सर्वोदय जगत का राम विशेषांक

डॉ राममनोहर लोहिया यूँ तो नास्तिक थे, पर समाज के मन में समाये राम, कृष्ण और शिव के अनहद चरित्रों पर उन्होंने भी कलम चलाई है. इस अंक में उनके उस बहुचर्चित लेख के सम्पादित अंश भी हैं. रामनाम किस प्रकार जादुई इलाज करता है, बापू की कलम से उद्धृत इसकी विवेचना और राम के बारे में अनेक अवसरों पर लिखे और बोले गये उनके विचार भी शामिल हैं. और इन सबको समग्रता में समेटता हुआ इस अंक का सम्पादकीय तो इस अंक की प्राणशक्ति है. खूब डूबकर पढ़ने के शौकीन पठकों के लिए यह अंक भरपूर बौद्धिक और पौराणिक खुराक लेकर आ रहा है.

सर्वोदय जगत का राम विशेषांक (16-31 दिसम्बर 2022) अगले हफ्ते डिस्पैच होने वाला है. भगवान राम भारतीय समाज के मानस में इतने गहरे और व्यापक रूप में अंकित हैं कि सबको अपनी-अपनी सोच और जरूरत के मुताबिक़ कुछ न कुछ रक्षा-कवच मिल ही जाता है. आस्तिक हो या नास्तिक, सगुण उपासक हो या निर्गुण, हिन्दू हो, मुस्लिम हो या ईसाई हो, राम सबके हैं. सबके अपने-अपने राम हैं. राम इस अंक के मुख्य विषय हैं. राम, रामायण और रामराज्य की परिकल्पना समेत रामकथा के विभिन्न पहलुओं को समेटने वाला यह अंक अपने नियमित स्तम्भों, अनेक ताजातरीन रिपोर्टों और अद्यतन गतिविधियों से सजा हुआ है.

रामकथा में सुशासन के जो सूत्र बिखरे पड़े हैं, उनके बारे में इस अंक में बात कर रही हैं भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी वी ललिता लक्ष्मी. भारतीय पुलिस सेवा के अवकाशप्राप्त अधिकारी आरएन सिंह ने ऋषि के श्राप से पत्थर बन जाने वाली अहिल्या की मनोदशा और उद्धार के बहाने देश, समाज, मिथ और जीवन दर्शन की विशद विवेचना की है. तुलसी रचित रामचरित मानस में वर्णित राम विवाह का प्रसंग एक अकेला ऐसा प्रसंग है, जो राम के सम्पूर्ण स्वरूप का दर्शन कराता है. पाठक को इस लेख में राम विवाह की झांकी का आस्वाद भी मिलेगा. समाजवादी नेता डॉ राममनोहर लोहिया यूँ तो नास्तिक थे, पर समाज के मन में समाये राम, कृष्ण और शिव के अनहद चरित्रों पर उन्होंने भी कलम चलाई है. इस अंक में उनके उस बहुचर्चित लेख के सम्पादित अंश भी हैं. रामनाम किस प्रकार जादुई इलाज करता है, बापू की कलम से उद्धृत इसकी विवेचना और राम के बारे में अनेक अवसरों पर लिखे और बोले गये उनके विचार भी शामिल हैं. और इन सबको समग्रता में समेटता हुआ इस अंक का सम्पादकीय तो इस अंक की प्राणशक्ति है. खूब डूबकर पढ़ने के शौकीन पठकों के लिए यह अंक भरपूर बौद्धिक और पौराणिक खुराक लेकर आ रहा है.

देश में बेरोजगारी के प्रश्न से व्यथित वयोवृद्ध सर्वोदय कार्यकर्ता सतीश नारायण का लेख, जेपी, अब्दुल गफूर और आरएसएस के आपसी रिश्तों पर प्रो आनन्द कुमार द्वारा इतिहास के पन्नों से खुरचकर निकाली गयी जानकारी और सूचना प्रौद्योगिकी के सोद्देश्यपूर्ण उपयोग पर लिखा ओम प्रकाश मिश्र का लेख इस अंक को पूरा करते हैं. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के निदेशक का एक साक्षात्कार, नियमित रिपोर्टों, समाचारों और स्तम्भों से सजे इस अंक का एकमात्र साक्षात्कार है. इस साक्षात्कार में, भारत में बेरोज़गारी के सवाल पर वे भारत सरकार को नसीहत भी देते हैं. राम को अपनी नजर से देखने वाले कैफ़ी आज़मी के साथ साथ कुलदीप कुमार की एक कविता भी है. इस अंक में सर्वोदय जगत का सदस्यता फॉर्म भी प्रकाशित हो रहा है. जो भी पत्रिका की वार्षिक सदस्यता लेना चाहे, उसके लिए यह एक सुलभ अवसर है. – सर्वोदय जगत डेस्क

Co Editor Sarvodaya Jagat

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