लोकतंत्र की मुक्ति के लिए सीफडी का चुनाव सुधार संबंधी प्रस्ताव

आज देश अत्यंत संकट के दौर से गुजर रहा है। हमारे देश में पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाली नीतियां लागू होने के कारण बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी तेजी से बढ़ रही है। चुनावी राजनीति के कारण सांप्रदायिकता, जातिवाद और क्षेत्रवाद को बढावा मिलने से देश की एकता खतरे में है। इन सब के जड़ में चुनाव सुधार लागू नहीं होना है। इसलिए जरूरी है कि चुनाव सुधार के लिए समान विचार रखने वाले संगठनों, समूहों और व्यक्तियों का एक सम्मेलन बुलाया जाये और एक मोर्चा गठित करके अभियान चलाया जाये। यह अभियान निम्नलिखित मुद्दों पर चलाया जा सकता है.

1. पूंजपतियों के कब्जे से लोकतंत्र की मुक्ति के लिए-
* उद्योगपतियों, राजनीतिज्ञों के गठजोड़ को छिपाने वाले इलेक्शन बांड रद्द किये जायं।
* सभी राजनैतिक दलों के बड़े चंदादाताओं की सूची चुनाव आयोग प्रकाशित करे।
* राजनैतिक दल सिर्फ़ भारत के आम नागरिक से चंदा लें। कंपनी, ट्रस्ट, कोआपरेटिव, विदेशी या एनआरआईज से चंदे लेने पर रोक लगे।
* नामांकन के लिए शुल्क समाप्त किया जाये तथा कम से कम एक प्रतिशत मतदाताओं का हस्ताक्षर जमा करने पर ही उम्मीदवार का नामांकन वैध माना जाये।
* दलीय उम्मीदवारों और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच गैरबराबरी खत्म करने के लिए राजनैतिक दलों द्वारा किया गया खर्च भी उम्मीदवार के खर्च मे शामिल किया जाये।
* चुनाव में सभी उम्मीदवारों के भोजन, परिवहन और मंच आदि की व्यवस्था सरकार करे। पर्चा आदि छपाने के लिए हर उम्मीदवार को निश्चित रकम दी जाये।
* पूरे चुनाव के बीच शराब की बिक्री पर रोक लगे। शराब, उपहार या नगद बांटने वालों को तत्काल गिरफ्तार किया जाये।
* उम्मीदवार का नामांकन कम से कम तीन माह पूर्व हो, जिससे वह आसानी से जनसंपर्क कर सके।
* उम्मीदवारों की सम्पत्ति आदि का विवरण प्रकाशित करने की जिम्मेदारी उम्मीदवारों पर नहीं, चुनाव आयोग पर हो। सभी विवरण स्थानीय अख़बारों में कम से कम दो बार प्रकाशित हों।
2.चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए –


* चुनाव आयुक्त के पद पर प्रधानमंत्री, विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता और मुख्य न्यायाधीश मिलकर किसी पूर्व न्यायाधीश को ही नियुक्त करें। रिटायर होने के बाद चुनाव आयुक्त को किसी पद या राजनीति में आने पर रोक हो।
* ईवीएम से मतदान की गणना कंट्रोल यूनिट से नहीं, वीवीपैट की छपी हुई पर्चियों से की जाये।
* चुनाव में पदाधिकारियों द्वारा गड़बड़ी को रोकने के लिए जिलाधिकारी के बदले जिला न्यायाधीश को रिटर्निंग आफिसर बनाया जाये।
* उम्मीदवारों को आनलाइन नामांकन की सुविधा दी जाये तथा नामांकन-पत्र में सुधार के लिए पूरी जानकारी और एक सप्ताह का समय दिया जाये।
* हरेक ईवीएम की नंबरिंग हो तथा उसे केंद्रीय स्तर से उम्मीदवारों की उपस्थिति में सील करके भेजा जाये। जिस पेटी की सील टूटी हुई हो या नकली हो, उसकि गणना नहीं की जाये। वहां फिर से मतदान हो।
* पूरी मतगणना प्रक्रिया की वीडियो रिकार्डिंग और लाइव शो की व्यवस्था की जाये। रिकार्डिंग उम्मीदवारों और पत्रकारों को उपलब्ध करायी जाये।
* मतदाता सूची में संशोधन के बाद उसे इंटरनेट पर उपलब्ध कराया जाये तथा आपत्ति दाखिल करने के लिए एक महीने का समय दिया जाये।
* गलत जानकारी देने या आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले उम्मीदवार के खिलाफ स्पीडी ट्रायल चलाकर छह माह में निर्णय लिया जाये।
* कुल मतदान का कम से कम 51% वोट पाने वाले उम्मीदवार को ही सफल घोषित किया जाये। अन्यथा सबसे ज्यादा वोट पाने वाले दो उम्मीदवारों के बीच पुनः मुकाबला हो।
3. मीडिया की आजादी के लिए –
* सरकारी विज्ञापन बांटने के लिए सर्वोच्च न्यायालय एक स्वतंत्र कमीशन बनाये। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सरकारी एजेंसियों के विज्ञापन का वितरण अखबारों, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया और यूट्यूब आदि को उसी कमीशन के माध्यम से हो।
* मीडिया का स्वामित्व अन्य उद्योग करने वालों के पास न रहे। टीवी, अख़बार आदि के शेयर किसी कंपनी, कोआपरेटिव, ट्रस्ट, विदेशी या एनआरआईज को खरीदने की अनुमति न हो। कोई भी भारतीय नागरिक ही अधिकतम 1% शेयर खरीद सके।
* अखबारों, टीवी चैनलों आदि में ठेके पर नियुक्ति करने पर पूरी तरह से रोक लगे तथा संपादन में मालिक का हस्तक्षेप समाप्त किया जाये।
* मीडिया को प्रभावित करने के लिए चुनाव के दौरान राजनैतिक दलों, उम्मीदवारों और उनके समर्थकों द्वारा विज्ञापन देने पर रोक लगे।
इसमें और सुझाव शामिल किये जा सकते हैं या कुछ सुझावों को संशोधित किया जा सकता है।

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