सिद्धांतों के बिना राजनीति, परिश्रम के बिना संपत्ति, अंतरात्‍मा के बिना आनंद, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना वाणिज्‍य, मानवता के बिना विज्ञान और त्‍याग के बिना पूजा, 7 सामाजिक पापों की यह सूची गांधीजी ने 22 अक्टूबर 1925 के यंग इंडिया में प्रकाशित की थी। गांधीजी के अनुसार […]

दो राष्ट्र के सिद्धांत के लिए अकसर दुर्भावना या अज्ञानतावश जिन्ना को श्रेय दे दिया जाता है, जबकि उन्होंने तो इसका केवल इस्तेमाल किया और वह भी बहुत बाद में। हिंदू और मुसलमान दो अलग क़ौम हैं और दोनों एक साथ नहीं रह सकते, इसे सैद्धांतिक तौर पर गढ़ने वाले […]

अपने समय की दुर्जेय अंग्रेजी सत्ता से देश की मुक्ति और देशवासियों के आत्मसम्मान की रक्षा के साथ ही उनके पुनरुत्थान हेतु उन्होंने सत्याग्रह का अति सभ्य और मानवीय मार्ग चुना। सत्याग्रह दुनिया के लिए एक अभूतपूर्व घटना थी। दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह के अचूक संधान और सफलता ने सारे […]

माता आनन्दमयी और महात्मा गांधी उस दिन हम सब माताजी के साथ बापूजी से मिलने सेवाग्राम के लिए चले। बापूजी पहली ही बार माताजी से मिल रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर स्वराज हासिल करने की अपनी तीव्रता में मग्न गांधीजी, […]

आयुष चतुर्वेदी अभी अभी 18 वर्ष के हुए हैं. दो वर्ष पहले, जब वे केवल 16 वर्ष के थे, तब सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे अपने स्कूल के एक कार्यक्रम में गांधी जी पर बोलते दिखाई दिए थे. वीडियो में कही गयी आयुष की […]

परमहंस योगानंद और महात्मा गांधी के बीच अकसर इस बात पर चर्चा होती थी कि सत्य और अहिंसा जैसे आध्यात्मिक आदर्शों को लोगों के व्यावहारिक जीवन में कैसे उतारा जाय। भारत के इन दो संतों ने दुनिया में हर जगह एक दूसरे के प्रति हमेशा सम्मान प्रकट किया। 1925 में […]

बिरला-भवन, नयी दिल्ली,30.01.1948 यदि जीवित रहा तो… बापू और सरदार दादा बातचीत कर रहे थे।…काठियावाड़ के बारे में भी चर्चा हुई। इसी बीच काठियावाड़ के नेता रसिक भाई पारीख और ढेबर भाई भी आ गये। उन्हें बापू से मिलना था। लेकिन आज तो एक क्षण खाली नहीं है। फिर भी […]

गांधी की जितनी आलोचना करनी हो, कीजिए पर यह बात कान खोलकर सुन और समझ लीजिये, गाली नही देने देंगे अब हम आपको। शरीर को मार डाला आपने, आत्मा छेदने की इजाजत नहीं होगी। देश किसी की आलोचना पर सहिष्णु हो सकता है, हत्या पर नहीं। हर गोडसे को सलाखों […]

गांधी नोआखली से दिल्ली तक आग बुझाने में लगे थे और उनके हत्यारे उनकी हत्या का षड्यन्त्र रचने में। 20 जनवरी को गांधी जी का आख़िरी दिन तय किया था हत्यारों ने। गोपाल को वे इस योजना में शामिल नहीं करना चाहते थे। वे उससे केवल वह रिवाल्वर लेना चाहते […]

द मर्डरर, द मोनार्क एंड द फकीर सावरकर का नाम, गांधी जी की हत्या के साजिशकर्ताओं मे शामिल था, पर वह अदालत में साबित नहीं हो सका। सावरकर उस समय तो अदालत से छूट गए, पर बाद में जब उनकी संलिप्तता के अनेक सबूत मिलने लगे, तो जस्टिस कपूर की […]

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