अधिकांश जगहों पर शहादत की विरासत का स्वर मुखर था। कुछ जगहों पर वाहिनी कोआर्डिनेशन समिति की पहल से तैयार पर्चा छापा और बांटा गया। पिछले महीने बोधगया में सम्पन्न वाहिनी मित्र मिलन में बनी समन्वय समिति और ज्यादा से ज्यादा जगहों पर गांधी शहादत दिवस का आयोजन करने के निश्चय का सकारात्मक असर इस बार साफ़ देखा गया।
इस बार 30 जनवरी के कार्यक्रमों के बीच कई भिन्नताओं के साथ कुछ स्पष्ट साम्यताएं भी दिखीं। अधिकांश जगहों पर शहादत की विरासत का स्वर मुखर था। कुछ जगहों पर वाहिनी कोआर्डिनेशन समिति की पहल से तैयार पर्चा छापा और बांटा गया। पिछले महीने बोधगया में सम्पन्न वाहिनी मित्र मिलन में बनी समन्वय समिति और ज्यादा से ज्यादा जगहों पर गांधी शहादत दिवस का आयोजन करने के निश्चय का सकारात्मक असर इस बार साफ़ देखा गया।
20 से ज्यादा जिलों में वाहिनी के साथियों की भागीदारी वाले कार्यक्रम हुए। झारखंड के गिरिडीह, जमशेदपुर, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो, मधुपुर, देवघर, रामगढ़, साहेबगंज, सरायकेला, खरसवां और राँची, बिहार के गया, पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, बेतिया और आरा, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, मिर्जापुर, उन्नाव तथा महाराष्ट्र के मुम्बई, भुसावल और पुसद में वाहिनी के साथियों ने कार्यक्रम रखे। मणिपुर में साथी टिकेन्द्र ने व्यक्तिगत स्तर पर उपवास किया।
गिरिडीह में वाहिनी समन्वय समिति और सेकुलर फ्रंट के बैनर तले उपवास एवं धरना हुआ। बेतिया में लोक संघर्ष समिति के बैनर तले उपवास एवं धरना हुआ। भागलपुर में परिधि के द्वारा 26 जनवरी से ही कार्यक्रमों की श्रृंखला चल रही थी और 30 तारीख को सबने मिलजुल कर कार्यक्रम किया। इसमें राष्ट्र सेवा दल, गंगा मुक्ति आंदोलन आदि के साथ वाहिनी कोआर्डिनेशन समिति का भी नाम था। पटना के धनरुआ/मसौढ़ी में लोकतंत्र समाज और वाहिनी मित्र मिलन की तरफ से सर्वधर्मसभा की गयी। पटना शहर में डाकबंगला चौक पर एक कार्यक्रम लोकतांत्रिक जनपहल के बैनर पर हुआ तथा दूसरा कार्यक्रम कोशिश और इप्टा आदि के नाम से। लोग स्लोगन लिखी तख्तियों के साथ खड़े थे। एक कार्यक्रम गांधी स्मारक निधि के कार्यालय में हुआ। मुजफ्फरपुर शहर में भी एक संयुक्त कार्यक्रम हुआ। कुढ़नी प्रखंड में एकता परिषद के बैनर तले कार्यक्रम हुआ। जमशेदपुर में अलग-अलग समय पर वाहिनी के साथियों की भागीदारी से चार जगहों पर कार्यक्रम हुआ। ये कार्यक्रम गांधी शांति प्रतिष्ठान और जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के अलग अलग बैनर पर हुए। एक अन्य कार्यक्रम पोटका प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र में गांव गणराज्य परिषद के बैनर पर हुआ। रांची में कई संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम हुआ। गया में दो जगहों पर कार्यक्रम हुआ। बाराचट्टी के आजादग्राम में मजदूर किसान समिति, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी और छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के बैनर तले कार्यक्रम हुआ। बोधगया में लोक समिति, वाहिनी समन्वय समिति, मजदूर किसान समिति और छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के बैनर के साथ उपवास सह धरना कार्यक्रम हुआ। मधुपुर, देवघर में वाहिनी कोआर्डिनेशन कमेटी के बैनर तले कार्यक्रम हुआ। आरा में धरना और सभा हुई। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में गांधी के लोग बैनर के तले सर्व धर्म प्रार्थना सभा का कार्यक्रम हुआ। चांडिल, सरायकेला और खरसावां में विस्थापित मुक्ति वाहिनी द्वारा कार्यक्रम किया गया। साहिबगंज जिले में शहादत की विरासत के संदेश के साथ लोग बैठे थे। मुंबई में सर्वोदय और जसवा के साथियों ने उपवास रखा। आजादी-75 के सूत्रशब्द के साथ यहां कार्यक्रम हो रहे हैं। झारखंड के रामगढ़ में सर्व धर्म समन्वय परिषद के बैनर तले हुए कार्यक्रम में वाहिनी के साथी शामिल हुए। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में बहुत से संगठनों के साथियों ने मिल जुलकर पुष्पार्पण, मार्च एवं संगोष्ठी की। इलाहाबाद में सर्वोदय मंडल की पहल पर कार्यक्रम हुआ, जिसमें आजादी बचाओ आंदोलन के साथ जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी भी जुड़ गयी।
अब हमें यह सोचना चाहिए कि क्या हम सब अपने अपने यहां 6 फरवरी को गांधी के अनन्य साथी और आजादी के धर्मनिरपेक्ष लड़ाके खान अब्दुल गफ्फार खान को भी उनके जन्म की तारीख पर याद कर सकते हैं? करना चाहिए। कर सकें तो बहुत सार्थक कदम होगा।
-श्रीनिवास