श्रद्धायुक्त पुरुषार्थ अनिवार्य

हम गांधी परिवार के लोग हैं, जो सामूहिकता से संधान में विश्वास रखते हैं. जब हम खुद से उठकर सबमें समाते हैं, तो सर्वोदय का उदय होता है.

सोमनाथ रोड़े

विनोबा ने विज्ञान और अध्यात्म के संयोग से एक सुन्दर समाज बनाने का लक्ष्य हमारे सामने रखा था. हिंसा और दंडशक्ति से अलग लोकशक्ति जगाने की हमारी वृहत्तर जिम्मेदारी है. इसलिए जनजागरण के लिए श्रद्धा और समर्पण के साथ आगे बढ़ना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. यह सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है, जब दुनिया युद्ध और हिंसा की आग में झुलस रही है, कोरोना के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में फंस गयी है, भारत की अर्थव्यवस्था भी पटरी से नीचे उतर चुकी है, बेरोज़गारी 45 सालों का रिकॉर्ड तोड़ रही है, अनेक नदियाँ सूख गयी हैं, जंगल तेजी से कट रहे हैं और जमीन बंजर हो रही है, जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, सूखे और चक्रवातों का सिलसिला शुरू हो गया है, गहराते पर्यावरण संकट के चलते सभ्यता पर संकट के बादल मंड़रा रहे हैं, आर्थिक असमानता, महंगाई और भ्रष्टाचार चरमसीमा को छू रहे हैं. यह सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है, जब देश में लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर की जा रही हैं, स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व के मूल्यों के आधार पर निर्मित हमारे संविधान को भी विफल करने की कोशिशें हो रही हैं, साम्प्रदायिक और फासीवादी शक्तियाँ लोकतंत्र और राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती बन गयी हैं, असलियत में जनतंत्र पर काले बादल मंड़रा रहे हैं और ऐसे गाढ़े वक्त में सर्वोदय का कार्यकर्ता खामोश नहीं बैठ सकता, क्योंकि यह इमरजेंसी से कहीं ज्यादा खतरनाक समय है. अगर ऐसे वक्त में भी हम खामोश रह गये तो हमारा जनतंत्र खाई में गिर जाएगा. आज देश की सरकार देश की मूलभूत समस्याओं से मुंह फेरकर डिजिटल इण्डिया का फरेब रच रही है. देश के लगभग दो सौ जिलों में लोग फ्लोराइड और आर्सेनिक युक्त पानी पीने के लिए मजबूर हैं. देश के भूखे प्यासे लोगों को बुलेट ट्रेन और स्मार्ट सिटी के झांसे में रखकर अपना उल्लू सीधा किया जा रहा है. स्पष्ट है कि सरकार की नीति और नीयत दोनों भटकी हुई है. अगर एक सर्वोदय कार्यकर्ता के तौर पर हम इस भटकाव को रोक नहीं सकते, तो समझिये कि हम खुद भी एक बड़ी खाई के हवाले हो चुके हैं.

इस सम्मेलन की चार ख़ास विशेषताएं हैं. पहली विशेषता यह कि यह सर्वोदय समाज का पहला सम्मेलन है, जिसमें आने के लिए रेल टिकटों में हमें रियायत नहीं मिली. यह रियायत शायद इसलिए बंद की गयी कि सरकार को धनपतियों की तिजोरी भरनी है. स्थापना के समय से ही हमें मिल रही इस रियायत के बंद हो जाने के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में आपकी भागीदारी हम सबका हौसला बढ़ाने वाली है. दूसरी विशेषता यह कि यह वर्ष सर्व सेवा संघ और सर्वोदय समाज की स्थापना का हीरक जयंती वर्ष है. देश के तत्कालीन बड़े नेताओं में से 47 नेताओं ने इसी महादेव भाई भवन में एकत्रित होकर बापू की इच्छानुसार सर्व सेवा संघ और सर्वोदय समाज की स्थापना की थी. तीसरी विशेषता यह कि इस सम्मेलन में हमारे अनुरोध और उम्मीद के मुताबिक़ युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. चौथी विशेषता यह कि इस सम्मेलन के आयोजन और प्रबन्धन की पूरी जिम्मेदारी केवल युवा कार्यकर्ताओं ने संभाली है और यह सिद्ध कर दिया है कि बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी भी ये युवा उठा सकते हैं.

सम्यक प्रयोग की दृष्टि से आज की परिस्थितियां पूर्णतः अनुकूल हैं. इससे आगे बढ़ने के लिए श्रद्धायुक्त पुरुषार्थ अनिवार्य है. हमारा प्रयास है कि आप सबको इस सम्मेलन से ऐसी श्रद्धा और पुरुषार्थ की प्रेरणा मिले. हमारा आवाहन है कि आप जहां भी हैं, पूरे विश्वास और पुरुषार्थ के साथ जुट जाइए, तो देश की दशा बदल सकती हैं. हम गांधी के लोग हैं. हमें गांधी की यह बात याद रखनी चाहिए कि मनुष्य की सार्थकता जानने में नहीं, करने में है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

संविधान में सर्वोदय

Wed Apr 19 , 2023
अगर बुनियादी परिवर्तन के लिए काम करना हो, तो भारत के संविधान में ‘समाजवादी’ शब्द की जगह ‘सर्वोदय’ शब्द जोड़ने के बारे में सोचा जा सकता है. चन्दन पाल सर्वोदय बापू की नजर में एक ऐसा शक्तिशाली महामंत्र है, जो मनुष्य समाज को साम्राज्यवाद, पूंजीवाद, साम्यवाद और समाजवाद से आगे […]

You May Like

क्या हम आपकी कोई सहायता कर सकते है?