जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी ने जमशेदपुर में इंसानी कतार बना कर गाँधी शहादत दिवस मनाया। सहभागियों ने अपने हाथों में विविध संदेश छपी तख्तियां ले रखी थीं। साकची गोलचक्कर के चारों ओर घूम कर लीफलेट भी बांटा गया। इस लीफलेट में कहा गया है कि गांधी की हत्या में जो शक्तियां […]
शहीद दिवस की पूर्व संध्या पर गांधी स्टडी सर्किल एवं कलेक्ट्रेट पार्क नर्सरी ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि एवं दीपदान का आयोजन किया गया। अध्यक्ष डॉ संतोष छापर एवं संयोजक अशोक चौधरी ने दीपदान कर सर्वधर्म प्रार्थना कराई और गांधी जी के जीवन […]
30 जनवरी देश ही नहीं, दुनिया के लिए बापू को याद करने, उन्हें नमन करने का दिन है। यहां यह बताना ज़रूरी नहीं है क़ि इसी दिन 1948 को एक कायर हिंदू नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी, बताना यह ज़रूरी है क़ि उनकी मृत्यु के […]
आर्थिक बदलाव बिना सामाजिक बदलाव के संभव नहीं है। पक्ष और विपक्ष दोनों की बहसें इस पर हैं कि असंगठित क्षेत्र में रोज़गार कैसे पैदा किए जाएं। ज़रूरत इस बात पर विचार करने की भी है कि संगठित क्षेत्र में रोज़गार कैसे पैदा करें। स्वरोज़गार और आत्मनिर्भरता पर ज़ोर देने […]
पिछली सरकारों ने हमारी आर्थिक संरचना को बीमार बना दिया था, लेकिन मोदी सरकार ने तो देश की बीमार आर्थिक संरचना को आईसीयू में डालकर मरणासन्न कर दिया है। इतनी ढीठ, बेरहम, अहंकारी और दुस्साहसी सरकार भारत में कभी नहीं रही। देश में किसानी और बेरोज़गारी के सवाल पर हाहाकार […]
मनरेगा ने व्यापक स्तर पर पलायन को रोकने का काम किया है। इस योजना के जरिये अब ग्रामीण इलाकों में भी जरूरतमंदों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। मनरेगा के प्रभाव के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य दैनिक मजदूरी बढ़ने से बहुत से परिवार अब शहरों में जाने की बजाय, […]
जो लोग काम करना चाहते हैं, पर काम नहीं मिलता, कुल श्रम बल के सामने उनके प्रतिशत को अर्थशास्त्र में बेरोजगारी कहा जाता है। जैसे, 100 लोगों में 90 के पास काम हो और 10 लोग काम खोज रहे हों। तो बेरोज़गारी की दर 10/100 यानी 10 प्रतिशत होगी। ये […]
बातचीत देश में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। कहा जा रहा है कि पिछले 45 वर्षों में देश में बेरोजगारों की संख्या इस समय सर्वाधिक है। पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, लेकिन बेरोजगारी को कहीं भी मुद्दा नहीं बनाया जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों है? इन सवालों […]
22 फरवरी कस्तूरबा पुण्यतिथि बापू के सहजीवन के प्रखर नाटक की शांत नायिका के रूप में कस्तूरबा अपने पति के साथ कारावास में गयीं, तीन-तीन सप्ताहों के अनशनों में पति के साथ स्वयं भी उपवास करती रहीं और पति की अनंत जिम्मेदारियों में अपने हिस्से की जिम्मेदारियां संभालती रहीं। गांधी […]
आदमखोर अर्थनीति से सेवा अर्थनीति की ओर आर्थिक सरगर्मियों के विचार को हम इन पांच तरह की सूरतों से जाहिर कर सकते हैं – आदमखोर, लुटेरा, कारोबारी, गिरोहबंद और सेवा। इन सबके उसूल अलग-अलग हैं। आदमखोरों में खुदखोरी और हक का बोलबाला है और बिना पैदा किये खर्च किया जाता […]