जन-मन बिरले लोग ही होंगे, जिन्हें औरंगज़ेब के बाद के मुग़ल शासकों के नाम याद होंगे। कभी परीक्षा के लिए याद भी किया होगा तो परीक्षा के फ़ौरन बाद भूल भी गए होंगे। ऐसा होना बिल्कुल स्वाभाविक है, क्योंकि औरंगज़ेब के बाद मुग़ल साम्राज्य बिखर गया था और दिल्ली व […]

जन-मन जल ही जीवन है, यह कहना ही पर्याप्त नहीं है. अपने तथा आने वाली पीढ़ियों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए जल को संरक्षित करने के बारे में अनुसंधान, चिन्तन तथा परिश्रम करना होगा। जल का प्रमुख स्रोत वर्षा है। वर्षा का अधिकांश जल जो हम उपयोग नहीं […]

भवानी शंकर कुसुम द्वारा किये गये प्रयासों और उत्कृष्ट कार्यों के लिए 12 मई 2022 को यूएनसीसीडी कॉप-15 द्वारा आबिदजान, अफ्रीका में उन्हें आधिकारिक रूप से श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। सम्मेलन में 158 देशों से स्वैच्छिक संगठनों तथा सरकारी विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। ग्राम भारती समिति के सदस्य और […]

डॉ बनवारी लाल शर्मा के बारे में सुनकर यह यकीन नहीं होता है कि बीते दशक में कोई ऐसा मनुष्य भी था। उपनिवेशवाद से संघर्ष के पश्चात भारत को स्वतंत्रता मिली। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश आत्मनिर्भरता की राह पर चला। पर 80 के दशक में वैश्विक पूंजीवाद के दबाव […]

धर्म के आधार पर भेदभाव गांवों की तुलना में शहरों में कहीं अधिक है। जाति के आधार पर भेदभाव, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों के खिलाफ, शहरों की तुलना में गांवों में अधिक है। हालांकि लिंग के आधार पर भेदभाव गाँवों के साथ-साथ शहरों में भी है, यह बात स्कूल […]

झारखण्ड में कुड़मि समुदाय दरअसल अनुसूचित जन जाति है, इसके कई प्रामाणिक तथ्य मौजूद हैं। वर्ष 1913 के भारत सरकार के गजट में स्पष्ट रूप से कुड़मि समुदाय अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल था और 1931 तक की जनगणना में भी कुड़मि समुदाय को आदिम जनजाति की सूची में […]

राजनीति, धर्म, कानून और स्थानीय समाज शक्ति के स्रोत व केंद्र हैं. इन सभी के आपसी संवाद से ही हल तय हो सकता है. ऐसा संवाद कायम हो, इसकी कोशिश स्थानीय समाज को ही करनी होगी. वाराणसी में एक बार फिर मंदिर-मस्जिद विवाद शुरू हो गया है. काशी विश्वनाथ मंदिर […]

सिलंगेर आंदोलन के एक साल एक साल पहले 12-13 मई की दरमियानी रात सिलंगेर में सीआरपीएफ ने रातों रात अपना कैंप बना डाला था। सुबह जब आदिवासियों को पता चला तो वे वहां पहुंचे। तीन दिन तक हजारों की संख्या में आदिवासी कैंप को हटाने की मांग करते रहे, लेकिन […]

गांधीजी का भगवान बुद्ध पर यह विवेचन सनातन वैदिक एवं बौद्ध चिंतन तथा उसके आचरणीय स्वरूप के ऊपर एक गहरा विमर्श प्रस्तुत करता है। मुझे आज यह कहने में जरा भी हिचक नहीं है कि मैंने बुद्ध के जीवन से बहुत कुछ प्रेरणा पाई है। कलकत्ते के नये बौद्ध मन्दिर […]

काल के गाल पर ढुलके हुए आंसू का एक कतरा है ताज-गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया जब यह दावा करती हैं कि यह जमीन उनके पुरखों की है, तो वे यह बताना भूल जाती हैं कि इसके बदले में राजा जयसिंह को शाहजहां ने चार हवेलियां दी […]

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