स्त्री-पुरुष दोनों में 40 वर्ष की उम्र से यौन सूक्ष्म रसों के सृजन में 2 प्रतिशत की दर से गिरावट आने लगती है। स्त्रियों में 40 से 50 वर्ष की उम्र तक तथा पुरुषों में 45 से 55 वर्ष की उम्र तक यौन सूक्ष्म रस निष्क्रियता के स्तर पर पहुँच […]
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असत्य और अफवाहों की दलदली संस्कृति में फंसा सत्यमेव जयते का आदर्श अभिव्यक्ति की आज़ादी ख़तम करने पर एक देश के रूप में हम मौन की एक अबूझ दुनिया में गुम हो जायेंगे. न्याय की मांग और समता की भूख दोनों कमजोर पड़ जायेगी. एक बेहतर जिंदगी, प्रगति पथ पर […]
गांधीजी का भगवान बुद्ध पर यह विवेचन सनातन वैदिक एवं बौद्ध चिंतन तथा उसके आचरणीय स्वरूप के ऊपर एक गहरा विमर्श प्रस्तुत करता है। मुझे आज यह कहने में जरा भी हिचक नहीं है कि मैंने बुद्ध के जीवन से बहुत कुछ प्रेरणा पाई है। कलकत्ते के नये बौद्ध मन्दिर […]
काल के गाल पर ढुलके हुए आंसू का एक कतरा है ताज-गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया जब यह दावा करती हैं कि यह जमीन उनके पुरखों की है, तो वे यह बताना भूल जाती हैं कि इसके बदले में राजा जयसिंह को शाहजहां ने चार हवेलियां दी […]
सम्पूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जय प्रकाश नारायण को जानने वालों ने उन्हें संत राजनेता कहकर पुकारा। देश और देश की आज़ादी के लिए जेपी के त्याग, साहस और कुर्बानियों की कहानियां इतिहास के पन्नों पर दर्ज हैं। समाज के लिए उनकी चिंताएं उनकी लिखी किताबों और उनके भाषणों में […]
आज देश की प्रमुख आर्थिक समस्या महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी है। कोई भी समस्या कई कारणों से पैदा होती है, समाधान के लिए कई प्रकार के प्रयास करने होते हैं. इन समस्याओं के भी कई कारण हैं। कुछ राजनैतिक हैं, कुछ आर्थिक हैं, कुछ सामाजिक हैं और कुछ अन्य हैं। […]
अपने अतीत के इस स्वर्णिम पन्ने को इसलिए याद रखा जाना चाहिए कि उस आंदोलन से निकली विभिन्न धाराओं ने भारतीय राजनीति की दशा-दिशा को गहरे प्रभावित किया, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता। उस आंदोलन से युवाओं की शक्ति स्थापित हुई। लोकतंत्र मजबूत हुआ। दोबारा इमरजेंसी लगने की आशंका […]
जनता पार्टी की कारगुजारियों और 8 अक्टूबर 1979 को जेपी के निधन के कारण क्रांति की लौ धीमी पड़ गयी। वैसे क्रातियां किसी दौर या नेतृत्व की मोहताज नहीं होतीं। परिस्थितियां ही अवसर और नेतृत्व पैदा कर देती हैं। इसलिए ऐसा नहीं कह सकते कि सम्पूर्ण क्रांति की लौ पूरी […]
लालच, उपभोग और शोषण पर अंकुश होना चाहिए। विघटनरहित और टिकाऊ विकास का केंद्र बिंदु समाज की मौलिक जरूरतों को पूरा करना होना चाहिए। ऐसा सतत विकास के लिए गांधी जी के विचारों को पुन: समझना और लागू करना ही होगा। गांधीजी ने कहा था कि धरती सारे मनुष्यों की […]
देश में वायु प्रदूषण एक आम भारतीय से उसके जीवन के औसतन 5.9 वर्ष कम कर रहा है। दुनिया की 99% आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है। आंकड़ों के मुताबिक आज दुनिया के 117 देशों के 6000 से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता की निगरानी की जा रही […]