आंसू संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति और इंसानियत की निशानी होते हैं। आंसू के सामाजिक, सांस्कृतिक और वर्गीय संदर्भ भी होते हैं। कांग्रेस के मंच पर बेहिचक आंसू बहाते हुए, वेटिकन के सिस्टिन चैपल में सूली पर चढ़ाये ईसा मसीह की मूर्ति देखकर रोते हुए और द्वितीय विश्वयुद्ध में हुई लंदन की […]
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चर्चिल ने वार एफर्ट के लिए बंगाल का चावल ब्रिटेन मंगवाकर, बंगाल के चार लाख लोगों को भूखा मरने पर मजबूर कर दिया। और जब इन मौतों की सूचना चर्चिल तक पहुँची, तो फाइल नोटिंग पर उसने लिखकर पूछा- देन व्हाई हैवन्ट गांधी डाइड येट? लेकिन गांधी मरा नहीं। गांधी […]
प्राणजीवन मेहता ने गोखले को पत्र लिखकर कहा था खुद ही खुद को असफल कहने वाले गांधी से दुनिया की उम्मीद टूटती ही नहीं. चाहे जितना भी विरोध कीजिये, आखिर क्यों जीवन के हर मोड़ पर यह आदमी बार-बार सामने आ खड़ा होता है, गांधी विरोधियों के सामने यह बड़ा […]
जो गांधी को चाहते व मानते हैं, उनके लिए गांधी एक ही रास्ता बना व बता कर गए हैं- अपनी भरसक ईमानदारी व तत्परता से गांधी-मूल्यों की सिद्धि का काम करें! इससे उनकी जो प्रतिमा बनेगी, वह तोड़े से भी नहीं टूटेगी. हम जयप्रकाश की वह चेतावनी याद रखें – […]
गांधीजी को महात्मा बनाने में श्रीमदराजचंद्र का बड़ा योगदान था। गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है- यहां तो इतना ही कहना काफी होगा कि मेरे जीवन पर प्रभाव डालने वाले आधुनिक पुरुष तीन हैं- श्रीमदराजचंद्र ने अपने सजीव संपर्क से, टाल्सटॉय ने ‘दी किंगडम ऑफ गॉड इज विदिन यू’ […]
बापू के व्यक्तित्व का मूल पहलू आध्यात्मिक है। बापू ने हमारे सामने कितनी ही ऐसी बातें रखी हैं, जो केवल आध्यात्मिक क्षेत्र में ही आती हैं। बापू को पहचानने के लिए उनके व्यक्तित्व की आध्यात्मिक भूमिका का आकलन होना चाहिए। बापू के जीवन को देखेंगे, तो समझ में आयेगा कि […]
सत्य को खोजने और देखने का अधिकार हरेक को है। सत्य का निर्णय करने का हक जिस तरह गोडसे को है, उसी तरह गांधीजी को भी है। गोडसे को अपना हक मंजूर था, लेकिन गांधीजी का नहीं। इसलिए उसने गांधीजी की हत्या की। पर गांधीजी को जिस तरह अपना खुद […]
जो राजनीतिक दल आम जनता के पक्ष में काम करते हैं, उन्हें बाजार की शक्तियां धीरे-धीरे राजनीति की मुख्यधारा से विस्थापित करने की कोशिश करती हैं और जो बाजार के पक्ष में काम करते हैं, उन्हें बाजार की शक्तियां धीरे-धीरे राजनीति की मुख्यधारा में स्थापित करने की कोशिश करती हैं। […]
आजादी की 75 वीं वर्षगांठ ज़रूरी है कि हम देशप्रेम की रौ में हीरक जयंती के इस महान अवसर को घरों में, कारों में झंडा लगाने की औपचारिकता में ही न व्यतीत कर दें। हमें राष्ट्रीय आंदोलन की विरासत के बारे में जानना-समझना चाहिए। उसके इतिहास, उसकी परम्परा और मूल्यों […]