साधना केंद्र : जारी है धरोहरों को बचाने की कोशिश

जयप्रभा स्मृति भवन, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुरानी जीप, दो सौ साल पुराने पीपल व बरगद के पास चबूतरा और पार्क बनाने तथा दो सौ साल पुराने वाल्टेयर कुएं को पुनर्जीवित करने की योजना है.

सर्व सेवा संघ का वाराणसी कैंपस आजादी के बाद से गाँधी विचार एवं सर्वोदय विचार की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है. सर्व सेवा संघ का प्रकाशन विभाग और किसी समय राष्ट्रीय कार्यालय भी यहीं से संचालित होता था. भूदान यज्ञ, तरुण मन, बुनियादी यक़ीन और सर्वोदय जगत आदि पत्रिकाओं का प्रकाशन भी यहीं से होता रहा है। भूदान और सर्वोदय आंदोलन के प्रभाव का अध्ययन करने वाला अंतर्राष्ट्रीय ख्याति का रिसर्च इंस्टीट्यूट ‘गाँधी विद्या संस्थान’ भी इसी परिसर में स्थित है, जिसकी स्थापना स्वयं जयप्रकाश नारायण ने की थी।

सर्व सेवा संघ, वाराणसी परिसर का प्रवेश द्वार

आपातकाल के बाद इस केंद्र की प्रसिद्धि, चमक और गतिविधियां क्षीण होने लगी थीं. उदारीकरण के दौर में और उसके बाद कुछ सांगठनिक मतभेदों के चलते यह केंद्र कुछ शिथिल हो गया। अभी 2021 से इस केंद्र को पुनर्जीवित और प्रभावी बनाने की एक मुहिम शुरू हुई है और इस परिसर को सक्रिय बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल और सर्व सेवा संघ का क्षेत्रीय कार्यालय शुरू किया गया है, साथ ही युवा प्रशिक्षिण शिविरों का सिलसिला भी शुरू हुआ है।

इस परिसर की ऐतिहासिकता एवं जयप्रकाश नारायण की विरासत को संजोने व संवारने के लिए परिसर संयोजक अरविन्द अंजुम, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज, ट्रस्टी शेख हुसैन, मंत्री अरविन्द कुशवाहा, सर्वोदय जगत के संपादक रामदत्त त्रिपाठी, पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुगन बरंठ, रमेश ओझा, प्रो. आनंद कुमार, डॉ. रवि गुप्ता व सौरभ सिंह ने एक व्यापक योजना बनायी है। परिसर के कार्यक्रम समन्वयक रामधीरज बताते हैं कि इस कार्ययोजना को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिए अलग-अलग टीमें भी बनायी गयी हैं।

स्वाध्याय और संगोष्ठी : इस परिसर में लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के विषयों पर संगोष्ठी, शिविर और स्वाध्याय के कार्यक्रम चल रहे हैं. इसका संयोजन डॉ कमालुद्दीन शेख, डॉ रवि प्रकाश गुप्ता और सौरभ सिंह करते हैं। बीते दिनों में ग्राम स्वराज आधारित युवा और महिला शिविर भी आयोजित किये गए हैं।

गेस्ट हाउस : अभी तक यहाँ आठ अतिथियों के रुकने की व्यवस्था थी, पिछले एक साल में 50 से अधिक शिविरार्थियों और अतिथियों के ठहरने की व्यवस्था हुई है।

बालवाड़ी : इस परिसर के आरम्भिक काल से ही बालवाड़ी चलती थी, जिसमें परिसर और पास-पड़ोस के बच्चे भी पढ़ते थे. कालांतर में यह बालवाड़ी बंद हो गयी थी, लेकिन पुनः इस वर्ष इसका संचालन शुरू हुआ है, जिसमें 80 से अधिक वंचित और निराश्रित बच्चे आ रहे हैं। इन बच्चों को आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करके रोचक ढंग से पढ़ाया जा रहा है, बच्चों के लिए पाठ्य सामग्री और स्वस्थ रहने के घरेलू नुस्खे भी सिखाये जा रहे हैं। शहर में कूड़ा बीनने वाले व झुग्गियों में रहने वाले वंचित बच्चे बालवाड़ी में पढ़ने आते हैं। बच्चों को आधुनिक व मनोरंजक तरीके से पढ़ाने की व्यवस्था की गयी है। पारंपरिक व आधुनिक खेल भी सिखाया जाता है, ताकि बच्चे स्वस्थ रहें। हर सप्ताह डॉक्टर्स की टीम भी बच्चों का हेल्थ चेकअप करने आती है। डॉक्टर्स की टीम में डॉ. केबीपी सिंह, डॉ. एमपी सिंह, डॉ. ज्योति भूषण, डॉ. केसी गुप्ता आदि कई डॉक्टर शामिल हैं।

पुस्तकालय : जयप्रभा स्मृति सर्वोदय पुस्तकालय, जिसमें लगभग 10000 पुस्तकें हैं, उसको सुसज्जित और जनोपयोगी बनाने की कोशिश की जा रही है. पुस्तकालय में बच्चों के लिए अलग से सेक्शन बनाया जा रहा है, साथ ही ऐसे साधनहीन युवक युवतियां, जिनके घर में पर्याप्त स्थान या शांतिपूर्ण वातावरण नहीं है, उनके अध्ययन के लिए पुस्तकालय में पढ़ने का स्थान उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। पुस्तकालय को कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है तथा पुस्तकालय में नई पुस्तकों और कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। पुस्तकालय को डॉ. कमालुद्दीन शेख और डॉ. विजय सिंह के मार्गदर्शन में व्यवस्थित किया जा रहा है।

बाउंड्री वॉल : इस परिसर को इसके स्थापना काल से ही साधारण तारों से घेरा गया था, जो सुरक्षा की दृष्टि से समुचित नहीं था. फलतः यह परिसर दो-तीन दशक से जंगली और आवारा पशुओं का डेरा बना हुआ था, साथ ही असामाजिक तत्वों और नशेड़ियों का अड्डा बन गया था. इसलिए इस परिसर को सुरक्षित करना बेहद जरूरी था. सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्दन पॉल की टीम ने एक-एक जाली (11000 रूपये) का सहयोग लेकर इसकी तारबंदी करवायी है, साथ ही सघन वृक्षारोपण का कार्य शुरू हुआ है.

रसोई : रसोईघर के सामने और नए तथा पुराने अतिथि भवन के आगे व पीछे जन-सहयोग से पत्थर के चौके बिछाकर साफ़ और सुन्दर बनाया गया है. पुराने फर्नीचर, टूटी हुई अलमारियों, कुर्सियों व अन्य फर्नीचर को मरम्मत करवाकर काम में लाया जा रहा है. पुराने और बहुमूल्य फर्नीचरों को फिर से उपयोग में लेना सुखद और अपनी धरोहर को बचाये रखने का अभिक्रम है।

भूमि संरक्षण का कार्य : सर्व सेवा संघ की जमीन का बड़ा हिस्सा वरुणा नदी से लगा हुआ है. आवश्यक रख-रखाव नहीं होने के कारण जमीन के कई हिस्सों का क्षरण हो रहा था, पत्थर और मिटटी डालकर फ़िलहाल उसे रोकने की व्यवस्था की गयी है. आगे यहाँ बॉस लगाकर भूमि क्षरण को स्थायी रूप से रोकने की योजना बनायी जा रही है।

आरोग्य केंद्र : परिसर में पुरानी रसोई और गाँधी आश्रम वाला भवन, जो एक दशक से खाली पड़ा था और जिसकी छत पर घास उग आयी थी, उसे ठीक करवाकर महात्मा गाँधी आरोग्य केंद्र (प्राकृतिक चिकित्सा) शुरू किया जा रहा है। अभी दो डॉक्टर शनिवार तथा रविवार को आते हैं. जनवरी से आरोग्य केंद्र का व्यवस्थित सञ्चालन शुरू हो जायेगा। महात्मा गांधी आरोग्य केन्द्र के संचालन की जिम्मेदारी सिद्धेश्वर सिंह, धीरेन्द्र, डॉ. एम. पी. यादव और डॉ. अनीता की है। प्राकृतिक चिकित्सा, योग, प्राणिक हीलिंग, एक्यूप्रेशर और वनौषधियों के प्रयोग से लोगों का उपचार करना तथा प्राकृतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना इस टीम का कार्य है।

सोलर लाइट : परिसर में बिजली की व्यवस्था बहुत प्रारंभिक दिनों की है. कार्यालयों से लेकर आवासीय भवनों तक लगे बिजली के तार अत्यंत जर्जर अवस्था में हैं. इनमे बार-बार फाल्ट होता रहता है, जिससे कनेक्शन अक्सर टूट जाता है. इस तरह परिसर में सुचारु विद्युत व्यवस्था का संचालन बाधित होता रहता है. वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सौर ऊर्जा प्लांट की व्यवस्था की गयी है. प्रकाशन कार्यालय की छत पर सौर ऊर्जा का पैनल बैठाया गया है.

प्रदर्शनी भवन : 2008 में जब डॉ सुगन बरंठ सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष थे, तब गाँधी, विनोबा, जयप्रकाश के चित्रों पर आधारित अहिंसा चित्र प्रदर्शनी शुरू की गयी थी. कतिपय कारणों से यह प्रदर्शनी बंद कर दी गयी. पुनः इसे नए वर्ष में नए कलेवर में शुरू किया जा रहा है. इस कार्य में गाँधी स्मारक निधि से मदद ली जा रही है।

सीसीटीवी : कैम्पस में आने जाने वालों और अन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बहुत समय से कैम्पस में सीसीटीवी कैमरे लगाने की जरूरत महसूस की जा रही थी. इस बीच यह काम भी पूरा कर लिया गया है. अब लगभग पूरा कैम्पस सीसीटीवी कैमरों की जद में है.

हरित टीम : खेती बागवानी व औषधीय महत्त्व के पौधों की पहचान कर परिसर में लगाने व देखभाल करने के लिए सुरेश सेवार्थ व विनोद कुशवाहा की जिम्मेदारी है।

स्वच्छता टीम : परिसर को स्वच्छ एवं सुसज्जित रखने के काम में जयसागर व सुभाष दीक्षित विगत कई महीने से लगातार कार्य कर रहे हैं।

साहित्य प्रचार व सर्वोदय जगत : वाराणसी और पूरे उत्तर प्रदेश में गांधी साहित्य व सर्वोदय जगत के प्रसार के लिए वाराणसी जिले तथा प्रदेश की टीम बनायी गयी है। वाराणसी के लिए डॉ. रवि प्रकाश व रवि अग्रहरि ने जिम्मेदारी ली है। प्रदेश के लिए रामधीरज व पुतुल ने जिम्मेदारी ली है।

प्रार्थना-योग-ध्यान : परिसर में नियमित रूप से प्रार्थना व योग का कार्यक्रम चले, इसके लिए डॉ. सरोज सिंह व सुरेश सेवार्थ ने जिम्मेदारी ली है।

मीडिया टीम : रामदत्त त्रिपाठी के निर्देशन में एक मीडिया टीम भी बनी है, जो इस परिसर के इतिहास व कार्य को प्रसारित करेगी।

विरासत लेखन : सर्व सेवा संघ वाराणसी परिसर का कोई लिखित इतिहास अभी तक उपलब्ध नहीं है। इसकी जिम्मेदारी डॉ. शिवेन्द्र राणा को दी गयी है। वे गौतम बजाज, रमेश ओझा, अमरनाथ भाई, रामचन्द्र राही एवं यहां के अन्य पुराने निवासियों से मिलकर परिसर का इतिहास लिखेंगे।

आगामी योजना
जयप्रभा स्मृति भवन, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुरानी जीप, दो सौ साल पुराने पीपल व बरगद के पास चबूतरा और पार्क बनाने तथा दो सौ साल पुराने वाल्टेयर कुएं को पुनर्जीवित करने की योजना है. साथ ही लाल खां का रौजा, राजघाट किला के सामने, पुरानी गौशाला के बगल में (जीटी रोड से कृष्णमूर्ति फाउंडेशन के लिए मुड़ने वाली सड़क के बीच ठीक कॉर्नर पर) विनोबा वाटिका बनाने का कार्यक्रम है।

-सर्वोदय जगत डेस्क

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