राम विवाह कथा के बहाने देश, समाज, मिथ और जीवन दर्शन का व्याख्यान ब्रम्हमुहूर्त में ऋषि के साधना-क्रम से परिचित अहिल्या, इन्द्र के भोग-प्रस्ताव की विसंगति को थोड़े विवेक से समझ सकती थी। हम सभी समझ सकते हैं। लेकिन ऐसे क्षणों में हम जान बूझकर अनजान बनते हैं। विवेक को […]

सोशल मीडिया के जरिये देश भर में यह अफवाह फैलाई जाती है कि नेहरू ने न केवल पटेल, बल्कि उनके पूरे खानदान के साथ दुश्मनी निभाई, जबकि सच यह है कि सरदार पटेल के निधन के बाद उनकी बेटी मणिबेन पटेल, नेहरू के नेतृत्व में लड़े गए पहले और दूसरे […]

भारत के एकीकरण और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका और उनके योगदान को देशवासी सैकड़ों-हजारों वर्षों तक याद रखेंगे। वे सदैव इतिहास के पृष्ठों पर जीवित रहेंगे, भारतीयों को सरदार पटेल पर सदैव गर्व होगा। सरदार वल्लभभाई पटेल भारत की ऐसी अभूतपूर्व राजनीतिक और भौगोलिक एकता […]

हज़ारों भारतीय ग़रीब सिर्फ इसलिए जेलों में जीवन गुजारने को विवश हैं, क्योंकि वे न संविधान की मूल भावना से परिचित हैं और न ही अपने संवैधानिक अधिकार व कर्तव्यों से। वे इतने ग़रीब हैं कि जमानत कराने में उनके परिजनों के घर के बर्तन बिक जायेंगे। जबकि जुर्म बहुत […]

मैं इशारा कर रही हूँ, समझना आपको है! कहते हैं कि किसी देश की जेलों में समय बिताए बिना उन्हें पूरी तरह समझ पाना नामुमकिन है. किसी देश को इस बिनाह पर नहीं जाँचा जाना चाहिए कि वह अपने सबसे ऊँचे नागरिकों के साथ कैसा बर्ताव करता है, बल्कि यह […]

मशीनों के शोर ने पक्षियों को यहां से जाने पर मजबूर कर दिया है। रात्रिचर जीव भी पलायन कर गए हैं। खनन के चलते यमुना मरने की कगार पर पहुंच गई है। हमारे यहां सारस, लाल सुर्खाब, सफेद सुर्खाब, नीलसर, जलकाग जैसे प्रवासी पक्षी हज़ारों की संख्या में आया करते […]

विभिन्न रिपोर्टें इस तथ्य को उजागर करती हैं कि जलवायु परिवर्तन अमीर देशों के कारण हुआ है, गरीब देशों ने जलवायु परिवर्तन के लिए मुआवजे की मांग करना शुरू कर दिया है, जिसने उन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। नवंबर में मिस्र में सम्पन्न हुई संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता, जलवायु […]

जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय वार्ता हमारे वातावरण में ग्रीनहाउस गैसें बेतहाशा बढ़ रही हैं, जिससे धरती का तापमान बढ़ रहा है. इससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं. समुद्र का स्तर बढ़ रहा है. रेगिस्तान बढ़ रहे हैं, घने जंगल कम होते जा रहे हैं और इस तरह विकास हावी होकर सभ्यता […]

काफी लम्बे समय से अक्टूबर नवम्बर के महीनों में भारत के बड़े हिस्से में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। क्षिति, जल, पावक, गगन व समीर अव्यवस्थित हो रहे हैं। तुलसीदास ने रामचरितमानस में पृथ्वी संकट का उल्लेख किया है। लिखा है कि अतिशय देखि धरम कै हानी/परम सभीत धरा अकुलानी। […]

सहकारिता के पैरोकार और लोकतांत्रिक समाजवाद के इस शिखर पुरुष ने भारत की सनातन संस्कृति, बुद्ध के दिये विवेकसम्मत मानव कल्याण के संकल्प, मार्क्स के परिवर्तनकामी दर्शन और गांधी की बनायी राह में अद्भुत समन्वय स्थापित किया, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक हैं। भारतीय दर्शन और संस्कृति के प्रकांड […]

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