राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आए दिन मंचों पर, फिल्मों और नाटकों में, किताबों, चित्रों और नोटों में खूब दिखाई पड़ते हैं, लेकिन वास्तविक जीवन में उनके विचारों को व्यवहार में लाने की कोशिश नहीं के बराबर ही दिखती है। हमने उनको प्रतिमा और पूजा पाठ तक सीमित कर दिया है। राजनेता […]
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पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन भारत भर में सबसे पहले 1930 में मनाया गया, जब न तो देश स्वतंत्र हुआ था, न नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने थे. 1930 में गांधीजी ने सत्याग्रह की घोषणा की थी। इसी वजह से अंग्रेजों ने नेहरू पर प्रतिबंध लगा दिया था कि ‘आप […]
जिस तेजी से खादी के स्वरुप में परिवर्तन आता जा रहा है, वह खादी को बाजार अभिमुख बनाता जा रहा है. इसमें खादी क्राफ्ट, जो हाथ से काती और बुनी जाती थी, गौण होती जा रही है. इसका दूर दराज के गांवों के उन गरीब व स्वावलंबी खादी के कार्यकर्ताओं […]
जब तक शरीर में आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी का संतुलन है, तब तक मानव शरीर स्वस्थ रहता है। इन तत्वों का सही संयोजन ही प्राक़तिक चिकित्सा है। प्राकृतिक चिकित्सा कोई नई विधा नहीं है। यह उतनी ही पुरानी है, जितना मानव स्वयं। मानव शरीर पाँच तत्व आकाश, वायु, अग्नि […]
सेवाग्राम से साबरमती तक जन जागरण यात्रा अपने देश में गांधी जी द्वारा स्थापित आश्रमों में साबरमती आश्रम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार साबरमती आश्रम परिसर की स्वरूप में तब्दीली करना चाहती है, जो गांधी विचारधारा और विरासत पर सीधा आघात है । सरकार […]
महात्मा ने अपने जीवन में फिनिक्स, टॉल्सटॉय, कोचरब से लेकर साबरमती और सेवाग्राम तक कई आश्रम बनाए। ये आश्रम उदात्त मानवीय मूल्यों- सत्य, अहिंसा, प्रेम, स्वावलंबन, खादी, छुआछूत निवारण, संपत्ति-विसर्जन और सादगी के प्रयोग स्थल रहे हैं। इन मूल्यों से वास्ता रखने वाले और न रखने वाले, सभी यहां आकर […]
मैं यह मानता हूं कि गांधीवादी या मार्क्सवादी होना नादानी है और गांधीवाद विरोधी या मार्क्सवाद विरोधी होना भी नादानी है। गांधी और मार्क्स के अनमोल खजानों से सीखने लायक बहुत कुछ है, बशर्ते व्यक्ति और काल विशेष मात्र से संदर्भ और निष्कर्ष न निकाले जाएं।’ डॉ राममनोहर लोहिया को […]
जेपी की मृत्यु के समय चरण सिंह प्रधानमंत्री थे। जेपी का शव श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल के बरामदे में दर्शनार्थ रखा गया था। 9 अक्टूबर 1979 को देश के अनेक दिग्गज नेता जेपी के अंतिम दर्शनार्थ पहुंचे, किन्तु मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम ने जेपी का अंतिम दर्शन […]
इधर एक नयी बहस शुरू हो गयी है, कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय हुई थी, न कि अकबर की। यह भी कहा जाता है कि अकबर को नहीं, महाराणा प्रताप को महान कहा जाना चाहिए। आरएसएस के मित्र अक्सर यह लांछन लगाते तो हैं कि वामपंथी […]
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक सेमीनार हो रहा था। विषय था, इतिहास लेखन। उस सेमिनार में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक और उर्दू के महान शायर, रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी भी शामिल थे। फिराक नेहरू के मित्र भी थे। उसी गोष्ठी में नेहरू के इतिहास लेखन पर भी चर्चा हुई। एक विद्वान वक्ता […]