देश ने प्रकट की कृतज्ञता : श्रद्धांजलि कार्यक्रमों का लगा तांता
इस वर्ष 30 जनवरी को बापू की हत्या के 75 साल पूरे हो गये. इस मौके पर न सिर्फ देश में, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों, अनेक संस्थाओं और विभिन्न विश्व मंचों पर लोग जुटे और बापू की तस्वीरों व प्रतिमाओं पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये. इस अवसर पर बापू के विचार, उनके कार्य और इतिहास के बहाने वर्तमान दुनिया की समस्याओं और उनके समाधानों पर व्यापक चर्चा की गयी, गोष्ठियां और सेमिनार आयोजित हुए, पदयात्राएं और प्रभातफेरियां निकाली गयीं तथा दुनिया के वंचितों और पीड़ितों के हक में आवाज़ बुलंद की गयी. पेश है 30 जनवरी के दिन आयोजित कार्यक्रमों की यह समग्र रिपोर्ट.
शांति, प्रेम व सद्भावना के लिए पदयात्रा : वर्धा से सेवाग्राम : 7 किमी तक आयोजन
शांति, प्रेम व सद्भावना के लिए सर्व सेवा संघ, वर्धा जिला सर्वोदय मंडल व गांधी विचार की अन्य संस्थाओं ने 30 जनवरी को महात्मा गांधी का अभिवादन करने के लिए वर्धा से सेवाग्राम तक 7 किमी की पदयात्रा निकाली। महात्मा गांधी के 75वें शहादत दिवस पर इस पदयात्रा का आयोजन जिला सर्वोदय मंडल, जिला कांग्रेस कमेटी, किसान अधिकार अभियान, रोटरी क्लब व अन्य संगठनों ने किया। सुबह 8 बजे महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पूर्व पालकमंत्री सुनील केदार ने माल्यार्पण किया। उसके पश्चात् महात्मा गांधी अमर रहें के नारे के साथ पदयात्रा की शुरुआत हुई। पदयात्रा में सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, प्रबंधक ट्रस्टी मोहम्मद शेख हुसैन, अरविन्द अंजुम, जिला सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रमेश दाणे, सचिव कन्हैया छांगाणी, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मनोज चांदुरकर, पूर्व नगराध्यक्ष शेखर शेंडे, किसान अधिकार अभियान के मुख्य प्रेरक अविनाश काकड़े, अध्यक्ष सुदाम पवार, सचिव प्रफुल्ल कुकड़े, युवा मोर्चा के अध्यक्ष किरण ठाकरे, प्रवीण कटारे, किसान अधिकार महिला मंच की संयोजक प्रा. नूतन मालवी, डॉ. अभ्युदय मेघे, अतुल शर्मा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश ठाकरे, युवा सोशल फोरम के सुधीर पांगुल सहित अनेक लोग शामिल हुए।
सेवाग्राम आश्रम में पदयात्रा का समापन हुआ। यहां आयोजित सभा में प्रो. राजन केलकर व विधायक केदार ने अपने विचार व्यक्त किये। मंच पर सेवाग्राम आश्रम की अध्यक्ष आशा बोथरा व सचिव प्रदीप खेलुलकर, वरिष्ठ आश्रमवासी कुसुम पांडे व वरिष्ठ गांधी विचारक पुष्पाबेन देसाई की उपस्थिति रही। समाज में समता, समानता, शांति व एकता निर्माण करने के लिए गांधी विचार की कृति प्रेरक होने की बात अनेक वक्ताओं ने की।
-प्रदीप खेलुलकर
रायपुर, छत्तीसगढ़
30 जनवरी 1948 को इंसानियत की बुलंद मीनार को गिरा दिया गया था। जिस गांधी को धर्म के नाम पर मारा गया, वे धर्म पर आस्था रखते थे और उस वक्त प्रार्थना के लिए जा रहे थे। आज उसी हत्यारी विचारधारा के लोग गांधी पर सवाल खड़ा करने लगे हैं।
गांधी का बचाव करने की किसी को जरूरत नहीं है, वह खुद ही अपना बचाव करने में सक्षम हैं। गांधी के अनुसार हिंदू होने का मतलब मनुष्यता की पैरोकारी है। गांधी मनुवादी दकियानूसी धार्मिकता के खिलाफ हैं।
गांधी की हत्या राष्ट्र की संवैधानिक अवधारणा की हत्या है। गांधी की हत्या हिंदुत्व की संकीर्ण मानसिकता के साथ जुड़ी हुई है। गांधी का लोकतांत्रिक विचार हिंदू महासभा नहीं पचा पायी। हिटलर की अंधराष्ट्रवाद की भाषा गोलवलकर की प्रेरणा थी और आज उसी को फैलाने का काम किया जा रहा है। गांधी प्रेम और करुणा के प्रतीक हैं।
धार्मिक जुलूसों में आस्था के प्रतीकों की रौद्र छवियां गढ़ी जा रही हैं और समाज को हिंसक बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जब वर्चस्व की भाषा बोली जाने लगे और रौद्र छवियों से प्रेम हो जाये तो डरना चाहिए कि यह कविता के मृत्यु की घोषणा है। यह समाज के विध्वंस का सूचक है। गांधी सौंदर्यबोधात्मक चेतना की अभिव्यक्ति हैं।
गांधी की नैतिक आभा से डरने वाले लोग दुष्प्रचार का सहारा लेते हैं, लेकिन गांधी के विराट निडर व्यक्तित्व के सामने कोई झूठ टिक नहीं पाता। झूठ को इतिहास की संचालक शक्ति बनाने वाले मृत्यु को जीत लेने वाले गांधी की वीरता पर नहीं बोलेंगे।
उपर्युक्त बातें प्रखर वक्ता व संस्कृतिकर्मी शैलेन्द्र कुमार ने गांधी की शहादत के 75 वें वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान रायपुर में स्रोताओं से ठसाठस भरे ऑडिटोरियम में कही।
गांधी को विभाजन का दोषी ठहराने वाले दुष्प्रचार का भंडाफोड़ करते हुए चर्चित लेखक व विचारक अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि कहीं पर एक लाइन लिखी दिखा दीजिए, जहां गांधी कह रहे हों कि हिंदू और मुस्लिम मिलकर नहीं रह सकते और सावरकर कह रहे हों कि हिंदू-मुस्लिम मिलकर रह सकते हैं।
सावरकर और जिन्ना ने हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग राष्ट्रों की मांग की थी। जो लोग अंग्रेजों की विचारधारा बांटो और राज करो की नीति का पालन करते हुए देश का विभाजन चाहते थे, आज उन्हीं को अपना आदर्श मानने वाले, गांधी को विभाजन का जिम्मेदार बता रहे हैं। यह एक षड़यंत्र के तहत किया जा रहा है।
अशोक कुमार पाण्डेय ने कहा कि आज गांधी के सामने सावरकर के शिष्य हत्यारे गोडसे को खड़ा किया जा रहा है। अगर गोडसे के जीवन से गांधी की हत्या को निकाल दिया जाये तो गोडसे का कहीं नाम तक सुनने को नहीं मिलेगा, जबकि गांधी के जीवन से गोडसे को हटा दिया जाये तो कोई फर्क नहीं पड़ता, गांधी का संपूर्ण व्यक्तित्व तब भी हमारे सामने उभरकर आता है। गांधी की आजादी का संघर्ष, सत्य और अहिंसा के पथ पर अडिग एक योद्धा का संघर्ष है, जो जीवन पर्यंत अपने नेक सिद्धांतों से समझौता नहीं करता।
गांधी अमर हैं, क्योंकि उन्होंने देश ही नहीं, दुनिया को दिशा दी। उन्होंने कहा कि हमें दोहराना चाहिए कि मजबूरी का नाम नहीं, मजबूती और निर्भयता का नाम गांधी है। गांधी कहते थे कि हिंसा में भरोसा करने वालों को मारने की कला सीखनी पड़ती है और अहिंसा में भरोसा करने वालों को मरने की कला सीखनी पड़ती है। गांधीवाद अपने अंतस के मूल में निर्भयता का नाम है।
जानी-मानी गांधी विचारक व साहित्यकार सुजाता चौधरी ने कहा कि गांधी की हत्या करने वाले खुद को हिंदू धर्म का रक्षक कहते हैं। हत्यारों का यह किस तरह का धर्म है, जो उस गांधी की हत्या करता है, जो भीषण दंगे की आग में जल रहे नोआखाली में अल्पसंख्यक हिंदुओं को बचाने नंगे पांव निकल जाता है। गांधी सिर्फ हिंदुओं व मुस्लिमों को बचाने गली-गली नहीं भटकते, बल्कि मानवीयता को बचाने निकलते हैं।
गांधी मानवीयता व मनुष्यता के पक्षधर थे। आज हत्यारे के पक्ष में तर्क गढ़े जा रहे हैं। मैं कहती हूं, कोई भी हत्यारा या बलात्कारी हो, वह अपने पक्ष में जरूर तर्क देगा, तो क्या उसकी बात मान ली जायेगी या उनकी बात सुनी जायेगी, जिन चिंतकों ने समाज को दिशा दी है, संघर्ष किया है?
हत्यारे का समर्थन कर हम भी हत्या में शामिल हो जाते हैं, इससे हमको बचना होगा। उन्होंने गांधी के जीवन से जुड़े प्रसंगों को सुनाते हुए कहा कि जॉर्ज बर्नाड शॉ से जब गांधी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हिमालय की तलहटी में खड़ा व्यक्ति हिमालय को कैसे आंक सकता है, लेकिन विडंबना देखिये कि आज बौने लोग गांधी को आंकने का दावा कर रहे हैं। आप एक-दूसरे से प्रेम करें या घृणा, यह आपके हाथों में है।
यह शानदार आयोजन साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़, सन्मति संस्था व अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने मिलकर किया। कार्यक्रम में गांधी के विचारों व जीवन से जुड़ी पोस्टर प्रदर्शनी व गांधी साहित्य, आकर्षण का केन्द्र रहे। कार्यक्रम के अंत में लगभग एक घंटे तक चले सवाल-जवाब ने आयोजन की महत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की व वाट्सएप यूनिवर्सिटी से ठेले जा रहे झूठ का पर्दाफाश हुआ।
– मृगेंद्र
जमशेदपुर. झारखंड
गांधी जी की शहादत के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 30 जनवरी को गांधी शान्ति प्रतिष्ठान के तत्वावधान में जमशेदपुर स्थित लोयला स्कूल कैंपस में पुस्तकालय सह पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई। इस दौरान स्कूल के आठ हज़ार स्टूडेंट्स ने पुस्तकों का अवलोकन किया और उनमें अभिरुचि दिखाई। विभिन्न महापुरुषों और मनीषियों तथा अन्य जानकारी की पुस्तकों के स्टॉलों मपर काफ़ी भीड़ लगी रही।
इस अवसर पर गांधी शान्ति प्रतिष्ठान के सदस्यों, स्कूल के स्टूडेंट्स और टीचर्स ने स्कूल कैंपस में लगी गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर सत्य और अहिंसा के पुजारी बापू को नमन किया।
स्कूल के टीचर्स ने कहा कि गांधीजी की प्रासंगिकता आज ज़्यादा है, जब समाज में सांप्रदायिक सद्भाव का वातावरण दूषित होता जा रहा है। ऐसे में गांधी के आदर्श और उनके बताए मार्ग का अनुसरण करने की महती आवश्यकता है।
इस अवसर पर गांधी शान्ति प्रतिष्ठान से सुखचंद्र झा, अंकुर शाश्वत, रमण, अंकित, प्रदीप रजक, शशांक शेखर, जगत, गौतम गोप, तरुण कुमार व स्कूल के प्रिंसिपल फादर विनोद फर्नांडीज, फादर केएम जोसेफ, फादर सीजी पौलुस समेत स्कूल के तमाम स्टूडेंट्स मौजूद रहे।
-शशांक शेखर
सिधौली, सीतापुर
गांधी साम्प्रदायिक ताकतों के लिए बहुत बड़ी चुनौती हैं। ऐसी ताकतें बार बार गांधी पर हमला करती हैं, परन्तु गांधी हर बार एक नये रूप में हमारे सामने आते हैं और इंसानियत के हक़ में खड़े दिखते हैं। यह बात डॉ. रिजवान अंसारी ने जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी और मानवीय एकता संगठन द्वारा गांधी शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर तहसील के सामने ‘दक्षिण एशिया में बढ़ती साम्प्रदायिकता और मानवतावादी संगठनों की भूमिका’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कही।
उन्होंने आयोजकों को साधुवाद देते हुए कहा कि उन्होंने एक महत्वपूर्ण विषय को उठाया है। जब तक दक्षिण एशिया में गांधी के विचारों को फलने- फूलने का मौका नहीं दिया जायेगा, यह क्षेत्र विकास नहीं कर सकेगा। अधिवक्ता एवं लेखक अनूप कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गांधी का असहमति को भी स्थान देने का विचार ही आधुनिक लोकतंत्र की आधारशिला है। भारत में 75 साल से लोकतंत्र जीवित है और फल फूल रहा है तो उसका कारण केवल गांधी का समन्वयवादी दृष्टिकोण है। उन्होंने दक्षिण एशिया में साम्प्रदायिक संगठनों के बढ़ते प्रभाव पर चिन्ता जताते हुए कहा कि हम जब तक धर्म को व्यक्तिगत मामला नहीं मानते, इस क्षेत्र की अशान्ति समाप्त नहीं हो सकती। पत्रकार एवं लेखक अनुराग आग्नेय ने गांधी विचार के प्रचार पर जोर देते हुए कहा कि गांधी के विषय में बहुत सारे मिथक फैलाये गये हैं। उन्हें एक नए दृष्टिकोण के साथ नई पीढ़ी तक पहुंचाने की ज़रूरत है। विवेकानन्द शिक्षण संस्थान के प्रमुख आरडी वर्मा ने गांधी को आधुनिक युग का सबसे बड़ा विचारक बताते हुए कहा कि अंग्रेज गांधी की निर्भयता से डरते थे। कार्यक्रम का संचालन कर रहे पत्रकार एवं शिक्षक चन्द्रशेखर ने गांधी को एक महान पुरूष बताते हुए कहा कि गांधी को नए सिरे से समझने की ज़रूरत है। यूनीक एकेडमी के डायरेक्टर अनूप राज ने गांधी जी को युगदृष्टा बताते हुए कहा कि उनके विषय में आम जनमानस को बहुत मिसगाइड किया गया है। इस मौके पर अध्यापक एवं कवि नवनीत नवल, देवेन्द्र कश्यप ‘निडर’, विनोद कुमार और पिंकी कश्यप ने कविता पाठ करते हुए गांधी जी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम को काव्या अवस्थी, नव्या अवस्थी, अरविंद कुमार प्रजापति आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम में अनफ़र्ल एजूकेशनल इंस्टीट्यूट के प्रबन्धक उबैद अंसारी, पत्रकार ज़ियाउल हक़, अतुल तिवारी, दीपू बाजपेयी, रामसागर पाल, गौरव शुक्ल, रामजी शुक्ला, हिमांशु शुक्ला, उत्कर्ष रस्तोगी, धर्मेन्द्र, भगवान पाल और मुईनुल्ला आदि लोग मौजूद थे।
-हिमांशु शुक्ला
आरा, बिहार
मानवीय सद्भावना मंच, आरा की तरफ से स्थानीय जयप्रकाश स्मारक के पास महात्मा गांधी शहादत दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया एवं रेडक्रॉस के पास सड़क के बीचों बीच सायरन बजाकर 2 मिनट का मौन रखा गया। आज के आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ जीतेन्द्र कुमार, संचालन रंगकर्मी व सामाजिक कार्यकर्ता अशोक मानव और धन्यवाद ज्ञापन मंच के संयोजक विजय मेहता ने किया।
सर्वप्रथम उपस्थित लोगों ने महात्मा गांधी की तस्वीर पर माल्यार्पण किया उसके बाद ‘हमारा संविधान एवं चुनौतियां’ विषयक विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए लोगों ने कहा कि आज जिस प्रकार संवैधानिक मूल्यों पर चोट की जा रही है, वह समाज व देश के लिए खतरनाक है। ऐसे में हमारे लिए भी चुनौती है कि हम अपने संविधान व संवैधानिक मूल्यों के साथ मजबूती से खड़े रहें।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में जितेन्द्र कुमार ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में यह बहुत जरूरी हो गया है कि हम अपने संविधान को समझें और प्रस्तावना में की गयी अपनी प्रतिबद्धता को निभाने के लिए प्रतिबद्ध रहें। संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को बनाए रखते हुए ही एक खुशहाल तथा मजबूत देश व समाज की कल्पना की जा सकती है। संगोष्ठी के उपरांत माहत्मा गांधी को मौन श्रद्धांजलि दी गयी।
सभा को संचालित करते हुए अशोक मानव ने कहा कि परिस्थितियां जैसी हों, मंच अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते हुए संविधान व देश को कमजोर करने वाली ताकतों का विरोध करेगा।
इस अवसर पर मंच के संयोजक विजय मेहता, आरती देवी, डॉ जितेन्द्र शुक्ला, रवि प्रकाश सूरज, मनोज सिंह, कमलदीप कुमार, शमीम आरवी, कमलेश कुंदन व अन्य लोग उपस्थित रहे।
-अशोक मानव
मणिभवन, मुंबई
मुंबई स्थित मणिभवन में गांधी जी की शहादत के दिन 30 जनवरी को मणिभवन से सर्वोदय मंडल तक पदयात्रा निकाली गई और पर्चे बांटे गए। मंडल के सभागृह में पदयात्रियों को जयंत, रमेश ओझा, विजय तांबे आदि ने संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने देश की साझा संस्कृति पर अपने विचार रखते हुए इस एकता की संस्कृति पर आघात करने वाली शक्तियों के प्रति श्रोताओं को सजग किया तथा प्यार, शांति और भाईचारे के पक्ष में दृढ़ता से खड़े रहने पर जोर दिया। इस मौके पर बजरंग, सूरज, गणेश आदि ने गीत गाये व प्रार्थना की। बजरंग ने सभा का संचालन तथा मंसूर ने आभार प्रगट किया। कार्यक्रम में युवाओं की उपस्थिति उल्लेखनीय थी।
-जयंत
इंदौर, मध्य प्रदेश
श्रीमद्भगवद्गीता जीवन ग्रन्थ है। इसमें से मनुष्य की मनोवृत्ति के अनुरूप अर्थ निकलते हैं। जब मोह नष्ट होता है, तब अहिंसा उदित होती है। परमार्थ हेतु की जाने वाली हिंसा का दोष नहीं लगता। ये विचार महाराजा रणजीत सिंह कालेज ऑफ प्रोफेशनल साइंसेस में 30 जनवरी को आयोजित अंतर्महाविद्यालयीन परिचर्चा स्पर्धा में विभिन्न वक्ताओं ने व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ राम श्रीवास्तव ने की। स्पर्धा के निर्णायक डॉ सुरेश चतुर्वेदी और पंडित सुनील शुक्ला थे। स्पर्धा में तेरह कालेजों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसमें शाम्भवी भानोत प्रथम, खुशी भाटिया द्वितीय और शीतल राघव तृतीय रहीं। इन्हें क्रमश: 1500, 1200 और 1000 रूपये का नगद पुरस्कार और सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र दिए गये। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की भाषा अध्ययनशाला को चलित मंजूषा प्रदान की गयी। प्राचार्य डॉ आनंद निघोजकर ने कहा कि भगवद्गीता हमें हरेक कर्म अच्छे से करने की शिक्षा देती है। कार्य शुरू करने के बाद उसे समाप्ति तक ले जाना चाहिए। डॉ सुरेश चतुर्वेदी ने अहिंसा धर्म को उदाहरणों से समझाया।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत डॉ आनंद निघोजकर, डॉ पुष्पेन्द्र दुबे, डॉ दीपांशु पांडे, डॉ सोनल जैन और डॉ दीप्ति बड़जात्या ने किया। इस अवसर पर डॉ दीपक शर्मा, डॉ मितेश चौधरी, डॉ मनोज जोशी, डॉ शिफा गोयल, डॉ खुशबू जैन, प्रो अनुराधा सोलंकी, डॉ सुप्रिया बंडी, प्रो प्रवीण शर्मा आदि सहित अनेक प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन डॉ गीता सहेजा ने और आभार ज्ञापन प्रो दीपिका चौधरी ने किया।
-डॉ पुष्पेन्द्र दुबे
गांधी आश्रम, छतरपुर
30 जनवरी को गांधी आश्रम, छतरपुर में बापू की शहादत दिवस पर बापू की प्रतिमा के सामने 2 मिनट का मौन रखकर उनकी पुण्य-स्मृतियों को नमन किया गया। उपस्थित लोगों ने सर्वधर्म प्रार्थना की तथा बापू के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए…गाकर आजीवन बापू के दिखाए पथ पर चलने का संकल्प लिया।
-सर्वोदय जगत डेस्क
पोरबंदर, गुजरात
30 जनवरी को बापू के जन्मस्थल पोरबन्दर स्थित कीर्ति मंदिर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित था। अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की आज से पचहत्तर साल पहले आज के ही दिन देश की राजधानी दिल्ली में हत्यारे गोडसे ने निर्मम हत्या कर दी थी। आज़ादी के हीरकजयंती वर्ष में विभाजन की क्रूर विभीषिकाओं का स्मरण और गोडसे का महिमा-मंडन किए जाने के उपक्रमों के बीच सांप्रदायिक एकता और आपसी भाईचारे लिए प्राणों का उत्सर्ग करने वाले महात्मा के जन्मस्थान पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर पाने का अवर्णनीय सुख मिला। राजधानी दिल्ली में सेंट्रल विष्टा का हजारों करोड़ का काम चल रहा है, वाराणसी और उज्जैन में करोड़ों के कॉरिडोर बन रहे हैं। मथुरा में भी काम की शुरुआत होने ही वाली है। क्या पोरबंदर स्थित गांधी की इस जन्मभूमि के लिए भी कभी कोई भव्य योजना बनाई जाएगी? कौन पूछेगा यह सवाल?
-श्रवण गर्ग
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि द्वारा 30 जनवरी को गांधी प्रतिमा, लखनऊ में सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमन्त्री बृजेश पाठक भी शामिल हुए।
प्रातःकाल सार्वजनिक तौर पर सामूहिक सफाई का कार्यक्रम हुआ, इसके बाद जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा पर मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री सहित तमाम गणमान्य लोगों की उपस्थिति में पुष्पांजलि कार्यक्रम हुआ। हरिजन सेवक संघ, हरदोई व पब्लिक स्कूल डॉलीगंज द्वारा सर्व धर्म प्रार्थना व भजन भी प्रस्तुत किया गया। दोपहर दो बजे के बाद गांधी भवन, लखनऊ स्थित गांधी प्रतिमा पर सूत-यज्ञ व विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ।
शाम को पांच बजे से सात बजे के बीच गोमती तट पर अज्ञात शहीदों को दीपदान द्वारा श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा भजन प्रस्तुत की गई, जिसमें केन्द्रीय मंत्री कौशल किशोर, विधायक जय देवी, विधायक नीरज वोरा, एमएलसी अवनीश सिंह तथा तमाम सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
– लालबहादुर राय
बालसन चौराहा, इलाहबाद
बालसन चौराहा स्थित गांधी प्रतिमा पर 30 जनवरी को नागरिक समाज और सर्वोदय मंडल के साथियों के साथ श्रद्धांजलि सभा और प्रतिरोध का कार्यक्रम हुआ, इसके बाद लोगों के बीच जागरूकता के प्रसार के लिए सड़क पर प्रभातफेरी लगाई गई। पर्चा वितरण करने के बाद यह संयुक्त कार्यक्रम पूरा हुआ।
सर्वोदय मंडल के साथियों ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान समय में गांधी की भूमिका पर व्यापक विमर्श करते हुए शाम तक चर्चा की। इस चर्चा के बाद गांधी जी का प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए जे… का सामूहिक गान हुआ और मोमबत्ती जलाकर बापू को श्रद्धांजलि दी गई।
-सर्वोदय जगत डेस्क
भागलपुर, बिहार
माइनॉरिटी डेवलपमेंट सोसाइटी की ओर से गांधी शांति प्रतिष्ठान में ‘गांधी की प्रासंगिकता’ विषय पर 30 जनवरी को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. मुश्फिक आलम ने गांधी की हत्या के अंतिम 50 मिनट पर बोलते हुए कहा कि गांधी अपने धर्म के प्रति जितना पक्के थे, उतने ही धर्मनिरेक्ष भी थे। गांधी के जीवन से हम बहुत कुछ सीखते हैं।
उन्होंने कहा कि गांधी ने कहा था कि हम भारतीय सवाल करना नहीं चाहते। हमें सवाल करना सीखना होगा। जिस दिन हम सवाल करना सीख जायेंगे, उस दिन देश के हालात बदल जायेंगे। हम गांधी के विशाल व्यक्तित्व से जीवन के हर क्षेत्र में प्रेरणा ले सकते हैं। प्रो. रविशंकर चौधरी ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि गांधी के कारण देश का बंटवारा हुआ। इस तर्क से गांधी की हत्या तक को जायज ठहराया जाता है। भारत और पाकिस्तान के हुक्मरान जश्न मना रहे थे और गांधी सत्ता को लात मारकर लोगों को मनुष्य होना सिखा रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि गांधी को मारने वालों की यही असली समस्या थी। गांधी ने खुद कहा कि यह प्रेम और नफरत की लड़ाई का मामला है। प्रेम ने अपशब्द तक इस्तेमाल नहीं किया, नफरत ने हत्या कर दी। राष्ट्रीय सेवा दल के प्रांतीय अध्यक्ष उदय ने कहा कि गांधी संरचनात्मक हिंसा के खिलाफ थे। जाति, वर्ण, पितृसत्ता और राज्यसत्ता हिंसा के संघनित रूप हैं। ऐसी हिंसा खेत्म होनी चाहिए।
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति डॉ. मनोज ने कहा कि मनुवादी और ब्राह्मणवादियों ने गांधी की हत्या की। वे नहीं चाहते थे कि गांधी लोकतंत्र औरप बराबरी की बात करें। नाथूराम गोडसे के वंशज आज भी सत्ता में मौजूद हैं। अध्यक्षता कर रहे तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ. योगेन्द्र ने कहा कि हर समय की कुछ चुनौतियां होती हैं और उनके नायक होते हैं। किसी भी नायक का मूल्यांकन वर्तमान समय से नहीं बल्कि तत्कालीन समय से करना चाहिए। डॉ. मनोज कुमार, डॉ. नाज बानो, ताबिश इकबाल, सरिता सिन्हा, डॉ. हबीब मुर्शिद खान, डॉ. मसी आजम, सार्थक भरत, यारमीन बानो, वासुदेव भाई आदि ने भी अपनी-अपनी बातें रखी। मंच संचालन माइनॉरिटी डेवलपमेंट सोसाइटी के सचिव मो. नदीम औरप धन्यवाद ज्ञापन संजय कुमार ने किया।
– वासुदेव भाई
भुवनेश्वर, उड़ीसा
भुवनेश्वर सर्वोदय मंडल की ओर से 30 जनवरी को भुवनेश्वर के नालको चौक स्थित गांधी पार्क में शहीद दिवस मनाया गया। इस अवसर पर संगठन के सदस्यों ने कलिंग अस्पताल चौक से गांधी पार्क तक एक शांति रैली निकाली। बाद में सदस्यों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर प्रति वर्ष शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दौरान सुधांशु महापात्र, अभय बड़बेना, केशव राणा, प्रमोद किशोर परिंडा, दुष्यंत बेहरा और नीलमाधव साहू समेत संगठन के कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
-केशव राणा