतुलित आहार, असम्यक विहार एवं अराजक विचार के कारण वह चिकित्सक सो गया है। मूर्च्छित या बेहोश हो गया है। इसी कारण हम बीमार होते हैं। वह महान चिकित्सक है दिव्य जीवनी शक्ति एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता का संचालक हमारा मन।
अब तक वैज्ञानिकों का अभिमत था कि मन शरीर का मालिक है अथवा महान चिकित्सक मन मात्र सिद्धांत है। उनका कहना था कि नई आविष्कृत चिकित्सा एवं नैदानिक तकनीकों के सूक्ष्म एवं संवेदी उपकरणों से शरीर में गहरे छिपे जर्रे-जर्रे का विषद अध्ययन किया जा सकता है। इस स्थिति में शारीरिक व्याधियों के पीछे मन को कारण बताना दकियानूसी है। यह विचार तर्कसंगत एवं विज्ञान सम्मत नहीं है। इस विचार में सैद्धांतिक पेंच ज्यादा हैं। उपरोक्त कथित आधुनिक मान्यता की इन्हीं सूक्ष्म संवेदी उपकरणों एवं भौतिक तथा जैव रासायनिक प्रयोगशालाओं ने धज्जियां उड़ा दी हैं। यह बात स्पष्ट एवं सिद्ध हो गयी है कि मन शरीर का नियंता, संचालक, स्वामी तथा चिकित्सक सभी कुछ है। सत्तर के दशक के बाद दिमाग से निकलने वाले दर्जनों जादुई चमत्कारिक न्यूरोट्रांसमीटर्स की खोज के बाद मन के तन पर होने वाले प्रभावों की व्यापकता का पता चला। सर्वप्रथम करिश्माई न्यूरोट्रांसमीटर एंडोर्फिन की खोज ने उन वैज्ञानिकों की बोलती बंद कर दी, जो शरीर को ही सब कुछ माने हुए थे। एंडोर्फिन का तिलिस्म वैज्ञानिकों के सिर चढ़कर बोलने लगा। एंड्रोर्फिन दिमाग के उन पार्श्व भागों में जमे हुए मिले, जिनका संबंध प्रबल मानसिक संवेगों से है। जब आदमी प्यार, स्नेह, आनंद के भाव से भरता है तो उस स्थिति में दिमाग के इसी खंड में एंडोर्फिन की बौछार छूटने लगती है। यह एंडोर्फिन मार्फिन से भी अधिक प्रभावशाली एवं मादक होता है। यह प्राकृतिक चमत्कारी एवं आह्लादकारी दर्दनाशक न्यूरोट्रांसमीटर हैं। इसी जादुई एंडोर्फिन के प्रभाव से प्यार के क्षणों में लोग दुनिया से बेखबर समस्त दुखों एवं पीड़ाओं से पार एक अद्वितीय मादक खुमारी में डूबे होते हैं। इसी एंडोर्फिन के कारण प्यार की दुनिया अत्यंत रोमांचक, आकर्षक, अनोखी, अलौकिक, आनंद, उत्साह, उत्तेजना, उमंग एवं आत्मविश्वास से परिपूर्ण, सुंदर, सुरभित, शौर्यशाली, गौरवशाली, नूरानी एवं भव्य लगती है। जर्मनी के शोधकर्ता प्रो अर्नेस्ट बॉनीमान अपने शोधों से इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चुम्बन तथा प्रगाढ़ आलिंगन से दिमाग में स्वास्थ्य एवं जीवनदायी अनेक हार्मोन एवं न्यूरोट्रांसमीटर की लहरें हिलोरें लेने लगती हैं। इससे स्वस्थ मानसिकता का विकास होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता इस कदर बढ़ जाती हैं कि शरीर हर प्रकार के संक्रमण से लोहा लेने में सक्षम हो जाता है। सिर दर्द, दांत दर्द या किसी प्रकार के दर्द की अवस्था में दर्द तनाव तथा अवसाद नाशक दवाइयां खाने की अपेक्षा अपने मन में प्रेम, आनंद तथा मंगल का भाव हो, तो दिमाग में उपजा दर्दनाशक बीटा एंडोर्फिन इन दवाओं से बेहतर परिणाम देता है।
एक अन्य प्रेम विज्ञानी प्रोफेसर यूहलेन बुक के शोधों के अनुसार प्रेम की स्थिति में शारीरिक तथा मानसिक स्थिति सुदृढ़ एवं सशक्त होती है। मन सदैव प्रसन्न रहता है। प्रेम के क्षणों में किये गये चुंबन से पूरे शरीर में स्वस्थ जीवनदायी हार्मोन का फव्वारा छूटने लगता है। इसका चमत्कारिक प्रभाव होता है। भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने की क्षमता बढ़ जाती है। प्रेम से परिपूर्ण क्षणों में भोजन का पाचन, अवशोषण एवं स्वांगीकरण सुंदर एवं सुनियोजित ढंग से होता है।
सेनफ्रांसिस्को के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमैन सेक्सुअलिटी के अध्यक्ष डॉ मैक इल्वेना तथा उनके सहयोगी पचपन हजार लोगों पर तुलनात्मक अध्ययन से इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पति पत्नी के प्यार के क्षणों में घटित संभोग से शरीर की संक्रमण विरोधी रोग प्रतिरोधक क्षमता सशक्त होती है। जीर्ण सिरदर्द, संधिशोथ तथा सभी प्रकार के पीड़ाजन्य रोगों में लाभ मिलता है। अवसाद तथा तनाव के क्षणों में प्रेमपूर्ण संभोग नैसर्गिक उपशामक तथा प्रतिरोधक का काम करता है।
मैक इल्वेना ने अपने अध्ययन के दौरान पाया कि जो लोग प्रेम के महत्त्व को समझते हैं, सेक्स का सम्यक उपभोग करते हैं, उनमें चिन्ता, द्वेष, क्रोध, ईर्ष्या की भावना कम हो जाती है। उनकी शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य शक्ति एवं क्षमता बढ़ जाती है। इस नैसर्गिक प्रवृत्ति को सहजता से स्वीकार करने से आत्मविकास होता है। स्वाभाविक सेक्स अपनापन, आनंद एवं सुख प्रदान करने के अतिरिक्त स्वास्थ्य एवं सौंदर्य की भी रक्षा करता है। सेक्स से शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ने से बुढ़ापे में होने वाली आम बीमारी आस्टियो पोरोसिस से रक्षा होती है। सेक्स के समय उत्पन्न एक विशेष प्रकार की सुरभि फेरोमॉस रसायन एक दूसरे को अपूर्व मादक सुख प्रदान करती है। यह स्वाभाविक एवं नैसर्गिक सेक्स परफ्यूम है। सेक्स के दौरान उत्पन्न प्रशांतक न्यूरोट्रान्समीटर बीटा एंडोर्फिन त्वचा को सुंदर, मुलायम, चिकनी, चमकदार एवं कांतिमान बनाकर रखता है। वैज्ञानिकों के अनुसार संभोग कैलोरी संतुलन को बनाकर शरीर को सुडौल बनाता है। मोटापा दूर करता है। चुम्बन से शरीर की चयापचय क्रिया उन्नत होती है। सेक्स संबंध तथा केलि या काम-क्रीड़ा से हृदय रोग, कमर दर्द, पीठ दर्द, ग्रीवा दर्द, सिर दर्द, दिमाग की नसों में सिकुड़न, उन्माद, माइग्रेन, हिस्टीरिया तथा अनिद्रा रोग दूर होते हैं। काम या केलि क्रीड़ा के समय नाना प्रकार के चमत्कारिक हार्मोन एवं रसायनों के निकलने से शरीर के स्वस्थ रहने की शक्ति बढ़ती है तथा रोग दूर होते हैं।
-डॉ. मंजू नीरज
(प्राकृतिक चिकित्सा का सामान्य ज्ञान)