उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने 20 मार्च 2017 को एक ऐतिहासिक फैसले में गंगा और यमुना को जीवित मानव का दर्जा देने का आदेश दिया था। इस फैसले की व्याख्या करें तो जीवित इन्सान का दर्जा मिलने के बाद गंगा, यमुना और उनकी सभी सहायक नदियों को एक जीवित इंसान के सभी […]
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आधुनिकता से उपजा विकास और प्रगति का जो दंभी दावा है, उससे गंगा को बचाना होगा। ‘विकास’ का पूरा ढांचा प्रकृति-विनाश पर खड़ा है और इसी से वन-पर्वत सभी उजड़ रहे हैं। महानगरीय सभ्यता-संस्कृति का मैलापन गंगा के प्राणों को निकाल रहा है। इसलिए गंगा-मंत्रालय को गंगा को बचाने के […]
आज असि की कोख तक निर्माण कर इमारतें तान दी गयी हैं। वाराणसी प्रशासन ने खुली छूट दे रखी है। छूट दे भी क्यों न, जब असि-गंगा संगम स्थल पर पूर्व में गंगा मंत्री रहीं उमा भारती से जुड़ा हुआ उडुपी मठ सीना तानकर खड़ा है! कोरोना की पिछली बंदी […]
मीडिया इसे विकास और टूरिज़्म बता रहा है और लोग इस अदा पर मरे जा रहे हैं। इस खेल का नाम है पीपीपी मॉडल। बनारस के 6 घाट 2020 में ही बिक चुके हैं। सरकार इस पर बोलने से बचती है। काशी लोक-आस्था और संस्कृति का भारत का सबसे पुराना […]
यह संस्कृति के विकास की कहानी है। वरुणा के घावों को छूने की हमारी कोशिश, उस पार पड़े कूड़े के ढेर और वरुणा-जल को मल बनाते पॉलीथीनों के पहाड़ में बिला जाती है। आज वह अपने दु:ख पर रोये भी तो आंसू बहाने को पानी नहीं है उसके पास। उसके […]
अनजाने में हुई गलती को भी समझकर स्वीकार करना, सत्य को समझना व उसके प्रति खपने की पूरी तैयारी गांधीजी के आचरण में दिखाई देता है। आंदोलनों में केवल सत्य के आग्रह पर ही जोर देना है और प्रतिद्वंद्वी के प्रति निश्छल प्रेम रखना है, यह आंदोलनकारी सत्याग्रही की जिम्मेदारी […]
‘मुझे गर्व है कि मै उस हिन्दू धर्म से हूं, जिसने पूरी दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिकता की सीख दी। भारत की सभ्यता और संस्कृति सभी धर्मों को सत्य के रूप में मान्यता देती है और स्वीकार करती है। भारत एक ऐसा देश है, जिसने सभी धर्मों और देशों के […]
सिद्धांतों के बिना राजनीति, परिश्रम के बिना संपत्ति, अंतरात्मा के बिना आनंद, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना वाणिज्य, मानवता के बिना विज्ञान और त्याग के बिना पूजा, 7 सामाजिक पापों की यह सूची गांधीजी ने 22 अक्टूबर 1925 के यंग इंडिया में प्रकाशित की थी। गांधीजी के अनुसार […]
दो राष्ट्र के सिद्धांत के लिए अकसर दुर्भावना या अज्ञानतावश जिन्ना को श्रेय दे दिया जाता है, जबकि उन्होंने तो इसका केवल इस्तेमाल किया और वह भी बहुत बाद में। हिंदू और मुसलमान दो अलग क़ौम हैं और दोनों एक साथ नहीं रह सकते, इसे सैद्धांतिक तौर पर गढ़ने वाले […]
अपने समय की दुर्जेय अंग्रेजी सत्ता से देश की मुक्ति और देशवासियों के आत्मसम्मान की रक्षा के साथ ही उनके पुनरुत्थान हेतु उन्होंने सत्याग्रह का अति सभ्य और मानवीय मार्ग चुना। सत्याग्रह दुनिया के लिए एक अभूतपूर्व घटना थी। दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह के अचूक संधान और सफलता ने सारे […]