गीता का स्वभाव अध्यात्म है स्व महत्वपूर्ण है। स्व शब्द से एक सुन्दर शब्द बना स्वार्थी। बड़ा प्यारा शब्द है। लेकिन यह शब्द बड़ा निन्दित हो गया है कि आदमी बड़ा स्वार्थी है। स्वार्थी माने जो स्व के लिए काम करता है। स्वार्थी विद्यार्थी ठीक से अध्ययन करता है। स्वार्थी […]

सवाल गोहत्या बंदी का जनता गाय के नाम पर हिन्दू-मुस्लिम बनकर लड़ती रहे और कमजोर बनी रहे, इसी में राजनैतिक नेताओं और उद्योगपतियों की भलाई छिपी है। हिन्दुस्तान की जनता जब तक एकजुट नहीं होगी, तब तक गाय का प्रश्न इसी तरह उलझा रहेगा। बात उस समय की है जब […]

नए मनुष्य के निर्माण से ही नए समाज का निर्माण संभव है, लोगों के बीच जाना होगा, संघर्ष तो करना ही होगा, लेकिन केवल संघर्षों से काम नहीं चलेगा, रचनात्मक कार्य हाथ में लेने होंगे, जरूरतमंदों की सेवा करनी होगी, खुद को खपाना होगा – डॉ जीजी परीख स्वतंत्रता संग्राम […]

बापू की कलम से काशी दर्शन काशी यात्रा पर मैंने एक व्याख्यान सुना था, तभी से मेरा काशी जाने का मन था, पर प्रत्यक्ष देखने पर जो निराशा हुई, वह धारणा से अधिक थी। सुबह मैं काशी उतरा। मैं किसी पण्डे के यहां उतरना चाहता था। कई ब्राह्मणों ने मुझे […]

गांधीजी की तीन सिखावनें गांधीजी ने जब कहा कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है, तब उन्होंने हमें यही समझाने की कोशिश की कि हम सबका जीवन ही हमारा वास्तविक संदेश होता है। हम मुँह से कुछ भी कहते रहें, बड़ी-बड़ी बातों से भरे लेख लिखते रहें, लेक्चर और भाषण […]

महात्मा गांधी अपनी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में लिखते हैं कि तीन पौण्ड का एक नासूर था, जबतक यह रद्द न हो जाय, चित्त को शान्ति नहीं मिल सकती। यह नासूर कौन-सा था, जो उनको पीड़ा दे रहा था? दक्षिण अफ्रीका में वकालत करते हुए अभी कुछ ही समय गुजरा […]

विकासशील देशों को समुचित अनुकूलन प्रणाली विकसित कर जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी कृषि की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने की नीतियां एवं योजनाएं बनानी प्रांरभ कर देनी चाहिए। मुक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं बाजार के विस्तार के कारण महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक कृषि संसाधनों; जल, भूमि, मृदा, वन एवं जैव विविधता का […]

अगर गांधीवाद किसी गलत बात के लिए खड़ा है तो इसे ख़त्म कर दें। सत्य और अहिंसा कभी नष्ट नहीं होंगे; लेकिन अगर गांधीवाद संप्रदायवाद का दूसरा नाम है, तो यह ख़त्म होने लायक है। मेरी मौत के बाद अगर मुझे पता चला कि मैं जिसके लिए खड़ा था, वह […]

मणिबेन पटेल सरदार पटेल ही की भाँति गाँधीजी भी मुझसे कभी कुछ नहीं छिपाते थे। विश्वास करने में वे अपने युग के श्रेष्ठतम व्यक्ति थे–मणिबेन वल्लभभाई पटेल। गुजरात के खेड़ा जिले के करमसद गाँव के एक पटेल-पाटीदार परिवार में जन्मीं मणिबेन के जीवन में सादगी, सेवा, ईमानदारी, आस्था और समर्पण […]

सर्वोदय समाज के स्थापना सम्मेलन में फूटे उद्गार तो सन्न रह गयी सभा 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की कायरतापूर्ण हत्या होने के बाद उनके बेहद करीबी सहयोगी और संत विनोबा भावे दुखी ही नहीं, ‘लज्जित’ भी थे. लेकिन क्यों? बापू की हत्या से जुड़ी वह क्या बात थी, […]

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