मैडम, हमारी बात मीडिया से कराओ! ये मंत्री, अफसर तो हमें बेवकूफ समझ रहे हैं!

एनसीआर क्षेत्रीय योजना-2041 के बारे में मंत्रियों और अफसरों से बच्चों ने की मुलाकात

मंत्रियों और अफसरों से विद्यार्थियों की यह मुलाक़ात अरावली के संरक्षण और एनसीआर क्षेत्रीय योजना-2041 में संशोधन के लिए थी। एनसीआर के विभिन्न शहरों से आये 10 से 15 वर्ष आयु वर्ग के तकरीबन 100 बच्चों ने एनसीआर क्षेत्रीय योजना-2041 में पर्यावरण सम्बन्धी खामियों पर सरकार का ध्यान खींचने के लिए यह मुलाकात की।

आजकल के बच्चे बड़े स्मार्ट हैं। अफसरों और नेताओं की चिकनी-चुपड़ी बातों को पहचानने लगे हैं, इसिलए मीटिंग से बाहर आते ही उन्होंने मीडिया से बात करने की मांग सामने रख दी। बच्चे अच्छी तरह समझ चुके थे कि वाकई मे कोई बड़ा घपला हो रहा है और हम सब का भविष्य खतरे में है।

16 सितम्बर को दिल्ली एनसीआर से आए बच्चे शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से मिले। इसके अलावा हरियाणा भवन में हरियाणा के रेजिडेंट कमिश्नर से मिले। एक संदेश के रूप में बच्चों ने मंत्री को दिल्ली और हरियाणा की स्थानीय वृक्ष प्रजातियों के गोया, खैर और धुधी नामक पौधे भेंट किए।

मंत्रियों और अफसरों से विद्यार्थियों की यह मुलाक़ात अरावली के संरक्षण और एनसीआर क्षेत्रीय योजना-2041 में संशोधन के लिए थी। एनसीआर के विभिन्न शहरों से आये 10 से 15 वर्ष आयु वर्ग के तकरीबन 100 बच्चों ने एनसीआर क्षेत्रीय योजना-2041 में पर्यावरण सम्बन्धी खामियों पर सरकार का ध्यान खींचने के लिए यह मुलाकात की।


दिल्ली के प्रगति पब्लिक स्कूल के आठवीं कक्षा के छात्र आरजव जैन ने कहा कि हमें अपने माता-पिता और शिक्षकों से पता चला है कि एक नया एनसीआर रीजनल प्लान-2041 प्रस्तावित किया गया है, जिसमें अरावली, वन क्षेत्र, प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र जैसे शब्द शामिल नहीं हैं। यह बहुत परेशान करने वाली बात है। दुनिया के 25 सबसे प्रदूषित शहरों में से एनसीआर के 12 शहर हैं, हमारे कई दोस्त और परिवार के सदस्य सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं, और एनसीआर रीजनल प्लान-2041 से वन क्षेत्र बढ़ाने का लक्ष्य ही हटा दिया गया है। अरावली और अन्य प्राकृतिक संरचनाएं स्वच्छ हवा और पानी मुहैया करने के लिए बहुत आवश्यक हैं, अगर इन पर्यावरणीय सम्पदाओं को संरक्षित नहीं किया गया तो भारत का एनसीआर क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा।

एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण और पानी की कमी से चिंतित एनसीआर क्षेत्र के विद्यालयों से 12000+ विद्यार्थियों और 100 से अधिक शिक्षकों ने विभिन्न संबंधित सरकारी दफ्तरों और मंत्रालयों को पत्र लिखे हैं। दिल्ली के अलावा हरियाणा से गुड़गाँव और फरीदाबाद, उत्तर प्रदेश से बागपत और राजस्थान से अलवर जिले के कई विद्यालयों ने भारत के प्रधानमंत्री, पर्यावरण मंत्री, शहरी विकास मंत्री, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, योजना बोर्ड और उक्त राज्यों के मुख्यमंत्रियों को हज़ारों हस्ताक्षरों के साथ पत्र भेजकर एनसीआर क्षेत्रीय योजना-2041 के चलते पर्यावरण और जैव विविधता पर होने वाले नकारात्मक असर पर चिंता जताई तथा योजना को पर्यावरण के नज़रिये से मजबूत करने पर सुझाव दिए|

गुरुग्राम के श्री राम स्कूल मौलसारी की 11वीं कक्षा की छात्रा तारिणी मल्होत्रा ने कहा कि अपनी प्राकृतिक दरारों के माध्यम से, अरावली पहाड़ियां हर साल जमीन में प्रति हेक्टेयर 2 मिलियन लीटर पानी को रिचार्ज करने की क्षमता रखती हैं, ये एक महत्वपूर्ण जल रिचार्ज क्षेत्र के रूप में कार्य करती हैं। गुड़गांव, फरीदाबाद, दिल्ली, दक्षिण हरियाणा, राजस्थान के पानी की कमी वाले इलाकों के लिए, जहां भूजल का इस्तेमाल रिचार्ज से 300 फीसदी अधिक है और भूजल स्तर चिंताजनक रूप से कम है, अरावली साफ़ पानी के लिए हमारी जीवनरेखा है।

हेरिटेज स्कूल, गुरुग्राम की छठी कक्षा की छात्रा अनन्या अग्रवाल ने कहा कि मैं अरावली के जंगलों और पहाड़ों पर कई बार पैदल सैर करने गई हूँ और मैंने कई बार सियार, मोर, उल्लू, मॉनिटर छिपकली, सांप और तितलियों की विभिन्न प्रजातियां, पतंगे और सुंदर कीड़े देखे हैं। दिल्ली-एनसीआर के आसपास की ये पहाड़ियाँ और जंगल, एक महत्वपूर्ण वन्यजीव आवास तथा गलियारा हैं और देशी पेड़ों, झाड़ियों, घास और जड़ी-बूटियों की 400+ प्रजातियों के साथ जैव विविधता के हॉटस्पॉट हैं। 200+ देशी और प्रवासी पक्षी प्रजातियां, 100+ तितली प्रजातियां, 20+ सरीसृप प्रजातियां और 20+ स्तनपायी प्रजातियां, जिनमें तेंदुए, नीलगाय, हाइना, सिवेट बिल्लियां और बंदर इत्यादि शामिल हैं। एनसीआर ड्राफ्ट योजना-2041 अगर लागू हो गयी, तो ये सारे जीव जंतुओं का घर कहलाने वाले पहाड़ और जंगल खतरे में पड़ जायेंगे, फिर इस सारी जैव विविधता का क्या होगा?

दिल्ली के ब्लू बेल्स इंटरनेशनल स्कूल से मुदित शर्मा ने कहा कि हमने आज हरियाणा भवन में रेजिडेंट कमिश्नर और निर्माण भवन में आवास एवं शहरी विकास मंत्री से मुलाकात की। हज़ारों हस्ताक्षर किये हुए पत्रों के तकरीबन 500 पृष्ठों के पुलिंदे के साथ हमने गोया, खैर और दुधी के देशी अरावली पौधे इस उम्मीद में प्रस्तुत किए कि वे हमारे भविष्य के हित में काम करेंगे और अरावली तथा प्राकृतिक संरचनाओं का संरक्षण करेंगे। ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहे भारत के युवा नागरिकों के रूप में हम चाहते हैं कि हमारी सरकार दिल्ली-एनसीआर के वन कवर लक्ष्य को राष्ट्रीय औसत 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना पर काम करे।

कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालयों की भागीदारी रही।

-रमेश शर्मा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

आंदोलन के लिए तैयार हो रही ज़मीन, देश को दिशा देगा बिहार

Thu Oct 27 , 2022
पूरे बिहार को कदम-कदम नापकर पटना पहुंची हल्ला बोल यात्रा बेरोजगारी के सवाल को लेकर बिहार के सभी जिलों से होकर गुजरने वाली हल्ला बोल यात्रा 16 अगस्त को चम्पारण से शुरू करके 25 सितम्बर को पटना पहुंची. यात्रा को प्रदेश में अपार जनसमर्थन मिला, युवाओं और बुद्धिजीवियों ने यात्रा […]
क्या हम आपकी कोई सहायता कर सकते है?