केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को संसद में वापस लेने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा, दिल्ली ने देशभर में सरकार के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन को कुछ समय के लिए वापस लेने के निर्णय की घोषणा की है. इसी पृष्ठभूमि पर वर्धा किसान अधिकार अभियान के कार्यालय में 9 दिसम्बर को विदर्भ स्तरीय शेतकरी कामगार आंदोलन समन्वय समिति की बैठक सम्पन्न हुई. देश में चल रहे तीन काले कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन को कुछ हद तक सफलता मिलने का स्वागत प्रस्ताव पारित करके किया गया. साथ ही आगे आंदोलन के स्वरूप व कदमों के संदर्भ में विचारमंथन किया गया. विदर्भ में सभी जिलों में किसान समस्याओं को लेकर बैठकों का आयोजन करने और गाँव-गाँव में आंदोलन के संबंध में जागरण अभियान चलाने पर एक राय बनी.
केंद्र सरकार ने अगस्त 2020 में किसानों की सहमति के बिना अंबानी और अडानी जैसे मुट्ठी भर बड़े पूंजिपतियों को आर्थिक लाभ पहुँचाने के लिए व कृषि क्षेत्र को केंद्रीय स्वरूप देकर ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवथा को पूर्णरूप से नियंत्रित करने के लिए तीन काले कृषि कानूनों को देश के किसानों पर लाद दिया था. इसका देश भर में सैकड़ों किसान सगठनों से जुड़े लाखों किसानों ने अहिंसक व शांतिपूर्ण आंदोलन करके विरोध किया. दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के लाखों किसानों का इसमें विशेष योगदान रहा. इस आंदोलन को खत्म करने के सभी तरह के हथकंडडे केंद्र सरकार द्वारा अपनाए गए, लेकिन किसान अपनी मांग पर अंत तक कायम रहे. किसान फूटे नहीं और टूटे भी नहीं. आखिर में तकरीबन एक साल तक चले इस किसान आंदोलन के सामने केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और 19 नवंबर 2021 की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की. 29 नवंबर 2021 को संसद के दोनों सदनों में इन कानूनों को ध्वनि मत से वापस ले लिया गया. इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा सरकार से अन्य मांगो के संबंध में स्पष्ट रुख की मांग की गयी. केंद्र सरकार ने इन मांगों पर निर्णय के लिए एक माह का समय मांगा. एमएसपी पर समिति बनाई जाएगी, इसमें संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि सदस्य रहेंगे, शहीद किसानों के परिवार को राहत राशि भी दी जाएगी, आंदोलनकारियों पर लगाए गए मुकदमे वापस लिये जाएंगे, ये मांगें स्वीकार करने के बाद आंदोलन आगे की घोषणा तक स्थगित करने का निर्णय लिया गया.
इस निर्णय का चौतरफा स्वागत हुआ. लड़ेंगे जीतेंगे तथा किसान मजदूर एकता जिंदाबाद के नारे लगाए गये. किसान अधिकार अभियान के मुख्य प्रेरक अविनाश काकड़े ने आज की बैठक की अगुवाई की और विषयवस्तु की भूमिका रखी. किसान नेता अनिल जवादे ने आंदोलन को मिली जीत की जानकारी सभा में रखी. सिकंदर शाह ने विदर्भ में राष्ट्रीय सभा आयोजित करने का प्रस्ताव रखा. नीरज गूजर ने किसान आन्दोलन के समर्थन में वर्धा जिले में आंदोलन खड़ा करने और उसे व्यापक बनाने के सन्दर्भ में अपनी बात रखी. सुदामा पवार और यशवंत झाड़े ने गांव गांव में आंदोलन पहुँचाने की योजना रखी. किरण ठाकरे ने सबका स्वागत किया तथा दिलीप उटाने ने बैठक में उपस्थित सभी के प्रति आभार व्यक्त किया.
इस मौके पर वर्धा, नागपुर, यवतमाल और वाशिम से आये राम कृष्ण सांभारे, अनंत उमाटे, संजय कदम, सिकंदर शाह, चंद्रशेखर राऊत, पराग खंगार, प्रवीण काटकर, शुभम वनकर, हर्षल वरघने, मालती देशमुख, अतुल सेनाड़, कर्नल सिंह दिगवा, अहमद कादर, नीरज गूजर, अनिल जवादे, सोमा जी शंभरकर, किरण ठाकरे, सूर्यभान शेंडे, साजिद हारुन, सुदामा पवार, प्रवीण राऊत, भ्रमर रघाटाटे, सलीम काजी, स्टीवन राबर्ट, गोपाल दुधाने, सुनील चोखारे, दिलीप उटाणे, यशवंत झाड़े तथा मनोज तायडे आदि प्रमुख साथी उपस्थित थे. अंत में, हम होंगे कामयाब… गीत के सामूहिक गायन से बैठक का समापन किया गया.
गोपाल दुधाने
किसान अधिकार अभियान