हमारे खेत में तरह-तरह के निकम्मे झाड़ उगे हुए थे। उनको काटने का जो काम हुआ, उसी का नाम स्वराज्य था। अब स्वराज्य प्राप्ति के बाद उस साफ खेत में परिश्रम करके बीज बोना ही सर्वोदय का कार्य करना है, लेकिन बाबा की पीड़ा यह थी कि बीज बोने के […]

बाबा ने कहा कि मेरे पास मुख्य शक्ति प्रार्थना की ही है। इसलिए उस प्रार्थना की शक्ति को सबके साथ बांटना चाहता हूं, उन्होंने कहा कि प्रार्थना के बाद जब मैं थोड़ा बहुत बोलता हूं, तो उसमें प्रार्थना की शक्ति का ही अद्भुत परिणाम होता है। आठ मार्च 1951 की […]

भूदान यात्रा स्मृति दिवस पर जयपुर में विनोबा के जीवन और कार्य पर विचार गोष्ठी भूदान यात्रा स्मृति दिवस पर विनोबा विचार मंच ने जयपुर में विनोबा के जीवन और कार्य पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। 18 अप्रैल को भूदान यात्रा स्मृति दिवस के परिप्रेक्ष्य में आयोजित यह विचार गोष्ठी बजाज नगर […]

बाबा ने कहा कि पैदल चलने का कोई व्रत नहीं लिया है, क्योंकि व्रत तो सत्य, अहिंसा आदि का लिया जाता है, फिर भी मैं पैदल ही यात्रा पर निकलूंगा। हां, मेरे मन में यह अवश्य था कि पवनार आश्रम में जो साम्ययोग का प्रयोग शुरू हुआ है, उसको कुछ […]

जौरा में 48 वां सर्वोदय समाज सम्मेलन क्यों रद्द करना पड़ा? सर्वोदय समाज मूलतः महात्मा गांधी के आदर्श और विचारधारा को आगे बढ़ाने वाला एक वैचारिक प्लेटफार्म है। सर्वोदय समाज के नेतृत्व में हर एक-दो साल के अंतराल पर अखिल भारतीय सर्वोदय समाज सम्मेलन बुलाया जाता है। इस सम्मेलन की […]

बाबा ने इसे इस बात का ईश्वरीय संकेत माना कि अभी समाज में बहुत भूमिहीन लोग हैं, जिनको जमीन की जरूरत है, इसलिए हमें और जमीन मांगने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। बाबा का मानना था कि किसान का जीवन सबसे ज्यादा पवित्र है। वह परमेश्वर के ज्यादा नजदीक रहता […]

जब भूदान की पदयात्रा शुरू की तब बाबा की उम्र 55 वर्ष थी। आखिर में जब बाबा बिहार से पवनार लौटे तब वे 74 वर्ष के हो चुके थे। आरोहण की यह जो तपस्या हुई, वह वयोवृद्ध उम्र में हुई। बाबा विनोबा का भूदान आंदोलन ईश्वरीय प्रेरणा का ही संकेत […]

18 अप्रैल, 1951 का दिन था; जब बाबा को तेलंगाना के पोचमपल्ली गांव में पहला भूदान मिला था। यों कहें कि भूदान गंगोत्री का जन्म हुआ था। भूदान की गंगा जैसे जैसे आगे बढ़ी, जनक्रांति आकार लेती गयी. आज़ादी के बाद किसानों का शोषण करने वाली जमीदारी प्रथा समाप्त कर […]

ब्रह्मविद्या मंदिर के प्रति अपने-अपने मनोभावों की यह श्रृंखला लोकप्रिय हो रही है। विनोबा विचार प्रवाह द्वारा आयोजित विनोबा विचार संगीति में ब्रह्मविद्या मन्दिर की ऊषा दीदी ने ब्रह्मविद्या मंदिर की संकल्पना पर अपने विचार व्यक्त किए थे। उनमें से कुछ अंश हम यहां ले रहे हैं। हैंड, हार्ट और […]

14 अप्रैल 1972 को हुआ ऐतिहासिक बागी समर्पण, आज स्वर्ण जयंती दिवस के रूप में याद किया जा रहा है। इस अवसर पर दस्यु समर्पण की पूरी कहानी पवनार आश्रम की गंगा दीदी की जुबानी यहां प्रस्तुत है। हम वर्षों से अंगुलिमाल की कहानी सुनते आ रहे हैं। लेकिन इस जमाने में […]

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