यीशु वाणी विनोबा ने गीता, भागवत, धम्मपद, जपुजी, कुरआन आदि अनेक धर्मग्रंथों के नवनीत लिखे हैं। इसके पीछे उनका मन्तव्य दिलों को जोड़ने का रहा है। ख्रिस्त धर्म सार इसी योजना की अगली कड़ी है। इसमें विनोबा ने न्यू टेस्टामेंट का सार सर्वस्व लिखा है। प्रस्तुत है अगली कड़ी। व्याधि-निवारण […]
Year: 2023
मणिबेन पटेल सरदार पटेल ही की भाँति गाँधीजी भी मुझसे कभी कुछ नहीं छिपाते थे। विश्वास करने में वे अपने युग के श्रेष्ठतम व्यक्ति थे–मणिबेन वल्लभभाई पटेल। गुजरात के खेड़ा जिले के करमसद गाँव के एक पटेल-पाटीदार परिवार में जन्मीं मणिबेन के जीवन में सादगी, सेवा, ईमानदारी, आस्था और समर्पण […]
किताब हिंदी में छपी यह पुस्तक मराठी से अनूदित है। मूलतः मराठी में लिखी इस पुस्तक का नाम है ‘गांधी का मरत नाही’। इसके लेखक हैं चंद्रकांत वानखेडे। इनका रिश्ता जितना लेखन से है, उतना ही पत्रकारिता से और विशेष बात यह कि ये गांधी विचार पर आधारित संगठनों और […]
सरदार पटेल ही की भाँति गाँधीजी भी मुझसे कभी कुछ नहीं छिपाते थे। विश्वास करने में वे अपने युग के श्रेष्ठतम व्यक्ति थे […]
ऊष्मा प्रदान करने वाली महान ज्योति बुझ गयी है। … उनकी आत्मा आकाश के तारों को छूने की तथा बंदूकों, संगीनों या रक्तपात के बिना संसार को जीतने की उत्कट आकांक्षा रखती थी। हम धरती की माताएं जेट विमानों की गर्जना, अणुबम के विस्फोटों तथा जंतुयुद्ध की अज्ञात भयंकरताओं से […]
सर्वोदय समाज के स्थापना सम्मेलन में फूटे उद्गार तो सन्न रह गयी सभा 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की कायरतापूर्ण हत्या होने के बाद उनके बेहद करीबी सहयोगी और संत विनोबा भावे दुखी ही नहीं, ‘लज्जित’ भी थे. लेकिन क्यों? बापू की हत्या से जुड़ी वह क्या बात थी, […]
आमरण अनशन के ग्यारहवें दिन अर्थात 20 फरवरी आते–आते तो गांधी की मृत्यु आसन्न प्रतीत होने लगी थी। उसके अगले दिन संकट की परिस्थिति निर्मित हो गई थी। तब सरकार के द्वारा नियुक्त तथा गैर–सरकारी कुल छह डॉक्टरों की टीम ने एक विज्ञप्ति जारी कर जनता को सूचित किया कि […]
सन्दर्भ : गोविन्द गुरु का क्षेत्र आदिवासी अंचलों में गांधी दर्शन का प्रभाव गहरा रहा है, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यो को चलाकर उनके अनुयायियों ने अनेक आदिवासी क्षेत्रों में गाँधी दर्शन को स्थापित किया। ये अनुयायी सभी वर्ग, समाज व धर्म के थे, उनके प्रयासों के कारण ही […]
आज जानकारी उपनिवेश और साम्राज्य की गति से भी अधिक तेजी से दौड़ती है। इस सूचना क्रांति के बारे में कहा जाता है कि इसने साधारण लोगों का सशक्तिकरण किया है। इसकी बात नहीं होती कि सूचना की यह बिजली की गति लोगों को दास बनाकर एक मशीनी भ्रांति में […]
आधे बदन पर धोती लपेटे क्या यह आदमी बिलकुल नीरस था या उसकी जिन्दगी में कोई रस भी था? क्या देश की आजादी के लिए फिरंगियों से जूझने के अलावा लम्बी गुलामी से गुजरे हिन्दुस्तान की अन्य समस्याओं से उनका कोई वास्ता भी था? हत्यारों का समर्थन करने वाले जहाँ […]