तुषार गांधी ने साबरमती आश्रम पुनर्विकास योजना को हाईकोर्ट में चुनौती दी

1

महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर कर  साबरमती आश्रम  के पुनर्निर्माण या पुनर्विकास की योजना का विरोध किया है.

इस जनहित याचिका में कहा गया है कि  साबरमती सत्याग्रह आश्रम स्मारक के पुनर्विकास के लिए प्रस्तावित परियोजना महात्मा गांधी की व्यक्तिगत इच्छाओं और वसीयत के विपरीत है. साथ ही, इससे स्वतंत्रता आंदोलन का यह मंदिर और स्मारक, एक आकर्षक वाणिज्यिक  पर्यटक स्थल के रूप में बदल जाएगा.

यह याचिका अधिवक्ता भूषण ओझा के माध्यम से दायर की गई है और वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई कोर्ट में इस पर बहस करेंगे.

गुजरात सरकार के उद्योग और खान विभाग द्वारा 05 मार्च, 2021 को एक सरकारी प्रस्ताव जारी करने के बाद यह मुद्दा उठा, जिसके माध्यम से उसने गांधी आश्रम स्मारक के व्यापक विकास के लिए एक शासी परिषद और एक कार्यकारी परिषद का गठन किया.

अहमदाबाद नगर निगम की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी, साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड, को गांधी आश्रम परिसर के प्रस्तावित पुनर्विकास को क्रियान्वित करने का काम सौंपा गया है.

अनुमान है कि इस परियोजना पर लगभग 1200 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसमें नए संग्रहालय, एक एम्फीथिएटर, एक वीआईपी लाउंज, दुकानें और एक फूड कोर्ट सहित अन्य नवनिर्मित स्मारकें भी शामिल होंगी.

तुषार गांधी ने कहा, “महात्मा गांधी का कोई भी आश्रम कभी भी सरकारी नियंत्रण में नहीं था, और इसे इसी तरह से जारी रखना चाहिए. प्रबंध न्यासों द्वारा उन्हें 70 से अधिक वर्षों से बेहतर स्थिति में रखा गया है, इसलिए ऐसा कोई कारण नहीं, जिसके लिए यह कहा जाए कि सरकार इसे अपने हाथ में ले ले.”

उन्होंने आगे कहा: “जब गांधी स्मारक निधि की स्थापना की गई थी, तो संस्थापकों द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सरकार को इसमें किसी भी तरह के हस्तक्षेप की आज्ञा नहीं होगी यानि इसके देखरेख में सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी. प्रारंभिक दिनों में उद्योगपतियों और अन्य निजी तौर पर लोगों ने मिलकर इसके लिए फंड इकट्ठा किया था. सरकार को इससे हमेशा ही अलग रखा गया था.

बाद में, एक संशोधन के माध्यम से, विभिन्न परियोजनाओं के लिए सरकारी अनुदान और धन को भी स्वीकार करने की अनुमति दी गई, लेकिन फिर भी, प्रबंधन या अन्य कार्यों में सरकार का कभी कोई नियंत्रण नहीं रहा.”

याचिकाकर्ता के अनुसार, महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आश्रम ट्रस्ट के ट्रस्टियों की सहमति से हरिजन सेवक संघ के पक्ष में आश्रम की वसीयत की थी, जो मूल रूप से परिसर के नियंत्रण में था.

जनहित याचिका में प्रार्थना की गई है कि आश्रम और परिसर को आदर्श रूप से हरिजन सेवक संघ को सौंप दिया जाना चाहिए और गांधीजी की इच्छा के अनुसार इसका उपयोग किया जाना चाहिए.

 हाल के कुछ वर्षों का रिकॉर्ड देखें तो पाएंगे कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब इन ऐतिहासिक स्मारकों की विरासत को बचाते हुए इनके पुनर्विकास और नवीनीकरण परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार को विरोध और आलोचना का शिकार होना पड़ा. हाल ही में, केंद्र सरकार को भी दिल्ली में सेंट्रल विस्टा के पुनर्निर्माण के अपने फैसले के लिए आलोचना का शिकार होना पड़ा.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह एक बड़े चलन का हिस्सा है, जहां सत्ताधारी दल इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहा था, तुषार गांधी ने कहा, “इतिहास को व्यवस्थित रूप से या कहें कि बड़ी ही तरतीब के साथ विकृत किया जा रहा है.

देखिए, उन्होंने जलियांवाला बाग स्थल में क्या कर दिया? उसे आधुनिक और आकर्षक बनाने की आड़ में वहां हुई वीभत्स घटना की भावना को ही मिटा दिया गया. अगर यह सब एक सोची समझी साजिश का हिस्सा माना जाए, तो गलत न होगा.

इतिहास का हर वह हिस्सा, जो हमारे दर्द से जुडा है, उसे धीरे धीरे पंगु बनाकर खत्म करने की कोशिश की जा रही है. एक अलग विचारधारा के लोग उन स्मारकों के साथ जुडे दर्द के एहसास को इतिहास के पन्नों से ही नहीं, उन स्मारकों से भी, हम सभी के जेहन से भी हटाने की कोशिश में जुटे हैं.”

बता दें कि कुछ हफ्ते पहले, प्रसिद्ध गांधीवादी इतिहासकारों, पूर्व लोक सेवकों, उद्योगपतियों और सार्वजनिक हस्तियों सहित 100 से अधिक प्रमुख नागरिकों ने प्रस्तावित पुनर्विकास कार्य का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा था.

पत्र में कहा गया था कि प्रस्तावित योजना में “गांधी थीम पार्क” और सबसे खराब “दूसरी हत्या” की कल्पना की गई है.

वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने कहा, “महात्मा गांधी कभी नहीं चाहते थे कि आश्रम एक पर्यटक आकर्षण बने. आश्रम की सादगी को बनाए रखना होगा. अगर सरकार को अपनी योजनाओं पर आगे बढ़ने दिया गया, तो आश्रम का इतिहास और पवित्रता नष्ट हो जाएगी”.

गांधी ने कहा, “अदालत से यह कहते हुए कड़ा फैसला होना चाहिए कि न केवल इस मामले में, बल्कि भविष्य में भी राष्ट्रीय महत्व वाले ऐसे संस्थानों में सरकार द्वारा इस तरह के हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जा सकती है. राष्ट्रीय महत्व के ऐसे संस्थानों को राजनीतिक दांव पेंच से अछूता रखा जाना चाहिए.”

गॉंधीजनों का विरोध

हाल ही में कई गॉंधीवादी संगठनों ने सरकारी योजना के खिलाफ सेवाग्राम से साबरमती आश्रम तक एक जन जागरण यात्रा निकाली थी. गॉंधी जनों ने साबरमती परिसर में प्रार्थना सभा करके आश्रम के सरकारीकरण कीयोजनाका विरोध किया था.

One thought on “तुषार गांधी ने साबरमती आश्रम पुनर्विकास योजना को हाईकोर्ट में चुनौती दी

  1. तुषार गांधी ने बहुत हीं उचित समय पर यह कदम उठाया है।हम सब उनके साथ है। कुछ तथाकथित गांधीवादी भी छुपे रुस्तम बन कर इस कार्य को पूरा करने में लगे हुए हैं। उन्हें भी बेनकाब करने की जरूरत। सर्व सेवा संघ के लोक सेवक और सर्वोदय मित्र इन लाइन मिटींग कर सरकार के इस क़दम की घोर निन्दा की है और बहुत जल्द दिल्ली में मिलने वाले हैं और आगे सेवाग्राम में सत्याग्रह की रुप रेखा तैयार की जायेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सर्वोदय जगत (01-15 नवंबर, 2021) - आज ही प्राप्त करें

Fri Oct 29 , 2021
सर्वोदय जगत का नवीन अंक (01-15 नवंबर, 2021) प्रेस में है, तुरंत अपनी प्रति प्राप्त करें। अंक डाक द्वारा प्रप्त करने के लिए, अजय कुमार मिश्रा से मोबाईल न. 9555395582 पर सम्पर्क करें या अधिक जानकार और ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए लिंक खोलें Subscribe to Hard Copy online > […]
क्या हम आपकी कोई सहायता कर सकते है?