भारत के एकीकरण और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका और उनके योगदान को देशवासी सैकड़ों-हजारों वर्षों तक याद रखेंगे। वे सदैव इतिहास के पृष्ठों पर जीवित रहेंगे, भारतीयों को सरदार पटेल पर सदैव गर्व होगा।
सरदार वल्लभभाई पटेल भारत की ऐसी अभूतपूर्व राजनीतिक और भौगोलिक एकता के निर्माता थे, जैसी इसके पहले के पूरे इतिहास में कभी नहीं थी। वास्तव में इसी विशाल उपलब्धि के लिए उन्हें संगठित भारत का निर्माता कहा गया। सरदार पटेल के व्यक्तित्व में कई विशेषताएँ थीं।
इन्हीं विशेषताओं ने उन्हें एक अतुलनीय प्रशासक, नेतृत्वकर्ता, संगठक और राजनेता बनाया। अपनी कार्यशैली में भी वे असाधारण व अद्वितीय थे। अँग्रेजी दासता से देश की स्वाधीनता के उपरान्त उन्होंने पाँच सौ पचास से भी देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय कराने का भगीरथ कार्य किया।
देश के विभाजन के कारण उत्पन्न स्थिति को संभालना सरल नहीं था, लाखों की संख्या में लोगों के स्थानान्तरण, घोर साम्प्रदायिक समस्या और प्रशासन में दरार के कारण यह बहुत मुश्किल हो गया था। समाज और राष्ट्र-विरोधी तत्व देश की स्थिति को बिगाड़ने के लिए आन्तरिक और बाह्य दोनों ओर से सक्रिय थे। ऐसे तत्वों से भारत की रक्षा करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन, यह सरदार के बहुमुखी व्यक्तित्व का करिश्मा ही था कि भारत अपने सामाजिक-राजनीतिक इतिहास के सबसे कठिन समय से पार होकर सुरक्षित खड़ा हो सका।
भारत के एकीकरण और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका और उनके योगदान को देशवासी सैकड़ों-हजारों वर्षों तक याद रखेंगे। वे सदैव इतिहास के पृष्ठों पर जीवित रहेंगे, भारतीयों को सरदार पटेल पर सदैव गर्व होगा।
सरदार पटेल अन्तर्राष्ट्रीय जगत में भी सराहना और सम्मान के पात्र हैं। वह सरदार पटेल ही थे, जिन्होंने असहयोग से लेकर भारत छोड़ो आन्दोलन तक लगभग एक दर्जन सत्याग्रहों के माध्यम से गाँधी-मार्गी अहिंसक पद्धति को व्यावहारिक आयाम दिया। उनकी संगठनात्मक क्षमता, योजनाएँ और रणनीतियाँ अद्वितीय रहीं। आज पूरा विश्व उसका अनुकरण कर सकता है, विशेष रूप से वे लोग, जो अपनी गतिविधियों का सञ्चालन गाँधी-मार्ग या पद्धति से करना चाहते हैं।
सरदार पटेल के मूल्य-आधारित विचार और कार्य भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। अपने सम्पूर्ण सार्वजनिक जीवन में सरदार पटेल सभी स्तरों पर मूल्यों के प्रति कटिबद्ध रहे। विशेष रूप से राजनीतिक क्षेत्र में वे नैतिकता और सदाचार-पालन में कभी पीछे नहीं रहे। सरदार पटेल जिस प्रकार लोकतांत्रिक मूल्यों की स्वायत्तता की रक्षा के लिए आगे आए, जनतांत्रिक मूल्यों व परम्पराओं के सम्मान, परिपक्वता और सुदृढ़ता के लिए जो असाधारण आदर्श उन्होंने स्थापित किए, वे आज भी अनुकरणीय हैं। इसके अतिरिक्त, यह उन सभी लोगों के लिए विरासत स्वरूप है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों की चिन्ता और सम्मान करते हैं, तथा परिपक्व और सच्चे लोकतंत्र की कामना करते हैं।
सरदार पटेल ने एक समृद्ध और एकीकृत भारत के साथ-साथ कल्याणकारी विश्व की भी कामना की। वे सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए एक सुदृढ़ और समृद्ध हिन्दुस्तान की इच्छा रखते थे। सरदार पटेल का विचार था कि भारत को अपने प्रमुख उत्तरदायित्व के रूप में सारे विश्व के विकास में योगदान देना चाहिए। सरदार पटेल ने राष्ट्रमण्डल और संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ भारत के जुड़ाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।
पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने 15 दिसम्बर, 1950 को कहा था कि इतिहास उन्हें नए भारत का निर्माता और एकीकरणकर्ता कहेगा, लेकिन हम में से कइयों द्वारा उन्हें स्वाधीनता संघर्ष में हमारी सेनाओं के एक महान सेनापति के रूप में स्मरण किया जाएगा, जिन्होंने हमें कठिनाई के समय और विजय के क्षणों में एक मित्र और सहयोगी के रूप में सुदृढ़ परामर्श दिया, जिसने संकट में होने पर हमारे डगमगाते हृदयों को पुनर्जीवित कर दिया।
-डॉ रवीन्द्र कुमार