वर्तमान केन्द्रीय सरकार जिस दक्षिणपंथी विचारधारा से संचालित है, उसकी आस्था लोकतंत्र में नहीं है। वे महज लोकतंत्र का नारा लगाते हैं और लोकतंत्र के सारे अवसरों का इस्तेमाल लोकतंत्र को खत्म करने में करते हैं। इसलिए आजादी का अमृत महोत्सव उनके लिए महज अमृतपान का एक मौका भर है। […]
महंगाई बढ़ नहीं रही, बढ़ायी जा रही है। सरकार जमाखोरों और मुनाफाखोरों के साथ है और उन पर कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती, बल्कि खुद अनैतिक मुनाफाखोरी करने में लगी हुई है। 25 जुलाई को जमशेदपुर में महंगाई, बेरोजगारी, श्रम कानून, संसाधनों की लूट, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी […]
लोकतांत्रिक जन पहल की कोर कमेटी की बैठक 24 जुलाई को लोकतांत्रिक जन पहल, बिहार कि कोर कमेटी की बैठक रूकनपुरा में हुई. सत्य नारायण मदन ने जून को गांधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली में हुई बैठक और 10 जुलाई को दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में हुए बेरोजगारी, मंहगाई और साम्प्रदायिकता […]
समाज के हर क्षेत्र में नफरत फैल रही है, लेकिन समाज इस तरह से प्रतिक्रिया दे रहा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं है. नफरत की यह राजनीति हमारे समाज को कैंसर की तरह खोखला कर रही है। – तुषार गांधी ‘समकालीन समय में एम के गांधी’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी […]
वर्तमान परिस्थितियों में देश के सामाजिक हलकों में एक हलचल महसूस की जा रही है। सर्व सेवा संघ ने 9 अगस्त से 30 जनवरी तक ‘संकल्प सत्याग्रह’ और ‘महाजागरण यात्रा’ की शुरूआत की है, वहीं 16 अगस्त से 23 सितंबर तक बिहार में ‘हल्ला बोल’ यात्रा का आयोजन किया जा […]
अगर लोगों से जुड़ना है, तो हमें उनकी ज़िन्दगी से जुड़े सवालों से जुड़ना होगा। लोगों को ताक़त देने वाले कार्यक्रम सोचने होंगे, जैसे आज़ादी की लड़ाई में अस्पृश्यता निवारण, चरखा, गोसेवा, बुनियादी शिक्षा जैसे कार्यक्रम लिए गये थे। अगस्त का महीना भारतीय राजनीति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इसी […]
छत्तीसगढ़ के हरिहरपुर स्थित परसा कोयला खदान के आवंटन का मामला ग्रामवासियों की मुख्य मांग है कि जंगल, जमीन, जैव-विविधता, जल स्रोत, वन्य प्राणियों के रहवास, आदिवासियों की आजीविका, संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को खनन मुक्त रखते हुए प्रस्तावित सभी कोयला खदानें निरस्त […]
रांची में एक जुलाई को स्टेन स्वामी मेमोरियल व्याख्यानमाला में बोले फैज़ान मुस्तफ़ा कानून और संविधान के जानकार फैज़ान मुस्तफ़ा गत एक जुलाई को रांची में स्टेन स्वामी मेमोरियल व्याख्यानमाला में बोल रहे थे. आयोजन पीयूसीएल का था. मानवाधिकार से जुड़े कानूनी पहलुओं के अलावा देश के मौजूदा धार्मिक उन्माद […]
टेलीग्राफ एक पाठक के तौर पर दशकों तक टेलीग्राफ के साथ इश्क वाला रिश्ता रहा। मगर आज उसी टेलीग्राफ की सूरत देखकर आए दिन मन खीझ जाता है। खबरों पर विचारों को हावी होते देखना अच्छा नहीं लगता। जर्नलिज्म के जिस स्कूल में शिक्षा-दीक्षा हुई, वह इस परिवर्तन को स्वीकार […]