देश की आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर विश्व शांति दिवस 21सितंबर से विश्व अहिंसा दिवस 2 ऑक्टोबर तक चलने वाली पदयात्रा का शुभारंभ सदाचार स्थल, ब्रह्म सरोवर, कुरुक्षेत्र से किया गया। इस यात्रा मे देश के विभिन्न प्रांतों से शामिल होने आये युवा, बुजुर्ग, महिला यात्रियों का स्थानीय संगठनो, सर्वोदय और खादी ग्रामोद्योग की संस्थाओ द्वारा जोरदार स्वागत किया गया। यात्रा का आयोजन गांधी स्मारक निधि पंजाब, हरियाणा, एवं हिमाचल प्रदेश ने देश के प्रतिष्ठित गांधीवादी संगठनो जैसे सर्व सेवा संघ, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान, हरिजन सेवक संघ, राष्ट्रीय युवा योजना के साथ मिल कर किया।
यात्रा को गांधी स्मारक निधि पट्टीकल्याना के मंत्री आनंद कुमार, गुर्जर धर्मशाला के प्रधान ओम प्रकाश राठी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, गुलजारी लाल नंदा संस्थान के अध्यक्ष आर के गौड़ ने झंडी दिखाकर रवाना किया।
विश्व शांति का संदेश लेकर आजादी के अमृत महोत्सव पर ये पदयात्री विश्व शांति एवं अहिंसा का संदेश दे रहे और उसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं। कश्मीर के युवा पत्रकार अजहर ने कहा वे यात्रा के दौरान भाईचारे और शांति का संदेश देने के लिए आए हैं। कश्मीर की हिंसा ने उनके परिवार के दो सदस्यों को छीन लिया जिसमे उनके वालिद भी थे। इसलिए वे गांधी के अहिंसा का संदेश देने पदयात्रा मे शामिल हुए हैं। केरल की जया बहन पिछले 25 वर्षो से कश्मीर घाटी मे अनाथ बच्चो के लिए काम कर रही है इस यात्रीदल का भाग है। इसके साथ ही साथ राजस्थान सहित अनेक राज्यों एवं महाराष्ट्र के नितिन जिन्होंने 46 देशों की साइकिल से पैदल यात्रा की है, इस शांति यात्रा मे शामिल है। उत्तर प्रदेश से संजय राय इस यात्रा के मुख्य को-ओर्डिनेटर है।
यात्रा एक दिन मे लगभग 15-18 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। रास्ते मे कई पड़ाव पर लोगो से मिलते हुए शांति, अहिंसा, सद्भावना प्रेम का संदेश देते हुए यात्री दल आगे बढ़ेंगे।
इस यात्रा मे नेहरू युवा केंद्र के पदाधिकारी राजकुमार गौड़, पूर्व पदाधिकारी सरदार केहर सिंह, मलिक जी के अतिरिक्त परमाल सिंह, ब्रज लाल गांधी का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ। पदयात्रियों और पूरी टीम के निशुल्क ठहरने और खाने की ब्यवस्था गूर्जर धर्मशाला, रोड़ धर्मशाला एवं अन्य सामाजिक संगठनो के साथ साथ स्थानीय निवासी जोश और उल्लास के साथ कर रहे है। कई स्थानो पर धर्मशाला, स्कूल एवं अन्य संगठनो की पूरी कार्यकारिणी यात्रियों के स्वागत, भोजन और रात्रि विश्राम की व्यवस्था मे स्वयं लग गई। करनाल और अन्य स्थानो पर कई लोगो और संगठनो को इसलिए अफसोस था कि यात्री दल उनके पास क्यों नही रुका। इस यात्रा के प्रति लोगो का आकर्षण देख कर लगा कि गांधी मूलयों के प्रति अभी भी आस्था बाकी है। आवश्यकता तो बस उनके बीच मे जाने की है।
अशोक शरण, अध्यक्ष, क्षेत्रीय पंजाब खादी मंडल, पानीपत