सम्पूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जय प्रकाश नारायण को जानने वालों ने उन्हें संत राजनेता कहकर पुकारा। देश और देश की आज़ादी के लिए जेपी के त्याग, साहस और कुर्बानियों की कहानियां इतिहास के पन्नों पर दर्ज हैं। समाज के लिए उनकी चिंताएं उनकी लिखी किताबों और उनके भाषणों में […]

आज देश की प्रमुख आर्थिक समस्या महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी है। कोई भी समस्या कई कारणों से पैदा होती है, समाधान के लिए कई प्रकार के प्रयास करने होते हैं. इन समस्याओं के भी कई कारण हैं। कुछ राजनैतिक हैं, कुछ आर्थिक हैं, कुछ सामाजिक हैं और कुछ अन्य हैं। […]

अपने अतीत के इस स्वर्णिम पन्ने को इसलिए याद रखा जाना चाहिए कि उस आंदोलन से निकली विभिन्न धाराओं ने भारतीय राजनीति की दशा-दिशा को गहरे प्रभावित किया, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता। उस आंदोलन से युवाओं की शक्ति स्थापित हुई। लोकतंत्र मजबूत हुआ। दोबारा इमरजेंसी लगने की आशंका […]

जनता पार्टी की कारगुजारियों और 8 अक्टूबर 1979 को जेपी के निधन के कारण क्रांति की लौ धीमी पड़ गयी। वैसे क्रातियां किसी दौर या नेतृत्व की मोहताज नहीं होतीं। परिस्थितियां ही अवसर और नेतृत्व पैदा कर देती हैं। इसलिए ऐसा नहीं कह सकते कि सम्पूर्ण क्रांति की लौ पूरी […]

आचार्य जी 1974 के आंदोलन में अघोषित लेकिन सर्व स्वीकृत विश्वविद्यालय बन गये थे। वे और उनका खादीग्राम, वैचारिक मंथन का मुख्य केंद्र था। खुद लोकनायक जयप्रकाश मानते थे कि उनके मन की बातों को आचार्य जी बहुत ही बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत करते हैं। गांधी विचार के महान व्याख्याकार […]

आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला का नियमित सेवन करने से कायाकल्प हो जाता है। मनुष्य अपने शरीर का कायाकल्प कर सालों साल तक निरोग रह सकता है। एक वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर चुस्त होता है। दो वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर निरोगी हो जाता है। तीन […]

पीढ़ियां भुगतेंगी खामियाजा, संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट रिपोर्ट की चेतावनी मनुष्य की गतिविधियों के कारण धरती, महासागर व वातावरण में व्यापक बदलाव आ रहा है। विकास व पारिस्थितिकी तंत्र पर लंबे समय में इसके दुष्परिणाम होंगे। हमारी जलवायु हमारी आंखों के सामने बदल रही है। मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस में एकत्र ताप […]

अपनी एक रिपोर्ट में नीति आयोग कहता है कि वर्ष 2030 तक देश के 40% लोगों की पहुंच पीने के पानी तक नहीं होगी. पिछले 10 सालों में देश की करीब 30 फीसदी नदियां सूख चुकी हैं। वहीं पिछले 70 सालों में 30 लाख में से 20 लाख तालाब, कुएं, […]

लालच, उपभोग और शोषण पर अंकुश होना चाहिए। विघटनरहित और टिकाऊ विकास का केंद्र बिंदु समाज की मौलिक जरूरतों को पूरा करना होना चाहिए। ऐसा सतत विकास के लिए गांधी जी के विचारों को पुन: समझना और लागू करना ही होगा। गांधीजी ने कहा था कि धरती सारे मनुष्यों की […]

देश में वायु प्रदूषण एक आम भारतीय से उसके जीवन के औसतन 5.9 वर्ष कम कर रहा है। दुनिया की 99% आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है। आंकड़ों के मुताबिक आज दुनिया के 117 देशों के 6000 से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता की निगरानी की जा रही […]

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