1920 -21 में गांधीजी बेलाताल आए थे. उनके साथ गांव के कई समाजसेवी और जैतपुर के गांधी कहे जाने वाले मुंशी मंटीलाल भी उनके साथ थे, जो बाद में जैतपुर के प्रथम प्रधान भी रहे।
जनश्रुति के आधार पर कि गांधीजी ने यहां आकर देश को आजाद कराने की हुंकार भरी थी और सभी को जागरूक भी किया था, साथ ही खादी पहनने के लिए भी सभी को प्रेरित किया था. उस समय उन्होंने इसी चबूतरे पर अठारह सौ पचासी रुपए की खादी की बिक्री भी की थी, इसलिए जैतपुर की खादी पूरे भारत देश में आज भी प्रसिद्ध है ।
30 जनवरी को कुमार ग्रामोद्योग सेवा संस्थान में 2 मिनट का मौन धारण कर उनकी आत्मा की शांति हेतु भगवान से प्रार्थना की गई। इस अवसर पर संस्थान के वरिष्ठ कार्यकर्ता कमलेश मिश्रा, जैतपुर के प्रसिद्ध बुनकर पन्नीलाल अनुरागी, सुंदरलाल अनुरागी, समाजसेवी कामता प्रसाद तिवारी, रवि यादव, गुलाब सिंह कुशवाहा, जोधा सिंह परिहार, देवेन्द्र अरजरिया, हरीसिंह राजपूत तथा विपिन तिवारी आदि लोग उपस्थित रहे।