इधर एक नयी बहस शुरू हो गयी है, कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय हुई थी, न कि अकबर की। यह भी कहा जाता है कि अकबर को नहीं, महाराणा प्रताप को महान कहा जाना चाहिए। आरएसएस के मित्र अक्सर यह लांछन लगाते तो हैं कि वामपंथी […]

देश केसे बनता है? केसे कायम रहता है? क्या ठंडे सोच-विचार से, हित-स्वार्थों की चतुर समझदारी से, राष्ट्रीयता की सही वैज्ञानिक समझ से देश जन्म लेता और पनपता है? या देश एक जुनून है, आधी रात में देखा गया तर्कातीत सपना है, भावनाओं का अंधड़ है, इतिहास की भट्ठियों में […]

महात्मा गांधी महिलाओं की शक्ति और उनके सामथ्र्य को अच्छी तरह समझते थे, उन्हें पता था कि स्वतंत्रता आंदोलन की संघर्ष यात्रा महिलाओं के बिना पूरी नहीं हो सकती है। 1920 में जब असहयोग आंदोलन शुरू हुआ तब जगह-जगह गांधी ने भाषण दिया था। उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद भी उनका […]

जिस तरह भारत-विभाजन की ऐतिहासिक विभीषिका इतिहास में अमिट है और इसे कोई झुठला नहीं सकता, उसी तरह इस हकीकत को भी कोई नहीं नकार सकता है कि मौजूदा सत्ताधीशों के पुरखों का भारत के स्वाधीनता संग्राम से कोई सरोकार नहीं था। यही नहीं, धर्म पर आधारित दो राष्ट्र हिंदू […]

आजादी के 74 साल बाद यह सवाल आज भी खड़ा है कि आखिर ‘भारत के विभाजन’ की साजिश में कौन लोग शामिल थे, जिसके कारण देश टूटा, लाखों लोगों की जाने गयीं और लाखों परिवार शरणार्थी हो गये। भारत विभाजन की योजना अंग्रेजों की थी, जिसे जिन्ना और सावरकर का […]

10 मई 1857, दिन रविवार को छिड़े भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में देश के हिंदुओं, मुसलमानों और सिखों ने मिलकर विश्व की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी ताक़त को चुनौती दी थी। इस अभूतपूर्व एकता ने अंग्रेज़ शासकों को इस बात का अच्छी तरह अहसास करा दिया था कि अगर भारत […]

15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से मुक्त हुआ। यह स्वतंत्रता अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। ब्रिटिश औपनिवेशिक गुलामी से मुक्त होकर हमें तय करना था कि अब हम किसी भी प्रकार की नव-उपनिवेशिवादी व्यवस्था में नहीं फंसेंगे। हमें व्यक्ति के स्वराज्य, लोक के स्वराज्य […]

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